पंकज गर्ग

पंकज गर्ग
जलविज्ञान : प्रश्नोत्तरी (Hydrology: Quiz)
Posted on 28 Dec, 2015 03:45 PM


1. हाइड्रोलाॅजी किसका विज्ञान है (Hydrology is the science of what?)
(क) हवा तथा मृदा का
(ख) सड़क एवं नगरों का
(ग) जल का
(घ) वायुमण्डल का

2. ग्रीन हाउस प्रभाव, वायुमण्डल में किस गैस के बढ़ जाने के कारण होता है? (Which gas increases, the greenhouse effect in the atmosphere?)
(क) नाइट्रोजन
(ख) आॅक्सीजन
(ग) हाइड्रोजन

जल समाचार
Posted on 22 Dec, 2015 03:45 PM

झीलों के प्रदूषण से निपटने में कारगर है एयरेशन व बायोमैन्युपुलेशन तकनीक


दैनिक जागरण, (देहरादून 4 मार्च, 2011)
रिसर्च : सुखना झील, चंडीगढ़ मे जल की कमी-एक समस्या
Posted on 30 Nov, 2015 11:36 AM

सारांश


सुखना झील केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की एक महत्त्वपूर्ण झील है। यह निचले हिमालय की शिवालिक रेंज की तलहटी में स्थित एक मानव निर्मित झील है। पर्यटन, मनोरंजन और मत्स्य पालन के लिये झील में पर्याप्त पानी की उपलब्धता होना, झील के लिये अतिआवश्यक है। लेकिन विगत कुछ वर्षों में झील में पानी की उपलब्धता घट रही है। झील 2012 की गर्मियों के दौरान लगभग पूरी तरह से सूख गयी थी।
वर्षा जल तथा भू-जल में समस्थानिकों का क्षेत्रीय संजाल
Posted on 16 May, 2012 11:52 AM स्थिर समस्थानिकों का जल विज्ञान के क्षेत्र में उपयोग एक बड़ी उपलब्धि है। सर्वप्रथम फ्रीडमान द्वारा वर्षा जल में हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के समस्थानिकों में सह-परिवर्ती के अध्ययन के उपरांत क्रेग के द्वारा ग्लोबल मीटिओरिक वॉटर लाइन (जी.एम.डब्ल्यू.एल.) के रूप में स्थापना की गयी।
बादलों के फटने के कारण आपदा प्रबंधन
Posted on 30 Apr, 2012 09:24 AM तीव्र वर्षा, चक्रवात, बाढ़, सूखा, भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदायें देश के सामाजिक व आर्थिक विकास को प्रभावित करती हैं। इन आपदाओं के कारण पर्यावरणीय उतार-चढ़ाव के अतिरिक्त जन जीवन व जन सम्पदा की भयंकर हानि होती है। अधिकांशतः प्राकृतिक विनाश का मूल कारण मौसम से सम्बंधित होता है। इसके अंतर्गत बादलों के फटने के कारण होने वाली तीव्र वर्षा, चक्रवात, बाढ़ एवं सूखा सम्मिलित है।
वर्तमान परिवेश में अधिकतम वाष्पन के कारण दिल्ली के भू-जल में लवणता की वृद्धि
Posted on 31 Mar, 2012 01:46 PM

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली भारत की राजधानी है एवं सर्वाधिक जनसंख्या वाले नगरों की सूची में देश तृतीय स्थान

चयनित भारतीय नदियों के समस्थानिक गुणधर्म में स्थानिक एवं कालिक परिवर्तन
Posted on 31 Mar, 2012 12:44 PM चयनित भारतीय नदियों के समस्थानिक गुणधर्मों में स्थानिक एवं कालिक परिवर्तनों का अध्ययन, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजैन्सी (IAEA) वियना, ऑस्ट्रिया द्वारा प्रायोजित विशाल नदी बेसिनों में जलविज्ञानीय प्रक्रमों का समस्थानिक चित्रण नामक अनुसंधान परियोजना का एक भाग है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य समस्थानिक तकनीकी द्वारा वृहद नदी बेसिनों के जल चक्र के अध्ययन के लिए वृहद् पद्धति को विकसित एवं प्रदर्शित
बुलन्दशहर क्षेत्र में जल निकासी प्रणाली के अभिकल्पन हेतु जल वैज्ञानिक मृदा गुणधर्मों का आंकलन
Posted on 06 Jan, 2012 12:22 PM अधिक सिंचाई अथवा अतिशय वर्षा के कारण मृदा की ऊपरी सतह अथवा फसलों के मूल क्षेत्र में जल निकास की समस्या पैदा हो सकती है। यदि किसी क्षेत्र की ऊपरी मृदा कम पारगम्य हो तो स्थिति और भी भयंकर हो जाती है जैसाकि उ.प्र. के पश्चिमी भाग में स्थित बुलन्दशहर जिले में मृदा के ऊपरी सतह में कार्वोनेट की उपस्थिति से ऐसी स्थिति पाई गई है। बुलन्दशहर जिले का कुल क्षेत्रफल 4588 वर्ग किमी.
कृष्णा एवं पेनार प्रवहण क्षेत्रों (उप क्षेत्र-3 एच) के लिए बाढ़ आंकलन के सूत्र का विकास
Posted on 04 Jan, 2012 03:03 PM बाढ़ आंकलन की आधुनिक तकनीकों के विकसित हो जाने के उपरान्त भी उन क्षेत्रों के लिए जहां विस्तृत मात्रा में आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, अभियन्ताओं द्वारा विशेष रूप से लघु तथा मध्यम संरचनाओं के अभिकल्पन के लिए अनुभविक सूत्रों का प्रयोग किया जाता है। यद्यपि अधिकतर अनुभविक सूत्र जैसे की डिकेन का सूत्र, रीव का सूत्र, लिली का सूत्र आदि विभिन्न प्रत्यागमन काल की बाढ़ का आंकलन करने में सक्षम नहीं है।
समस्थानिक तकनीकों द्वारा टिहरी जलाशय से जल रिसाव के स्रोतों का आंकलन
Posted on 26 Dec, 2011 09:23 AM टिहरी बाँध का निर्माण गंगा की मुख्य सहायक नदी भागीरथी पर किया गया है। टिहरी बाँध की ऊंचाई 855 फीट (260.5 मी.) है तथा यह विश्व का पाँचवा एवं एशिया क्षेत्र में सबसे ऊँचा, मृदा व चट्टानों से निर्मित बाँध है। वर्तमान में टिहरी बाँध प्रचालन स्थिति में है। बाँध के अनुप्रवाह एवेटमेंट में जल दबाव कम करने के लिए जल निकासी गैलरियों का एक जाल निर्मित किया गया है। जलाशय के भराव एवं खाली होने के दौरान विभिन्न
×