फरवरी 2014 में किसान बाबूलाल बंजारा और पृथ्वी बंजारा ने एनजीटी में कम्पनी के खिलाफ याचिका दायर की थी। एनजीटी ने विन्ध्याचल डिस्टिलरी को दोषी मानते हुए उस पर जुर्माना लगाया था और याचिकाकर्ताओं को एक-एक लाख रुपए के डिमांड ड्रॉफ्ट विन्ध्याचल डिस्टिलरी प्लांट द्वारा जारी करवाए गए थे। वहीं एनजीटी ने प्लांट से हर रोज निकलने वाले 40 टन ग्रेन फाइबर को बेचकर मिलने वाले 40 हजार रुपए से पीलूखेड़ी गाँव में विकास कार्य कराए जाने को कहा था। राजगढ़ जिले (नरसिंहगढ़ तहसील) के पीलूखेड़ी गाँव में विंध्याचल डिस्टिलरी प्लांट द्वारा प्रदूषण फैलाने के मामले में मध्य क्षेत्र खण्डपीठ हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मप्र प्रदूषण निवारण मण्डल (एमपीसीबी) की रिपोर्ट पर असन्तुष्टता जताई है और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल (सीपीसीबी) को अगली सुनवाई में रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
ये आदेश मध्य क्षेत्र खण्डपीठ हरित अधिकरण के न्यायमूर्ति दलीप सिंह और विशेषज्ञ सदस्य डीके अग्रवाल की पीठ ने दिये। इस मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी।
याचिकाकर्ता के वकील धर्मवीर शर्मा और ओम श्रीवास्तव ने बताया कि मप्र प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने गुरुवार को एनजीटी में विन्ध्याचल डिस्टिलरी प्लांट की प्रदूषण को लेकर रिपोर्ट सौंपी, लेकिन इस रिपोर्ट पर एनजीटी ने असन्तुष्टता जाहिर करते हुए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण को 28 जनवरी को अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
वहीं एनजीटी ने राज्य सरकार से पीलूखेड़ी गाँव की विकास योजना को लेकर उठाए गए कदम की जानकारी ली है। राज्य सरकार को भी गाँव की विकास योजना का प्रारूप 28 जनवरी को सौंपने को कहा गया है।
दरअसल राजगढ़ जिले के पीलूखेड़ी गाँव में विन्ध्याचल डिस्टिलरी प्लांट 7 मार्च, 1984 को रजिस्टर्ड हुआ था और 100 में फैले इस कम्पनी में उत्पादन अक्टूबर 1987 से शुरू हुआ।
इस तरह लगभग 28 सालों से यहाँ प्रदूषण फैलाया जा रहा था, जिसके कारण किसानों के खेत और ग्राउंड वाटर लेवल पर खतरनाक प्रभाव पड़ रहा था। फरवरी 2014 में किसान बाबूलाल बंजारा और पृथ्वी बंजारा ने एनजीटी में कम्पनी के खिलाफ याचिका दायर की थी।
एनजीटी ने विन्ध्याचल डिस्टिलरी को दोषी मानते हुए उस पर जुर्माना लगाया था और याचिकाकर्ताओं को एक-एक लाख रुपए के डिमांड ड्रॉफ्ट विन्ध्याचल डिस्टिलरी प्लांट द्वारा जारी करवाए गए थे। वहीं एनजीटी ने प्लांट से हर रोज निकलने वाले 40 टन ग्रेन फाइबर को बेचकर मिलने वाले 40 हजार रुपए से पीलूखेड़ी गाँव में विकास कार्य कराए जाने को कहा था।
राजगढ़ कलेक्टर को इस गाँव के विकास की योजना बनाने के निर्देश देते हुए उसमें आने वाले खर्च को विन्ध्याचल डिस्टिलरी के ग्रेन फाइबर फंड से लेने को भी कहा गया था।
ये आदेश मध्य क्षेत्र खण्डपीठ हरित अधिकरण के न्यायमूर्ति दलीप सिंह और विशेषज्ञ सदस्य डीके अग्रवाल की पीठ ने दिये। इस मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी।
याचिकाकर्ता के वकील धर्मवीर शर्मा और ओम श्रीवास्तव ने बताया कि मप्र प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने गुरुवार को एनजीटी में विन्ध्याचल डिस्टिलरी प्लांट की प्रदूषण को लेकर रिपोर्ट सौंपी, लेकिन इस रिपोर्ट पर एनजीटी ने असन्तुष्टता जाहिर करते हुए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण को 28 जनवरी को अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
वहीं एनजीटी ने राज्य सरकार से पीलूखेड़ी गाँव की विकास योजना को लेकर उठाए गए कदम की जानकारी ली है। राज्य सरकार को भी गाँव की विकास योजना का प्रारूप 28 जनवरी को सौंपने को कहा गया है।
दरअसल राजगढ़ जिले के पीलूखेड़ी गाँव में विन्ध्याचल डिस्टिलरी प्लांट 7 मार्च, 1984 को रजिस्टर्ड हुआ था और 100 में फैले इस कम्पनी में उत्पादन अक्टूबर 1987 से शुरू हुआ।
इस तरह लगभग 28 सालों से यहाँ प्रदूषण फैलाया जा रहा था, जिसके कारण किसानों के खेत और ग्राउंड वाटर लेवल पर खतरनाक प्रभाव पड़ रहा था। फरवरी 2014 में किसान बाबूलाल बंजारा और पृथ्वी बंजारा ने एनजीटी में कम्पनी के खिलाफ याचिका दायर की थी।
एनजीटी ने विन्ध्याचल डिस्टिलरी को दोषी मानते हुए उस पर जुर्माना लगाया था और याचिकाकर्ताओं को एक-एक लाख रुपए के डिमांड ड्रॉफ्ट विन्ध्याचल डिस्टिलरी प्लांट द्वारा जारी करवाए गए थे। वहीं एनजीटी ने प्लांट से हर रोज निकलने वाले 40 टन ग्रेन फाइबर को बेचकर मिलने वाले 40 हजार रुपए से पीलूखेड़ी गाँव में विकास कार्य कराए जाने को कहा था।
राजगढ़ कलेक्टर को इस गाँव के विकास की योजना बनाने के निर्देश देते हुए उसमें आने वाले खर्च को विन्ध्याचल डिस्टिलरी के ग्रेन फाइबर फंड से लेने को भी कहा गया था।
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Post By: RuralWater