अहमदाबाद जिला

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सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई पर उठते सवाल
Posted on 19 Jun, 2014 12:09 PM नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण यानी एनसीए ने हाल ही में एकतरफा फैसला करते हुए गुजरात में स्थित सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई वर्तमान के 121.92 मीटर से बढ़ाकर 138.68 मीटर करने की मंजूरी प्रदान कर दी है। एनसीए का मानना है कि उसके इस कदम से बांध के जलाशय में, परियोजना में अपेक्षित पूरी क्षमता के साथ जल संग्रहण हो सकेगा। जिससे सिंचाई और जल विद्युत उत्पादन की क्षमता बढ़ेगी। एनसीए के इस फैसले से जहां गुजरात सरका
शैतानी गैसों के साए में
Posted on 08 Dec, 2010 02:23 PM
दुनिया भर में इलेक्ट्रानिक और औद्योगिक कचरे के निपटान को लेकर बहस चल रही है। विकसित देश अपना कचरा विकासशील और अविकसित देशों के मत्थे मढ़ रहे हैं और उन देशों को बीमार और बदहाल बना रहे हैं। भारत में भी कई देश अपना कचरा डाल रहे हैं। इसका जायजा ले रहे हैं
Air pollution
संदर्भ राजस्थान: पानी के रास्ते में खड़े हम
Posted on 21 Sep, 2010 02:41 PM मौसम को जानने वाले हमें बताएंगे कि 15-20 वर्षो में एक बार पानी का ज्यादा होना या ज्यादा बरसना प्रकृति के कलेंडर का सहज अंग है। थोड़ी-सी नई पढ़ाई कर चुके, पढ़-लिख गए हम लोग अपने कंप्यूटर, अपने उपग्रह और संवेदनशील मौसम प्रणाली पर इतना ज्यादा भरोसा रखने लगते हैं कि हमें बाकी बातें सूझती ही नहीं हैं। वरूण देवता ने इस बार देश के बहुत-से हिस्से पर और खासकर कम बारिश वाले प्रदेश राजस्थान पर भरपूर कृपा की है। जो विशेषज्ञ मौसम और पानी के अध्ययन से जुड़े हैं, वो हमें बेहतर बता पाएंगे कि इस बार कोई 16 बरस बाद बहुत अच्छी वर्षा हुई है।

हमारे कलेंडर में और प्रकृति के कलेंडर में बहुत अंतर होता है। इस अंतर को न समझ पाने के कारण किसी साल बरसात में हम खुश होते हैं, तो किसी साल बहुत उदास हो जाते हैं। लेकिन प्रकृति ऎसा नहीं सोचती। उसके लिए चार महीने की बरसात एक वर्ष के शेष आठ महीने के हजारों-लाखों छोटी-छोटी बातों पर निर्भर करती है। प्रकृति को इन सब बातों का गुणा-भाग करके अपना फैसला लेना होता है। प्रकृति को ऎसा नहीं लगता, लेकिन हमे जरूर लगता है कि अरे, इस साल पानी कम गिरा या फिर, लो इस साल तो हद से ज्यादा पानी बरस गया।

water rajasthan
स्थायी समस्या
Posted on 13 Feb, 2010 08:16 AM बचे हुए जंगलों और पूरी तरह से उन पर निर्भर लोगों का प्रश्न तो है ही, लेकिन कागज उद्योग के सामने कच्चे माल की जो भयंकर समस्या है, उसे भी नकारा नहीं जा सकता। कागज उद्योग विकास परिषद की कच्चा माल समिति ने हिसाब लगाया है कि सन् 2000 तक अगर प्रति व्यक्ति 4.5 किलोग्राम कागज की खपत के लिए तैयारी करनी हो तो कागज और गत्ते की उत्पादन क्षमता को 42.5 लाख टन तक और न्यूजप्रिंट की उत्पादन क्षमता को 12.89 लाख टन
उर्वरकों का उपयोग
Posted on 12 Feb, 2010 04:19 PM गुजरात में कई किसान अपनी सिंचित सफेदा खेती में रासायनिक ऊर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन श्री चतुर्वेदी चेताते हुए कहते हैं कि रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल बड़ी सावधानी से करना चाहिए। अकसर लोग मानते हैं कि रासायनिक उर्वरकों और पानी की मात्रा बढ़ने से सफेदे की पैदावार भी बढ़ती है। लेकिन ऊर्वरकों का अति-उपयोग मिट्टी और पेड़ दोनों को भारी क्षति पहुंचा सकता है। हमारे यहां सफेदे के लिए उर्वरकों के
अहमदाबाद में खारी नदी की मुक्ति
Posted on 10 Oct, 2008 06:28 PM

प्रदूषण रोकने के लिए सभी वर्गों के लोग साथ आए/ ईपीडब्ल्यू में प्रकाशित:१९ फरवरी 18, 2006 पेज़( 587)/
यह केस स्टडी रिपोर्ट बयान करती है कि किस तरह अहमदाबाद के खारीकट नहर में विभिन्न उद्योगों द्वारा औद्योगिक कचरा फेंकने की समस्या पर काबू पाने के लिए हर वर्ग के लोग साथ आए। श्रीनिवास मुद्राकर्तास जतिन सेठ, जे श्रीनाथ

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