Posted on 11 Jul, 2014 04:17 PM8 जुलाई 2009 को उत्तराखण्ड नदी बचाओ अभियान ने दो वर्ष पूरे किये। अभियान के अन्तर्गत इन दो वर्षों में पूरे उत्तराखंड की प्रत्येक नदी घाटी की 60 पदयात्रायें (3200 किलोमीटर), टौंस से लेकर काली नदी तक की 3000 किलोमीटर की 3 जलयात्रायें (वाहन यात्रायें) तथा 2 राज्यस्तरीय जन सम्मेलन तथा बीसियों गोष्ठियां सम्पन्न हुईं, जिनमें राज्य भर के समाजकर्मी एवं जननेता उत्तराखंड की नदियों पर आये संकटों के निराकरण के
Posted on 28 Aug, 2010 08:28 AM अल्मोड़ा जिले के सल्ट ब्लॉक के दर्जनों गाँवों में जल संकट भयावह रूप ले चुका है। जिला प्रशासन व जल संस्थान टैंकरों के जरिए पानी की सप्लाई कर रहा है। पानी की कमी को देखते हुए टैंकरों के चक्कर बढ़ाए जा रहे है। जिला प्रशासन ने विभाग को टैंकर संचालन के लिए साढ़े चार लाख रुपये दिए हैं। पानी की समस्या से जूझते गाँवों में हैंडपंप लगाने का कार्य तेजी से चल रहे हैं। प्रशासन व जल संस्थान के ग्रामीणों त
Posted on 25 Jun, 2010 04:25 PMपर्वतीय विकास और रोजगार-सुविधा के नाम से पिछले 10 वर्षों में उत्तराखण्ड में औद्यौगिकरण के कई नये उपायों को प्रारम्भ किया गया है। यूं तो रोजगार देने के हर प्रयास का स्वागत पहाड़ की जनता भी करती है और वहां के सरकारी, अर्द्धसरकारी व सामाजिक संस्थान भी करते हैं, क्योंकि पहाड़ की ‘युवा-पलायन’ की समस्या का हल इन उद्योगों के जरिये होगा तथा पहाड़ के under employment को पूरक-रोजगार भी इन उद्योगों से मिलेग
Posted on 25 Jun, 2010 01:43 PMटिहरी जनपद में स्थित मेरा गांव रगस्या-थाती (बूढ़ाकेदारनाथ) सामाजिक क्रांतियों का केन्द्र रहा है। यहां पर शराबबंदी आन्दोलन, अस्पृश्यता निवारण, चिपको आन्दोलन के लिये सर्वोदय और गांधी विचार से जुड़े लोगों का जमघट बना रहता था। बूढ़ाकेदारनाथ में धर्मानंद नौटियाल, भरपूरू नगवान एवं बहादूर सिंह राणा ने मिलकर सन् 1947 से 1975 के दौरान शांति और समानता के लिये अहिंसक गतिविधियां चलायी थीं। इन्हें सरला बहन और
Posted on 05 Feb, 2010 09:48 AM फोटो साभार - चौथी दुनियाहिमालय को बचाना है. नदियों, पर्वतों और जंगलों को पैसों के लालची व्यापारियों की भेंट नहीं चढ़ने देना है. चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े. गांधी शांति प्रतिष्ठान की अध्यक्ष राधा भट्ट के दिन रात आजकल इसी जद्दोज़हद में कट रहे हैं. वे लड़ रही हैं. उत्तराखंड की महिलाओं के साथ आंदोलन कर रही हैं.
Posted on 25 Dec, 2009 02:34 PMओम प्रकाश भट्ट देश भर के गांधीवादी व पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने नदियों के प्रवाह को उनके प्राकृतिक परिवेश में बनाये रखने का संकल्प लिया। नदियों की पवित्रता तथा पावनता को बनाये रखने व नदियों से पलने वाले लोगों के जीवन को बचाने के लिए पूरे देष में संघर्ष की रणनीति बनायी। यह तय किया गया कि वर्ष 2010 को ‘नदियों को मुक्त करो वर्ष’ के रूप में मनाया जायेगा।
Posted on 22 Dec, 2009 01:07 PMदेश के अन्य प्रांतों की तरह पर्वतीय भू-भागों में भी जल संरक्षण, संग्रहण और उपयोग की काफी भव्य परम्परा रही है। पहाड़ों में जल संग्रहण की प्राचीन व्यवस्था के तहत अनेक ढांचों का निर्माण किया गया। यहां इन्हें नौला, चपटौला, नौली, कुय्यो, धारा, मूल, कूल, बान आदि अनेक नामों से जाना जाता है। यहां अपना पानी अपना प्रबंध की सामूहिक भावना से पानी की शुद्धता और निरंतरता बनाए रखी जाती है।