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जीना सीखना होगा भूकम्प के साथ (Live with Earthquakes)
Posted on 02 May, 2015 09:40 AM दिल्ली में हालिया दिनों में ज़मीन में कम्पन दर्ज किए गए हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस प्रकार के कम्पनों के जरिए एनर्जी रिलीज होने से भूकम्प का खतरा कम हो जाता है। लेकिन उनकी इस मान्यता की स्पष्ट रूप से पुष्टि नहीं होती। भूकम्प के हालात से निपटने को लेकर जैसी हमारी तैयारी रहती है और गुजरात में भूकम्प आने के पश्चात राहत और बचाव कार्यों में जिस प्रकार से सरकार के स्तर पर शिथिलता देखी गई, उससे ल
स्वच्छ गंगा-देश की प्राथमिकता
Posted on 01 May, 2015 04:10 PM भारत सरकार राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मन्त्रालय
स्वतन्त्र आपदा निवारण मन्त्रालय बनाए केन्द्र सरकार
Posted on 01 May, 2015 03:39 PM कच्छ में भूकम्प आने के बाद भारत सरकार आपदा प्रबन्धन को लेकर जागी। नेपाल में आये भूकम्प की विनाशलीला को देखते हुए भारत सरकार को गम्भीर हो जाना चाहिए। खासतौर से दिल्ली इस खतरे को किसी भी हाल में नहीं झेल पाएगी। इसलिए केन्द्र सरकार को चाहिए कि वो अलग से एक स्वतन्त्र आपदा निवारण मन्त्रालय स्थापित करे। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स के आपदा प्रबंधन व एन्वायरमेंट विशेषज्ञ बीडब्लू पाण्डेय से नेशनल दुनिया
भूकम्प की भाषा समझें
Posted on 01 May, 2015 12:32 PM भूकम्प की भाषा विनाश की होती है लेकिन अगर हम उसे समझ सकते हैं तो उसमें से जीवन को निकाल सकते हैं। हमारी दिक्कत यह है कि विज्ञान अभी तक भूकम्प का पूर्वानुमान लगा नहीं सका है और उसके बाद की भाषा को समझ कर कोई एहतियात बरत नहीं पा रहे हैं।

हम व्यवस्था और आधुनिकता के स्तर पर महज राहत करना जानते हैं और उसके बाद यह भूल जाते हैं कि यहाँ कभी भूकम्प आया था जो आगे भी आ सकता है। वास्तव में हम प्राकृतिक आपदा के बारे में महज प्रबन्धन सम्बन्धी संस्थाएँ बना सके हैं लेकिन उसके बारे में रोकथाम और उससे जुड़ा जनमत बनाने की कोई तरकीब नहीं निकाल सके हैं।
नेपाल आपदा : हिमालय विकास के मॉडल पर पुनर्विचार का समय (Time to rethink the development model of the Himalayas)
Posted on 30 Apr, 2015 01:51 PM 25 अप्रैल को 7.9 तीव्रता के महाविनाशकारी भूकम्प ने नेपाल को बुरी तरह प्रभावित तो किया ही है, लेकिन भारत के उत्त रप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, उत्तराखण्ड तथा साथ में लगे पड़ोसी देश चीन आदि को भी जान माल की हानि हुई है। पूरे दक्षिण एशियाई हिमालय क्षेत्र में बाढ़, भूकम्प की घटनाएँ पिछले 30 वर्षों में कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हैं।

इससे सचेत रहने के लिये भूगर्भविदों ने प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से भी अलग-अलग जोन बनाकर दुनिया की सरकारों को बता रखा है कि कहाँ-कहाँ पर खतरे अधिक होने की सम्भावना है। हिमालय क्षेत्र मे अन्धाधुन्ध पर्यटन के नाम पर बहुमंजिले इमारतों का निर्माण, सड़कों का चौड़ीकरण, वनों का कटान, विकास के नाम पर बड़े-बड़े बाँधों, जलाशयों और सुरंगों के निर्माण में प्रयोग हो रहे विस्फोटों से हिमालय की रीढ़ काँपती रहती है।
कांपती धरती को समझने की दरकार
Posted on 30 Apr, 2015 12:21 PM विडम्बना देखिए कि मनुष्य प्रकृति की भाषा और व्याकरण को समझने के लिए तैयार नहीं है। वह अपनी समस्त ऊर्जा प्रकृति को गुलाम बनाने में झोंक रहा है। 21वीं सदी का मानव अपनी सभ्यताओं और संस्कृतियों से कुछ सीखने को तैयार नहीं। उसका चरम लक्ष्य प्रकृति की चेतना को चुनौती देकर अपनी श्रेष्ठता साबित करना है। इन्सान को समझना होगा कि यह समष्टि-विरोधी आचरण है। प्रकृति पर प्रभुत्व की भरपाई है।
भूकम्प और भारतीय धर्म विज्ञान
Posted on 30 Apr, 2015 11:37 AM Earthquake and Indian theodicy

बीते दिनों नेपाल में लामजंग में आए विनाशकारी भूकम्प ने इस बहस को और बल प्रदान किया है कि आखिर भूकम्प का कारण क्या है और इसका भारतीय धर्म विज्ञान से क्या सम्बन्ध है। अब यह साबित हो चुका है और उदाहरणों से भी स्पष्ट है कि विज्ञान का चिन्तन किस प्रकार भारतीय ऋषि चिन्तन के इर्द-गिर्द घूम रहा है।
earthquake
भूकम्प जब थर्राती है धरती
Posted on 30 Apr, 2015 10:48 AM धरती की गहराइयों में होने वाली हलचलों के कारण पैदा होने वाला भूकम्प ऐसी प्राकृतिक घटना है जिन पर मनुष्य का वश नहीं। विज्ञान अभी इतना सक्षम नहीं है कि इसके बारे में पूर्वानुमान लगा सके। वैसे, भूकम्प खुद किसी की जान नहीं लेता। नुकसान होता है मानव निर्मित मकानों, इमारतों के टूटने और उनके नीचे दबने से
भूमि अधिकार संघर्ष रैली
Posted on 28 Apr, 2015 03:41 PM आज से करीब 300 साल पहले कुछ इसी तरह से एक कम्पनी जो ‘ईस्ट इंडिया क
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