असम

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भक्षक बने रक्षक
Posted on 03 Aug, 2012 11:19 AM

एक समय था, जब कहा जा रहा था कि मनास से बाघों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। उग्रवादियों की सांठगांठ से शिकारी बिन

माजुली का हीरो जिंदा है
Posted on 04 Jul, 2012 11:12 AM

सोलह वर्ष बाद आज भी हमें इस प्रश्न का उत्तर नहीं मिल पाया है कि माजुली को बचाने के लिए दूसरा कोई उपाय क्या है? संजय लिखते हैं ‘‘हमें लोगों के इस हौसले और शक्ति का पूरा एहसास है जिसे ब्रह्मपुत्र ने सुरक्षित रखा है।’’ माजुली के अस्तित्व के लिए संघर्श कर रहे लोगों के लिए यह पंक्तियां आज भी उनका हौसला बढ़ाती हैं। क्योंकि अहसास जगाने वाला माजुली का वह हीरो उनके दिलों में अब भी जिंदा है।

इस वर्ष ब्रह्मपुत्र नदी में आई बाढ़ ने जैसी तबाही मचाई है वैसी कल्पना कभी असमवासियों ने नहीं की थी। पानी के विकराल रूप ने सबसे ज्यादा माजुली द्वीप पर बसे 1.6 लाख वासियों को प्रभावित किया है। जो जिंदगी और मौत के दरम्यान खुद को बचाने की कशमकश में घिरे हुए हैं। सबके मन मस्तिष्क में बस एक ही प्रश्न घूम रहा है ‘यदि ऐसा होता तो क्या होता? और इन प्रश्नों में सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि ‘यदि आज संजय जीवित होते तो क्या होता? परंतु संजय के जीवित रहने की आशा तो 15 वर्ष पहले ही (4 जुलाई) को उस समय समाप्त हो गई जब उल्फा विद्रोहियों ने उनका अपहरण करके उसी माजुली द्वीप में कत्ल कर दिया जिसे तबाही से बचाने के लिए वह दिन रात संघर्ष कर रहे थे।
खतरे में है महाबाहु ब्रह्मपुत्र
Posted on 14 Mar, 2012 03:05 PM

ब्रह्मपुत्र सिर्फ एक नदी नहीं है। यह एक दर्शन है-समन्वय का। इसके तटों पर कई सभ्यताओं और संस्कृतियों का मिलन हुआ है। आर्य-अनार्य, मंगोल-तिब्बती, बर्मी-द्रविड़, मुगल-आहोम संस्कृतियों की टकराहट और मिलन का गवाह यह ब्रह्मपुत्र रहा है। जिस तरह अनेक नदियां इसमें समाहित होकर आगे बढ़ी हैं, उसी तरह कई संस्कृतियों ने मिलकर एक अलग संस्कृति का गठन किया है। ब्रह्मपुत्र पूर्वोत्तर की, असम की पहचान है, जीवन है और संस्कृति भी। असम का जीवन तो इसी पर निर्भर है। असमिया समाज, सभ्यता और संस्कृति पर इसका प्रभाव युगों-युगों से प्रचलित लोककथाओं और लोकगीतों में देखा जा सकता है।

चीन की कुदृष्टि की वजह से तिब्बत से बांग्लादेश तक फैले विस्तृत ब्रह्मपुत्र नदी का अस्तित्व खतरे में है। इस बात की खबर आ रही है कि अपने देश में चीन इस नदी की धारा मोड़ने या पनबिजली परियोजना के लिए बांध बनाकर उसके प्रवाह को रोकने की साजिश कर रहा है। इस महानदी के सूखने का मतलब कई संस्कृतियों और सभ्यताओं का सूखना है इसलिए अरुणाचल से असम तक ब्रह्मपुत्र के किनारे बसे लोगों में बेचैनी है। हालांकि चीन बार-बार ऐसे आरोपों से इनकार कर चुका है लेकिन जब 29 फरवरी को अरुणाचल के पासीघाट के निकट सियांग नदी (अरुणाचल में ब्रह्मपुत्र को इसी नाम से जाना जाता है) का जलस्तर गिरता हुआ बिल्कुल बरसाती नदी जैसा हो गया तो पूरे राज्य में सनसनी फैल गई। अरुणाचल प्रदेश के सरकारी प्रवक्ता ताको दाबी ने इस बात की जानकारी फौरन राज्य सरकार को दी और केंद्र सरकार से वास्तविकता का पता लगाने का आग्रह किया। लोगों को लग रहा है कि चीन ब्रह्मपुत्र की धारा के साथ छेड़छाड़ कर रहा है।
ब्रह्मपुत्र की गोद में कुदरत से बर्ताव
Posted on 25 Feb, 2012 03:29 PM

असम में ब्रह्मपुत्र का विराट रूप मिलता है तो अरुणाचल में उसकी शाखाओं तथा बिगड़े हुए जल संग्रह क्षेत्रों को जानने

वर्षाजल का घरेलू संरक्षणः गुवाहटी शहर के एक क्षेत्र विशेष का अध्ययन
Posted on 26 Dec, 2011 05:13 PM विशाल ब्रह्मपुत्र और बराक के अंतर्राज्यिक जलनिकास बेसिन प्रणाली प्रायः पूरे उत्तर-पूर्वी भारत के जलविज्ञान- परिदृश्य का प्रतिनिधित्व करता है। क्षेत्र का विरोधाभासी जलमौसमीय परिदृश्य का विश्व के मानचित्र पर एक विशिष्ट जलविज्ञानीय अस्तित्व है। विराट जल संसाधन उपजों से संपन्न यह कभी पावर हाउस और “देश का जलाशय” जैसा हो सकता है, वहीं आज के वर्तमान हालातों में यहाँ की जल संसाधन समस्याएं हैं, जहां प्रतिव
वर्षाजल संचयन प्रणाली का योजनाबद्ध आरेख
महाभारतकालीन नगर तेजपुर (असम) के भूजल में समस्थानिकों के गुणधर्म में स्थानीय विचलन
Posted on 23 Dec, 2011 04:10 PM सर एडमंड हिलेरी ने कहा है, पर्यावरणीय समस्या मनुष्य के कारण ही शुरू होती है तथा इसका शिकार भी स्वयं मनुष्य ही बनता है। प्रचुरता में उपलब्ध जल संसाधनों के कारण उत्तरपूर्वी भारत को जहाँ भारत का पावर हाउस कहा जाता है वहीं समस्याओं के निराकरण के लिए जरुरी आँकड़ों का यहाँ अकाल सा है। इस विरोधाभास के समाधान के लिए समाहित समन्वित प्रयासों तथा अत्याधुनिक तकनीकों के उपयोग की आवश्यकता से इंकार नहीं किया जा
पेड़ काटे जा रहे हैं, लगाए नहीं जा रहे
Posted on 07 Dec, 2011 10:24 AM

डिब्रूगढ़ के जयपुर वर्षा वन के अंदर नदी को बांधकर पनबिजली परियोजना बनाने की तैयारी चल रही है।

भारत का सबसे बड़ा नद ब्रह्मपुत्र
Posted on 19 Feb, 2011 04:18 PM
और तो सब नदियां हैं, केवल सिंधु और ब्रह्मपुत्र ये दो नद-ऐसा भेद हम भारतीयों ने कबका तय किया है। ये दोनों है हीं ऐसे। विशालकाय और दीर्घवाही जलप्रवाह, जो कैलाश मानस-सरोवर के एक ही प्रदेश में जन्म लेकर परस्पर भिन्न दिशा में बहते नगाधिराज हिमालय की प्रदक्षिणा करके पश्चिम और पूर्व भारत की सेवा करते-करते, हिंद महासागर के दो विभागों को अपने विशाल जल का अर्घ्य अर्पण करते हैं। सिंधु को तो पंजाब की सब
बांधों के विरोध में उत्तर-पूर्व के संगठन
Posted on 15 Jul, 2010 10:58 AM
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में पर्यावरण और मानवाधिकार के प्रति समर्पित सामाजिक कार्यकर्ताओं, किसानों और आम नागरिकों ने इस इलाक़े में बड़े बांधों के निर्माण के ख़िलाफ़ अपना आंदोलन तेज़ करने की योजना बनाई है।
ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव से असम में जबरदस्त भूक्षरण
Posted on 05 Feb, 2010 04:07 PM


असम में ब्रह्मपुत्र नदी के तट के इलाके जबरदस्त कटाव से प्रभावित हो रहे हैं। लगातार हो रहे कटाव से राज्य की करीब चार हजार वर्ग किलो मीटर भूमि का क्षरण हो चुका है और इससे करीब 2,500 गांवो में बसे 50 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। एक अनुमान के मुताबिक राज्य में होने वाला यह भूक्षरण करीब 80 वर्ग किलो मीटर प्रतिवर्ष के हिसाब से बढ़ रहा है। इस मामले में राज्य के जल संसाधन विभाग ने 25 संवेदनशील और अति क्षरणीय स्थलों की पहचान की है।

ब्रह्मपुत्र नदी में भूक्षरण
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