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दक्षिण में सैलाब
Posted on 07 Oct, 2009 10:03 PM

पर्यावरण को बचाना है तो विज्ञान को बदलिए-अनुपम मिश्र
Posted on 07 Oct, 2009 08:52 AM
प्रख्यात पर्यावरणविद अनुपम मिश्र का कहना है कि अगर पर्यावरण में हो रहे वर्तमान बदलाव को रोकना है तो हमें वर्तमान विज्ञान के विस्तार को रोकना होगा. अनुपम मिश्र कहते हैं कि पर्यावरण में हो रहे बदलाव के लिए दादा देश जिम्मेदार हैं और पर्यावरण में बदलाव को रोकने के लिए उन्हें सबसे पहले कोशिश करनी होगी.
लौटें मिट्टी की ओर
Posted on 04 Oct, 2009 07:30 PM

' हमने जो भी किया, कहा या गाया है वह सब हमें अपनी मिट्टी से मिला है।'
पानी तेरे कितने रंग
Posted on 04 Oct, 2009 10:16 AM

देश में कम बारिश होना जितनी बड़ी समस्या है उससे कहीं अधिक बड़ी समस्या है ज्यादा बारिश हो जाना। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल जुलाई तक देश के विभिन्न इलाकों में आई बाढ़ में करीब 992 लोगों की मौत हो चुकी है। हजारों बेघर हुए हैं। सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि बर्बाद हुई है।बाढ़ का प्रभाव सबसे ज्यादा बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम पर पड़ा है। पश्चिम बंगाल में इस महीने की शुरुआत से अब तक 21 हज
विश्व बैंक करेगा गंगा को क्लीन
Posted on 04 Oct, 2009 10:07 AM
वाशिंगटन। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पहल के बाद विश्व बैंक ने क्लीन गंगा प्रोजेक्ट के लिए एक अरब डॉलर (लगभग 4,474 करोड़ रुपए) की सहायता को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। वहीं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नए सिरे से क्लीन गंगा प्रोजेक्ट पर कार्य करने का आश्वासन दिया है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में अब एक कमेटी बेहतर ढंग से गंगा की सफाई का कार्य देखेगी।
अकेले नहीं आता अकाल
Posted on 03 Oct, 2009 09:18 PM उत्तर भारत में जलस्तर 1.6 इंच तक गिर चुका है। यह अगस्त 2002 से अगस्त 2008 के बीच चार सेंटीमीटर सालाना की दर से गिरा। इस दौरान जलदायी स्तर से 26 घन मील से भी ज़्यादा भूजल उड़नछू हो गया। ऑर्गेनिक कृषि की तुलना में हरित क्रांति वाली रासायनिक खेती में 10 गुना ज़्यादा पानी का इस्तेमाल होता है।रासायनिक उर्वरक नाइट्रस ऑक्साइड नामक ग्रीनहाउस गैस का उत्पादन करते हैं, जो कार्बन डाईऑक्साइड की तुलना में 300 गुना ख़तरनाक है।सबसे सस्ती कारों के दौर में अब तक की सबसे महंगी दाल मिल रही है। मानसून की मेहरबानी कम रही, तो समूचे देश पर अकाल की काली छाया घिर आई है। अकाल से बहुत पहले अच्छे विचारों का अकाल पड़ने लगता है। अच्छी योजनाओं का अकाल और बुरी योजनाओं की बाढ़..

काल की पदचाप साफ़ सुनाई दे रही है और सारा देश चिंतित है। यह सच है कि अकाल कोई पहली बार नहीं आ रहा है, लेकिन इस अकाल में ऐसा कुछ होने वाला है, जो पहले कभी नहीं हुआ। देश में सबसे सस्ती कारों का वादा पूरा किया जा चुका है। कार के साथ ऐसे अन्य यंत्र-उपकरणों के दाम भी घटे हैं, जो 10 साल पहले बहुत सारे लोगों की पहुंच से दूर होते थे।
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