भारत

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जल गति अभियांत्रिकी संबंधी संरचनाओं/यंत्रों के प्रभावी परिकल्पना में प्रतिरूप अध्ययन की उपयोगिता
Posted on 24 Dec, 2011 04:50 PM किसी भी देश अथवा क्षेत्र के विकास में जल संसाधन के विकास का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। जल संसाधन के समुचित प्रबंधन एवं उपयोग से बाढ़ नियंत्रण, जलविद्युत उत्पादन, पेयजल, कल-कारखानों, ताप व आण्विक ऊर्जा उत्पादन हेतु जलापूर्ति, सिंचाई, आदि में मदद मिलती है। अंततः मानव समाज के आर्थिक व सामाजिक विकास में एक मजबूत कड़ी के रूप में सहायक साबित होती है। जल स्रोतों के विकास व प्रबंधन हेतु विभिन्न द्रव चालित
सिंचाई जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए मृदा नमी आंकलन की तकनीक
Posted on 24 Dec, 2011 04:15 PM भारत के सिंचित कृषि क्षेत्र में पानी का बेहतर उपयोग न होना एक चिन्ता का विषय है। अन्य क्षेत्रों में पानी की बराबर बढ़ती माँग के कारण सन् 2025 तक सिंचाई क्षेत्र में पानी की वर्तमान हिस्सेदारी 84% से घटकर 74% तक होने का अनुमान है। इसलिए सिंचाई जल उपयोग की दक्षता के वर्तमान स्तर में सुधार लाना सिंचाई के निर्धारण में उपयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। मृदा नमी की माप और उसका सिंचाई के निर्धारण म
विभिन्न प्रकार की मृदाओं की विशिष्ट जल धारण क्षमता
जल सुरक्षा के बिना संभव नहीं खाद्य सुरक्षा
Posted on 21 Dec, 2011 06:22 PM

यदि हम चाहते हैं कि लोग मोटे अनाज व कम पानी वाली अन्य फसलों को प्राथमिकता पर उपजायें, तो सुनिश

water scarcity
जो नदी अभी यहीं थी वो कहां खो गई?
Posted on 21 Dec, 2011 11:42 AM मैं नदी के साथ-साथ गया/बस्ती, जंगल, वीराने छाने/देखे पर्वत-घाटी, निहारे तारे/नदी के सोए पानी पर/पर वापसी में खड़ा था, अकेला/नदी कहीं खो गई थी..
वाराणसी को पहचान दिलाने वाली वरुणा नदी का पानी बहुत जहरीला है
जल में जहर
Posted on 20 Dec, 2011 10:47 AM

एक अध्ययन के मुताबिक बीस राज्यों की सात करोड़ आबादी फ्लोराइड और एक करोड़ लोग सतह के जल में आर्

गंगा: गंगोत्री से गंगासागर तक मैली ही मैली
Posted on 19 Dec, 2011 04:15 PM

गंगा नदी के तट पर स्थित हरिद्वार में हो रहे महाकुंभ में तो हर रोज लाखों लोग डुबकी लगा रहे हैं। लेकिन चिंता की बात यह है कि लोगों की जीवन रेखा रही गंगा की जीवन रेखा तो कम होती जा रही है। भगीरथ ने अपने प्रयासों से गंगा को पृथ्वी पर अवतरित तो कर दिया लेकिन इसकी पवित्रता को बचाने की जिम्मेदारी केवल सरकारों की ही नहीं वरन् हम सब की होती है। अगर गंगा का अस्तित्व नहीं रहा तो उनका क्या होगा जो गंगा की बदौलत ही जी रहे हैं। जिनकी सुख-समृद्वि और अनवरत चलने वाली जीवन की धारा इसी पर टिकी है।

जो स्वयं एक इतिहास हो, जो किसी देश की परम्परा, पुराण, कला, संस्कृति व जीवन से जुड़ी हो, जिसे विशिष्ठ नदी होने का गौरव हासिल हो, जिससे देश की जनता ही नहीं विदेशी भी प्यार करते हों, जो देश की समृद्धि से जुड़ी हो, जो लोगों की आशा-निराशा, हार-जीत, यश गौरव से जुड़ी हो, जिसने किसी देश की विविधता भरी संस्कृति का पोषण किया हो, जो सभी नदियों का नेतृत्व करती हो, जिसे माँ का दर्जा मिला हो, जिसने चट्टानों और हिमघाटियों से निकल कर मैदानों को सजाया-संवारा हो, जिसने लोगों की प्यास बुझाई, खेतों में ही नहीं घरों में भी हरियाली लहराई हो, यहां उसी मुक्तिदायिनी, जीवनदायिनी गंगा की बात हो रही है।
गंगा भारत वर्षे भातृरूपेण संस्थिता/नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
जैसे गुणगान करते-करते नहीं थकते।
विवाद का बांध
Posted on 17 Dec, 2011 10:43 AM

इनके मद्देनजर प्रधानमंत्री ने कई बार दोनों राज्यों के राजनीतिकों को संयम बरतने की सलाह दी है।

किस भारत का निर्माण
Posted on 15 Dec, 2011 12:30 PM

आजाद भारत में भी धन के विदेश जाने का क्रम और महंगी का रोग बना रहा है। भारत में एक ओर संपत्ति औ

कीटनाशक का कहर
Posted on 15 Dec, 2011 11:13 AM

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मंडियों में फलों-सब्जियों वगैरह की आवक विभिन्न इलाकों से

कैसे रुकेगी गंगा की यह लूट-खसोट
Posted on 12 Dec, 2011 09:45 AM

नदी के मूल प्रवाह में ऐसी रुकावटें डालने का यह काम इतने बड़े स्तर पर होता है कि इसकी वजह से गंगा के निचले इलाकों में हर साल बाढ़ आ जाती है। यही वजह है कि स्वर्गीय स्वामी निगमानंद के गुरु स्वामी शिवानंद ने भी पिछले दिनों गंगा में कहीं भी खनन रोकने की मांग को लेकर अपना अनशन शुरू कर दिया है।

हाल में गंगा के अवैध खनन के खिलाफ झंडा बुलंद करने वाले संगठनों का एक प्रतिनिधि मंडल जब उत्तरांचल के मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी के यहां पहुंचा तो मुख्यमंत्री ने उन्हें यह कहकर निराश कर दिया कि नुकसान के साथ खनन के फायदों को भी ध्यान में रखते हुए इसे पूरी तरह रोकना मुमकिन नहीं है। तो क्या हरिद्वार के मातृ सदन के युवा संत स्वामी निगमानंद का बलिदान व्यर्थ चला जाएगा ?
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