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बीजापुर जिला
आदिलशाही जल प्रणाली पर भारी पड़ी लोकतांत्रिक प्रबंधन प्रणाली
Posted on 22 Sep, 2014 01:29 PMकनार्टक के बीजापुर जिले की कोई बीस लाख आबादी को पानी की त्राहि-त्राहि के लिए गर्मी का इंतजार नहीं करना पड़ता है। कहने को इलाके चप्पे-चप्पे पर जल भंडारण के अनगिनत संसाधन मौजूद है, लेकिन हकीकत में बारिश का पानी यहां टिकता ही नहीं हैं।
लोग रीते नलों को कोसते हैं, जबकि उनकी किस्मत को आदिलशाही जल प्रबंधन के बेमिसाल उपकरणों की उपेक्षा का दंश लगा हुआ है। समाज और सरकार पारंपरिक जल-स्रोतों कुओं, बावड़ियों और तालाबों में गाद होने की बात करता है, जबकि हकीकत में गाद तो उन्हीं के माथे पर है। सदानीरा रहने वाली बावड़ी-कुओं को बोरवेल और कचरे ने पाट दिया तो तालाबों को कंक्रीट का जंगल निगल गया।
![<i>भूतनाल झील</i>](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/bhutnal%20lake_3.jpg?itok=snmn-9XV)
जल संकट के कारकों की बानगी
Posted on 14 Feb, 2011 10:05 AMकर्नाटक के बीजापुर जिले की बीस लाख की आबादी को पानी की त्राहि-त्राहि के लिए गरमी का इंतजार नहीं करना पड़ता है।
कहने को इलाके में जल भंडारण के अनगिनत संसाधन मौजूद हैं लेकिन बारिश का पानी यहां टिकता ही नहीं हैं। लोग सूखे नलों को कोसते हैं, जबकि उनकी किस्मत को आदिलशाही जल प्रबंधन के बेमिसाल उपकरणों की उपेक्षा का दंश लगा हुआ है। समाज और सरकार पारंपरिक जल-स्रोतों- कुओं, बावडि़यों और तालाबों में गाद होने की बात करते हैं जबकि हकीकत में गाद तो उन्हीं के माथे पर है। सदा नीरा रहने वाले बावड़ी-कुओं को बोरवेल और कचरे ने पाट दिया तो तालाबों को कंक्रीट का जंगल निगल गया।
भगवान रामलिंगा के नाम पर दक्षिण के आदिलशाहों ने जल संरक्षण की अनूठी 'रामलिंगा व्यवस्था' को शुरू किया था। लेकिन समाज और सरकार की उपेक्षा के चलते आज यह समृद्ध परंपरा विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। चार सदी पहले अनूठे जल-कुंडों का निर्माण कर तत्कालीन राजशाही ने इस इलाके को जल-संरक्षण का रोल-मॉडल बनाया था।
![water crisis](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/water%20crisis_10_11.jpg?itok=-XAx3pHF)
कर्नाटक में भूजल गुणवत्ता का परिदृश्य - जिलेवार रिपोर्ट (2004)
Posted on 20 Nov, 2009 09:08 AMग्रामीणों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता के मद्देनजर, विश्व बैंक की सहायता और कर्नाटक के ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता एजेंसी ने एक कार्यक्रम 'जलनिर्मल योजना' चलाया। इस योजना के ही एक भाग के रूप में कर्नाटक राज्य-सरकार ने राज्य के भूजल गुणवत्ता पर भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के आधार पर एक नोलेज बेस विकसित करने का निर्णय लिया।
![भूजल गुणवत्ता](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A4%B2%20%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%A3%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE_7.jpg?itok=nS69rQxI)