सुरेंद्र अग्निहोत्री
बुंदेलखंडः फटती धरती, कांपते लोग
Posted on 04 Jan, 2012 04:22 PMनदियों और पहाड़ों में रात-दिन अंधाधुंध खनन हो रहा है, बड़ी-बड़ी मशीनों से धरती छलनी की जा रही
भूगर्भ जल स्रोत सूखने से भयावह होते हालात
Posted on 05 Aug, 2011 12:32 PMपशु पक्षियों को जल उपलब्ध कराने वाले पहाड़ी नदियाँ अपने मूल्य स्रोत पर ही सूख रही है। उत्तर प्र
बुंदेलखंड : पैकेज के बावजूद बदहाली बरकरार
Posted on 23 Jul, 2011 09:17 AMदेश के बीमारू राज्यों में शुमार उत्तर प्रदेश के सात ज़िलों में फैला बुंदेलखंड आज भी जल, ज़मीन और जीने के लिए तड़पते लोगों का केंद्र बना हुआ है। रोज़ी-रोटी और पानी की विकट समस्या से त्रस्त लोग पलायन के लिए मजबूर हैं। प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का आठवां हिस्सा खुद में समेटे यह समूचा अंचल भूमि के उपयोग-वितरण, सिंचाई, उत्पादन, सूखा, बाढ़ और आजीविका जैसे तमाम मामलों में बहुत पीछे है। झांसी और चित्रकूट
मरती नदियां, उजड़ता बुंदेलखंड
Posted on 05 Jul, 2011 10:01 AMचंबल, नर्मदा, यमुना और टोंस आदि नदियों की सीमाओं में बसने वाला क्षेत्र बुंदेलखंड तेजी से रेगिस्तान बनने की दिशा में अग्रसर है। केन और बेतवा को जोड़कर इस क्षेत्र में पानी लाने की योजना मुश्किलों में फंस गई है। जो चंदेलकालीन हजारों तालाब बुंदेलखंड के भूगर्भ जल स्रोतों को मजबूती प्रदान करते थे, वे पिछले दो दशकों के दौरान भू-माफिया की भेंट चढ़ गए हैं। अकाल की विभीषिका से जूझ रहे बुंदेलखंड में सरकारी
घटता पानी, बढ़ती प्यास
Posted on 06 May, 2011 01:18 PMबेतवा, शहजाद, केन, धसान, मंदाकिनी, यमुना, जामनी, एवं सजनाम जैसी सदा नीरा नदियां होने के बावजूद पानी के लिए तरस रहे लोगों के दर्द को समझना बड़ा कठिन है। बुंदेलखंड में जल युद्ध होने से कोई रोक नहीं सकता। बुंदेलखंड पैकेज के नाम पर हुई लूट ने हालात बदतर कर दिए हैं। 2003 में हुई वर्षा 1044.88 एमएम से घटते-घटते वर्ष 2009 तक 277.30 एमएम रह गई। दो हज़ार से अधिक चंदेलकालीन तालाबों में पानी नहीं है। ललित
विकास की बलि : ललितपुर
Posted on 10 Mar, 2011 02:26 PMनदियों पर बनने वाले बांधों के विरोध में बीसवीं सदी में विरोध की घटनाओं में एक बेतवा नदी पर बने