बांदा जिला

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निहित स्वार्थ का पर्याय ‘नदी जोड़ परियोजना’
Posted on 18 Sep, 2009 09:02 PM अजीब विरोधाभास है कि एक तरफ तो भारत सरकार की केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय इस परियोजना पर आगे बढ़ने की बात कहती है तो दूसरी तरफ सत्ताधारी दल के ही राहुल गांधी एवं जयराम रमेश सरीखे प्रमुख नेता इसे विनाशकारी बताते हैं। चाहे जो भी हो, जब प्रस्तावित 30 जोड़ों में से एक की भी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार न हो तो इस परियोजना के पक्ष में दावे खोखले नजर आते हैं।

अभी हाल ही में कांग्रेस पार्टी के सबसे चहेते नेता राहुल गांधी ने चेन्नई में एक प्रेस सम्मेलन में कहा कि नदी जोड़ योजना भारत के पर्यावरण के लिए बहुत ही विनाशकारी है। राहुल गांधी के बयान के अगले ही दिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री श्री के करूणनिधि ने इस परियोजना के पक्ष में दलील दी। इस तरह यह मुद्दा एक बार फिर जीवंत हो गया है। अब यदि प्रमुख सत्ताधारी दल के एक प्रमुख नेता की ओर से ऐसे बयान आ रहे हैं तो इसका निहितार्थ जानना भी जरूरी है। यह तो जानी हुई बात है कि नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना भारत में जल संसाधन क्षेत्र में अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना है। सन 2001 के कीमत स्तर पर इस पूरी परियोजना की प्रस्तावित लागत ‘पांच लाख साठ हजार करोड़’ आंकी गई थी।

बुंदेलखंड के तालाबों का इतिहास
Posted on 06 Sep, 2009 12:54 PM

बुंदेलखंड में सूखे के कारण मची तबाही के पीछे तालाबों की उपेक्षा भी खास कारण है। तालाब खुदवाना, उनकी मरम्मत कराना यहां की महान परंपराओं में शुमार रहा। बुंदेलखंड नरेश छत्रसाल के पुत्र जगतराज ने एक बीजक के मुताबिक खुदाई करवाकर गड़ा धन प्राप्त किया तो छत्रसाल नाराज हुए। उन्होंने कहा,'मृतक द्रव्य चंदेल को, तुम क्यों लिया उखार '। अगर उखाड़ ही लिया है तो उससे चंदेलों के बने तालाबों की मरम्मत की

सूखा क्षेत्र के लिए बना वरदान
Posted on 26 Sep, 2008 11:05 AM

बांदा। दिल में अगर कुछ कर दिखाने का प्रशासनिक जज्बा हो तो अनेक दुरूह प्राकृतिक एवं भौगोलिक समस्या का निदान हो जाता है। कुछ यही जज्बा दिखाया है नरैनी तहसील के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट (आईएएस) जुहैर बिन सगीर ने, इन्होंने जिले के भूगर्भ के गिरते जलस्तर को रिचार्ज करने के लिए अपनी एक अनोखी तरकीब को मूर्त रूप दिया है। इसका नाम रिचार्जिग रिंग वेल रखा है। प्रदेश में यह अपने आपमें अनोखी विधि का यह ईजाद माना

‘मिसिंग शौचालय’ बांदा में
Posted on 24 Nov, 2013 08:33 AM Missing Toilet in Bandaबांदा, उत्तर प्रदेश। प्रदेश भर में सरकारी अनुदान से बनाये गए शौचालयों के हाल, बेहाल हैं। इनमें किया गया भ्रष्टाचार अपने आप में इनके पारदर्शिता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। बात चाहे केन्द्र सरकार के निर्मल भारत अभियान की हो या फिर सम्पूर्ण स्वक्छ्ता अभियान की। जिन गांवों को निर्मल गाँव की श्रेणी में चुना गया, सर्वाधिक घाल–मेल भी उन्हीं गांवों की सड़क और पगडण्डी में देखने को मिला। आप बुंदेलखंड के किसी भी नेशनल हाइवे से जुड़े गांव की सड़क पर सफ़र में सुबह निकलें तो सहज ही ‘मेरा भारत महान’ की बदबूदार तस्वीर से रूबरू हो जायेंगे। घरों में देहरी के अन्दर लम्बा सा घूँघट निकालने को बेबस महिला यहाँ आम सड़क के किनारे सबेरे-सबेरे और संध्या में एक अदद आड़ के लिए भी तरसती नजर आती है। इनके लिए यह ही कहना पड़ता है कि – “मैं नंगे पैर चलती हूँ, खेत की पगडण्डी पर लोटा लिए, कहीं तो आड़ मिल जाये, इज्जत छुपाने के लिए!“

केन नदी को प्रदूषित कर रहे बांदा शहर के तीन नाले
Posted on 09 Nov, 2013 11:43 AM नदियों में कचरा डालने के साथ-साथ बांदा, महोबा, चित्रकूट और हमीरपुर में प्राचीन तालाबों में भी नगर का सीवर गिराया जाता है और ये प्रशासन की नाक के नीचे होता है। इस कचरे के अतिरिक्त लावारिस लाशों का विसर्जन भी केन में ही किया जाता है जिसमे नवजात शिशु से लेकर अन्य लाश भी शामिल हैं जो तालाब कभी हमारे बुजुर्गों ने जल प्रबंधन के लिए बनाए थे वे ही आज मानवीय काया से उपजे मैला को ढोने का सुलभ साधन बने हैं।बांदा – जबलपुर मध्य प्रदेश से निकल कर पन्ना, छतरपुर, खजुराहो और उत्तर प्रदेश के बांदा से होकर चिल्ला घाट में बेतवा और यमुना में केन (कर्णवती) नदी का संगम होता है। हजारों किलोमीटर कि प्रवाह यात्रा तय करने के बाद बुंदेलखंड के रहवासी इस नदी के जल से अपनी प्यास बुझाते है। किसान खेतों के गर्भ को सिंचित करके खेती करते है। खासकर जबलपुर,पन्ना और बांदा की 70% आबादी इस एक मात्र नदी के सहारे अपने जीवन के रोज़मर्रा वाले कार्यों को पूरा करते हैं। करीब 20 लाख की जनसंख्या अकेले बांदा जिले में ही केन का पानी पीकर जिंदा है।

मगर शहर को इसी केन नदी से जलापूर्ति करने वाले प्राकृतिक स्रोत में तीन गंदे नाले पेयजल को जहरीला बना रहे हैं। निम्नी नाला, पंकज नाला और करिया नाला का सीवर युक्त पानी बिना जल शोधन प्रक्रिया, वाटर ट्रीटमेंट के खुले रूप में केन में गिरता है।
आस्था या नदियों को मारने की साजिश
Posted on 07 Mar, 2013 01:24 PM ‘मेरे बीते हुए कल का तमाशा न बना, मेरे आने वाले हालात को बेहतर कर दो।मैं बहती रहूं अविरल इतना सा निवेदन है, नदी से मुझको सागर कर दो।।’
बुंदेलखंड
बुंदेलखंड : विकास से कोसों दूर
Posted on 14 Apr, 2010 08:54 AM मध्य प्रदेश के छतरपुर, दमोह, दतिया, पन्ना, सागर, टीकमगढ़ एवं उत्तर प्रदेश के बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, झांसी, जालौन, ललितपुर महोबा जिलों को बुंदेलखंड में गिना जाता है। यह क्षेत्र भारत के सर्वाधिक पिछड़े इलाकों में से एक है। काफी अरसे से बुंदेलखंड को पृथक राज्य बनाए जाने की मांग उठाई जाती रही है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में इस क्षेत्र को मिले प्रतिनिधित्व ने इस संभावना को और ज्यादा बल दिया है।
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