अल्मोड़ा जिला

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चेतने की बारी
Posted on 27 Oct, 2010 11:20 AM बढ़ती आबादी से उत्तराखंड के भंगुर पारिस्थितिकी तंत्र पर लगातार बोझ
Disaster
सबकी दीदी, राधा दीदी
Posted on 06 Feb, 2010 11:35 AM राधा भट्ट यूं तो पहाड़ की आम महिलाओं जैसी ही नजर आती हैं. लेकिन वे आम नहीं हैं. साधारण तो कतई नहीं. हां, आप उनसे बातचीत करें तो परत दर परत संघर्ष और अनुशासन का एक ऐसा रचनात्मक संसार खुलता चला जाता है, जो उन्हें सबसे अलग करता है.
राधा भट्ट
तीन जलनायक : शिक्षक एमसी कांडपाल, जगत सिंह जंगली और बृजमोहन शर्मा
उत्तराखंड में पानी का संकट बढ़ता जा रहा है, जिससे गर्मियों में राजधानी देहरादून सहित अन्य शहरों में पीने के पानी की कमी से लोग परेशान हैं। कुछ लोग इस समस्या से इतने चिंतित हैं कि उन्होंने पानी के संरक्षण के लिए एक नहीं, तीन दशक से काम कर रहे हैं। Posted on 23 May, 2024 07:53 AM

20 मई 2024, देहरादून। पानी को लेकर लगातार संकट गहराता जा रहा है। गर्मियों में उत्तराखंड की राजधानी दून से लेकर राज्य के तमाम शहरों में पीने के पानी के लिए लोगों को जूझना पड़ रहा है। लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं, जिनकी पानी को लेकर मानो नींद ही गायब हो गई है, ये लोग पानी के संरक्षण को लेकर कोई एक नहीं, तीन-तीन दशकों से जुटे हुए हैं। ऐसे लोगों में ही एक है शिक्षक मोहन चंद्र कांडपाल। कानपुर बचपन बीता,

50 साल पहले उत्तराखंड की नदियां कैसी थीं
गंगा हेतु रिस्कन नदी में पानी बोना होगा
खास तौर पर जाडों में गैर बर्फीली नदियों के पानी का महत्व गंगा नदी में अधिक होता है। इन्हीं में से एक उत्तराखंड जिला अल्मोड़ा के विकासखंड द्वाराहाट में रिस्कन नदी है। यह नदी गंगा की एक धारा है जिसका मुख्य उद्गम भगवान विष्णु के मंदिर नागार्जुन में उनके चरणों से हुआ है जो सुरुभि नदी कहलाती है। द्वाराहाट क्षेत्र के कई अन्य स्रोतों के साथ पहाड़ियों से नंदनी बहती है। सुरभि-नंदिनी का संगम भगवान शिव के धाम विमाण्डेश्वर में होता है। इस शिवधाम से आगे इस नदी को रिस्कन के नाम से जाना जाता है। यहां से शांत स्वभाव के साथ बहते हुए रिस्कन नदी तिपोला नामक स्थान पर गगास नदी में मिलती है। गगास रामगंगा में व रामगंगा आगे जाकर गंगा नदी में मिलती है। Posted on 04 Oct, 2023 11:30 AM

शास्त्रों के अनुसार पानी का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ है। इसलिए पानी को नीर या नर भी कहा जाता है। गंगा नदी का नाम विष्णोपुदोद्दकी भी है अर्थात भगवान विष्णु के पैरों से निकली हुई। गंगा नदी का मुख्य स्रोत गंगोत्री में हैं लेकिन गंगा नदी में उत्तराखंड की कई गैर बर्फीली सहायक नदियाँ भी जुड़ी हैं। तभी गंगा नदी में पानी होता है।

गंगा हेतु रिस्कन नदी में पानी बोना होगा
पर्यावरण संरक्षण की ललक ऐसी 62 गांव में खड़ा कर दिया महिला संगठन
रिस्कन नदी 40 किमी लंबी है। अब तक बने 5000 से अधिक खावों का प्रभाव कहीं-कहीं दिखाई देने लगा है। लेकिन एक नदी को जिंदा होने के लिए पर्याप्त नहीं है। रिस्कन नदी को बचाने हेतु उनके द्वारा माननीय प्रधानमंत्री महोदय, माननीय जल शक्ति मंत्री भारत सरकार व माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड से भी निवेदन किया गया है। Posted on 07 Feb, 2023 02:36 PM

पर्यावरण संरक्षण की ललक ऐसी 62 गांव में खड़ा कर दिया महिला संगठन
अल्मोड़ा के कई ग्रामीण इलाकों में पानी के लिए हाहाकार
Posted on 14 May, 2019 05:27 PM

गर्मी का मौसम शुरू होते ही नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल किल्लत बढ़ने लगी है। नगर क्षेत्र के कई स्थानों पर समय से पेयजल आपूर्ति नहीं हो रही है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति नहीं होने से टैंकर से आपूर्ति करनी पड़ रही है। इस कारण लोगों को पेयजल किल्लत से जूझना पड़ रहा है।

अल्मोड़ा के डिनापानी गांव के ग्रामीण टैंक से पानी लेते हुए
जलवायु परिवर्तन पर सम्भव होगी सटीक भविष्यवाणी
Posted on 22 Dec, 2018 12:52 PM


जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों और खतरों से निपटने में आधुनिक सिस्टम डायनेमिक मॉडल अहम भूमिका निभा सकता है। अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड स्थित जीबी पन्त हिमालयन पर्यावरण शोध संस्थान के अलावा बंगलुरु और कश्मीर विवि ने साझा प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है।

climate change
उत्तराखंड नदी बचाओ अभियान
Posted on 11 Jul, 2014 04:17 PM 8 जुलाई 2009 को उत्तराखण्ड नदी बचाओ अभियान ने दो वर्ष पूरे किये। अभियान के अन्तर्गत इन दो वर्षों में पूरे उत्तराखंड की प्रत्येक नदी घाटी की 60 पदयात्रायें (3200 किलोमीटर), टौंस से लेकर काली नदी तक की 3000 किलोमीटर की 3 जलयात्रायें (वाहन यात्रायें) तथा 2 राज्यस्तरीय जन सम्मेलन तथा बीसियों गोष्ठियां सम्पन्न हुईं, जिनमें राज्य भर के समाजकर्मी एवं जननेता उत्तराखंड की नदियों पर आये संकटों के निराकरण के
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