रूबी सरकार
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जैव चिकित्सा अपशिष्ट मामले में एनजीटी सख्त
Posted on 11 Apr, 2016 03:15 PMभोपाल के बड़े अस्पतालों को नोटिस भेजकर माँगा जवाब
भोपाल का बड़ा तालाब यानी अन्तरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि (वेटलैण्ड) खतरे में
Posted on 31 Jan, 2016 12:01 PMयूँ तो झीलों की नगरी भोपाल में 18 तालाब और एक नदी है। इसीलिये इसे ‘सिटी ऑफ लेक’ कहा जाता है। अगर पूरे मध्य प्रदेश की बात करें, तो यहाँ लगभग 2400 छोटे-बड़े तालाब हैं।
इनमें भोपाल का बड़ा तालाब अन्तरराष्ट्रीय वेटलैण्ड के रूप में जाना जाता है। यह तालाब जलसंग्रहण की पुरानी तकनीक का बेहतरीन नमूना है और मनुष्यों द्वारा निर्मित यह तालाब एशिया का सबसे बड़ा तालाब है। इस तालाब का कैचमेंट क्षेत्र 361 किलोमीटर और पानी से भरा क्षेत्र 31 वर्ग किलोमीटर में फैला है।
आज भी सारे शहर की प्यास यह तालाब बुझा रहा है। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यहाँ पानी बी. कैटेगरी का है और यह पीने योग्य नहीं है। वर्तमान में इस तालाब के चारों ओर अवैध कब्ज़ा हो चुका है।
विन्ध्याचल डिस्टिलरी प्रदूषण मामला : एमपीपीसीबी की रिपोर्ट से एनजीटी असन्तुष्ट
Posted on 10 Jan, 2016 09:47 AMफरवरी 2014 में किसान बाबूलाल बंजारा और पृथ्वी बंजारा ने एनजीटी मेंकैचमेंट क्षेत्र में अवैध रेत खनन प्रकरण
Posted on 12 Dec, 2015 11:34 AMमेधा ने कहा- ग्रामसभा की अनुमति के बिना हो रहा खननहरित अधिकरण ने जाँच कमेटी गठित कर 8 जनवरी तक रिपोर्ट तलब किया
गैस रिसाव और प्रदूषित भूजल से तीसरी पीढ़ी के ढाई हजार बच्चे जन्मजात विकृत
Posted on 07 Dec, 2015 03:35 PM2-3 दिसम्बर 1984 की रात को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड इण्डिया लिमिटेड की कीटनाशक कारखाने की टंकी से रिसी 40 टन मिथाइल आयसोसायनेट (एमआईसी) गैस (जो एक गम्भीर रूप से घातक ज़हरीली गैस है) के कारण एक भयावह हादसा हुआ।कारखाने के प्रबन्धन की लापरवाही और सुरक्षा के उपायों के प्रति गैर-ज़िम्मेदाराना रवैए के कारण एमआईसी की एक टंकी में पानी और दूसरी अशुद्धियाँ घुस गईं जिनके साथ एमआईसी की प्रचंड प्रतिक्रिया हुई और एमआईसी तथा दूसरी गैसें वातावरण में रिस गईं।
अमरीकी कम्पनियों के खिलाफ कार्रवाई में केन्द्र सरकार विफल
Posted on 01 Dec, 2015 10:10 AMभोपाल गैस कांड पर विशेष
भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे की 31वीं बरसी पर गैस पीड़ित मशाल जुलूस लेकर यूनियन कार्बाइड कम्पनी का विरोध करेंगे। हर बार की तरह इस बार भी गैस पीड़ित मुफ्त इलाज, मुआवजा के साथ-साथ जन्मजात विकलांगता वाले बच्चों की पुनर्वास सुविधाओं की भी माँग करेंगे।
इस तरह का विरोध पहली बार नहीं हो रहा है, बल्कि लगातार 30 वर्षों से गैस पीड़ित इसी तरह यूनियन कार्बाइड के खिलाफ अपना विरोध जताते आ रहे हैं। लेकिन इस दफा मामला इसलिये भी गम्भीर है, क्योंकि पेरिस में 125 देश मिलकर पर्यावरण प्रदूषण के चलते हो रहे जलवायु परिवर्तन पर बहस और दिशा तय करेंगे।
अपना न रहा पानी
Posted on 22 Feb, 2015 01:06 PM संसाधनों के उपयोग और विकास सम्बन्धी गतिविधियों ने मौजूदा विकास मॉडल की उपयोगिता पर गम्भीर चिन्ताएँ पैदा की हैं। जब बिजली क्षेत्र को निजीकरण के लिए खोला गया था, तब कोई बहस या चर्चा नहीं हुई थी। देश के सामने इसे एक निर्विवाद तथ्य की तरह परोसा गया था। बड़े पैमाने पर बिजली गुल होने का डर दिखाकर निजीकरण को आगे बढ़ाया गया। लेकिन, अब पानी के क्षेत्र में ऐसे ही निजीकरण की राह पकड़ी जा रही है तो चिन्ताएँ बढ़ गई हैं और किसी भी निर्णय के पहले इस मुद्दे पर व्यापक आम बहस की माँग बढ़ती जा रही है।मध्य प्रदेश के खण्डवा और शिवपुरी जिले में पानी के निजीकरण को लेकर लम्बे समय से चल रहा आन्दोलन पूरी तरह थमा भी नहीं है कि होशंगाबाद, पिपरिया और इटारसी जिले के नागरिकों पर पानी के निजीकरण का खतरा मँडराने लगा है।