अलीगढ़ जिला

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एक मेला परिंदों के नाम
Posted on 06 Jan, 2018 02:01 PM
तारीख - 09 जनवरी 2018,
स्थान - शेखा झील, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
आयोजक - हरीतिमा पर्यावरण सुरक्षा समिति, अलीगढ़


सालिम अली की संगत के एक मौके ने अलीगढ़ के रहने वाले सुबोधनंदन शर्मा की जिन्दगी का रास्ता बदल दिया। श्री सुबोधनंदन शर्मा, आज आजाद परिंदों को देख खुश होते हैं; कैद परिंदों को देख उन्हें आजाद कराने की जुगत में लग जाते हैं। बीमार परिंदा, जब तक अच्छा न हो जाये; सुबोध जी को चैन नहीं आता। परिंदों को पीने के लिये साफ पानी मिले। परिदों को खाने के लिये बिना उर्वरक और कीटनाशक वाले अनाज मिले। परिंदों को रहने के लिये सुरक्षित दरख्त... सुरक्षित घोसला मिले। पक्षी बन उड़ती फिरूँ मैं मस्त गगन में,
आज मैं आजाद हूँ दुनिया के चमन में...

आसमान में उड़ते परिंदों को देखकर हसरत जयपुरी ने फिल्म चोरी-चोरी के लिये यह गीत लिखा। लता मंगेशकर की आवाज, शंकर जयकिशन के संगीत तथा अनंत ठाकुर के निर्देशन ने इस गीत को लोगों के दिल में बैठा दिया। परिंदों को देखकर ऐसी अनेक कवि कल्पनाएँ हैं; ''पिय सों कह्ये संदेसड़ा, हे भौंरा, हे काग्..'' - मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा पद्मावत की नायिका नागमती से कहे इन शब्दों से लेकर हसरत जयपुरी के एक और गीत ''पंख होते तो उड़ आती रे, रसिया ओ जालिमा..'' (फिल्म सेहरा) तक। परिंदों को देखकर आसमान में उड़ने के ख्याल ने ही कभी अमेरिका के राइट बन्धुओं से पहले हवाई जहाज का निर्माण कराया।
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जल समस्या के कारण और निवारण (Water Problem: Causes and Prevention in Hindi)
Posted on 05 Aug, 2017 04:53 PM

दूर संचार माध्यमों, प्रचार साधनों के माध्यम से जल-संकट की समस्या जन-जन तक पहुँचाकर जन-मान

मिथक बन गई काली नदी
Posted on 13 May, 2011 11:01 AM

कभी गांव वालों को विश्वास था कि इस नदी में स्नान करने से उम्र लंबी होती है, लेकिन वर्तमान में त

काली नदी का काला सफर
Posted on 16 Jul, 2010 12:52 PM
गंगा की सहायक नदी के रूप में जानी जाने वाली लगभग 300 किलोमीटर लम्बी काली नदी (पूर्व) मुजफ्फरनगर जनपद की जानसठ तहसील के अंतवाड़ा गांव से प्रारम्भ होकर मेरठ, गाजियाबाद, बुलन्दशहर, अलीगढ़, एटा व फर्रूखाबाद के बीच से होते हुए अन्त में कन्नौज में जाकर गंगा में मिल जाती है। कुछ लोग इसका उद्गम अंतवाड़ा के एक किलोमीटर ऊपर चितौड़ा गांव से मानते हैं। यह नदी उद्गम स्रोत से मेरठ तक एक छोटे नाले के रूप म
कराहती नदियां
Posted on 31 Jul, 2010 09:53 AM आमी का गंदा जल सोहगौरा के पास राप्ती नदी में मिलता है। सोहगौरा से कपरवार तक राप्ती का जल भी बिल्कुल काला हो गया है। कपरवार के पास राप्ती सरयू नदी में मिलती है। यहां सरयू का जल भी बिल्कुल काला नज़र आता है। बताते हैं कि राप्ती में सर्वाधिक कचरा नेपाल से आता है। उसे रोकने की आज तक कोई पहल नहीं हुई। पिछले दिनों राप्ती एवं सरयू के जल को इंसान के पीने के अयोग्य घोषित किया गया। कभी जीवनदायिनी रहीं हमारी पवित्र नदियां आज कूड़ा घर बन जाने से कराह रही हैं, दम तोड़ रही हैं। गंगा, यमुना, घाघरा, बेतवा, सरयू, गोमती, काली, आमी, राप्ती, केन एवं मंदाकिनी आदि नदियों के सामने ख़ुद का अस्तित्व बरकरार रखने की चिंता उत्पन्न हो गई है। बालू के नाम पर नदियों के तट पर क़ब्ज़ा करके बैठे माफियाओं एवं उद्योगों ने नदियों की सुरम्यता को अशांत कर दिया है। प्रदूषण फैलाने और पर्यावरण को नष्ट करने वाले तत्वों को संरक्षण हासिल है। वे जलस्रोतों को पाट कर दिन-रात लूट के खेल में लगे हुए हैं। केंद्र ने भले ही उत्तर प्रदेश सरकार की सात हज़ार करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना अपर गंगा केनाल एक्सप्रेस-वे पर जांच पूरी होने तक तत्काल रोक लगाने के आदेश दे दिए हों, लेकिन नदियों के साथ छेड़छाड़ और अपने स्वार्थों के
भारत के कुछ राज्यों के भूजल में उच्च आर्सेनिक की मौजूदगी
Posted on 21 Oct, 2009 08:53 AM

असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों में आर्सेनिक प्रदूषण काफी बड़े स्तर तक प्रभावित कर रहा है।
अटैचमेंट में देखें कि किस राज्य के किस ब्लॉक में यह प्रदूषण कहां तक फैला है।
उत्तर प्रदेश, असम और छत्तीसगढ़ राज्यों के मामले में आर्सेनिकप्रदूषण की पहचान केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड और राज्य भूमि जल विभागों के निष्कर्ष के आधार पर की गई है ।

Arsenic
नरेगा : 140 गांवों की 43 बिंदुओं पर पड़ताल
Posted on 23 Jul, 2009 08:41 AM

अलीगढ़। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) की स्थिति में कुछ सुधार की उम्मीद जागी है। भ्रष्टाचार की ढेरों शिकायतें मिलने पर शासन के निर्देश के बाद डीएम ने जिले के 140 गांवों में नरेगा की जांच के निर्देश दिए हैं। इसके लिए नरेगा से जुड़े 43 बिंदुओं की पड़ताल की जाएगी।

सूखे पड़े हैं जिले के तालाब-पोखर
Posted on 07 Jul, 2009 05:21 PM
अलीगढ़। जिले में तालाबों की स्थिति काफी दयनीय है। अधिकतर नए तालाबों में पानी ही नहीं है। तमाम तालाब ऐसी जगह हैं, जहां गांव का पानी जा ही नहीं पाता है और वाटर रीचार्जिग का सिस्टम फेल है। इन तालाबों में पानी भरने के दिए गए आदेश भी हवा में उड़ गए। जिले में 4456 तालाब हैं, इनमें से सिर्फ 17 तालाबों में पानी है।
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