झीलों के प्रदूषण से निपटने में कारगर है एयरेशन व बायोमैन्युपुलेशन तकनीक
दैनिक जागरण, (देहरादून 4 मार्च, 2011)
![जल समाचार](https://farm6.staticflickr.com/5778/23277269743_61c1118183.jpg)
ग्लेशियरों ने डाले माथे पर बल
हिन्दुस्तान (देहराूदन 4 फरवरी, 2011)
![ग्लेशियर](https://farm1.staticflickr.com/749/23821554631_0de3e03b55.jpg)
बूँद-बूँद से घट भरे
दैनिक जागरण (देहरादून 16 जनवरी, 2011)
![बूंद](https://farm6.staticflickr.com/5636/23277275503_e5eccba579.jpg)
इस योजना के अन्तर्गत सरकार एक मूल्य निर्धारण व्यवस्था पर भी विचार कर रही है जिससे विभिन्न क्षेत्रों में जल उपलब्धता के आधार पर जल मूल्य निर्धारण, सीवेज व्यवस्था में सुधार तथा ग्रामीण क्षेत्रों में जल उपलब्ध कराने वाली योजनाओं के विकास पर बल दिया जाएगा।
टिहरी से बड़ा बाॅंध बनाएगा टी.एच.डी.सी.
हिन्दुस्तान (देहरादून, 28 अक्टूबर, 2010)
टिहरी बाॅंध परियोजना से 9 राज्यों को रोशन करने के बाद टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन को भूटान में चार हजार मेगावाट की हाइड्रो परियोजना मिलने जा रही है। भूटान में संकोष नदी पर एशिया का सबसे बड़ा बाॅंध बनेगा। इस परियोजना से पूर्वी राज्यों में बिजली संकट तो दूर होगा ही, बंगाल व उड़ीसा में आने वाली बाढ़ पर भी अंकुश लगेगा। इसका जलाशय टिहरी बाॅंध के जलाशय से तीन गुना बड़ा होगा। भारत सरकार व राॅयल किंग आॅफ भूटान के बीच सहमति होने के बाद इसकी डी.पी.आर. तैयार की जा रही है।
पानी की जाॅंच करेंगी हाइटेक लैब
हिन्दुस्तान (देहरादून 22 अक्टूबर, 2010)
पानी की जाँच के लिये उत्तराखण्ड राज्य के सभी जिलों के पास अपनी हाइटेक लैब होगी। अब तक राज्य में लैब की संख्या सीमित है। अब जिलों में भी लैब खोली जाएँगी। लैब खोलने का कार्य केन्द्र सरकार की मदद से किया जाएगा। केन्द्र सरकार ने रूरल वाटर क्वालिटी एंड सर्विलांस प्रोग्राम के अन्तर्गत सभी जिलों में लैब स्थापना की योजना बनाई है। लैब में प्रथम चरण में आयरन, नाइट्रेट, कोलीफार्म, फीकल काॅलीफार्म, जैविक, क्लोराइड एवं हार्डनेस का टेस्ट किया जाएगा।
ओल्ड ग्राउंडवाटर की होगी खोज
अमर उजाला (देहरादून, 14 अक्टूबर, 2010)
राज्य ही नहीं पूरे देश में तमाम ऐसे स्थान हैं जहाँ हजारों साल से ओल्ड (पेलियो) ग्राउंडवाटर जमा है। वैसे तो यह जल स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है वहीं इसके सहारे किसी योजना का निर्माण करना भी करोड़ों का नुकसान उठाना है। राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (रा.ज.सं.) की ओर से देशव्यापी अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है जिसके अन्तर्गत भूजल के सैंपल एकत्रित कर ओल्ड ग्राउंडवाटर का पता लगाया जा सकेगा। इस सम्बन्ध में क्षेत्रीय स्तर पर समय-समय पर खोज होती रही है लेकिन आज तक योजनाबद्ध तरीके से इस दिशा में कार्य नहीं किया जा सका। भूमि के अन्दर बनावट इस प्रकार की होती है जिसमें जगह-जगह पानी एकत्रित होता जाता है और वह चारों तरफ से घिर जाता है। हजारों वर्षों बाद भी यह एक ही स्थान पर बना रहता है। ऐसे जल को पेलियो ग्राउंडवाटर कहते हैं। इसके अन्तर्गत राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान की ओर से देशव्यापी अभियान चलाने की योजना बनाई गई है। इसमें विभिन्न संस्थानों के सहयोग से ओल्ड ग्राउंडवाटर को चिन्हित कर उसे सूचीबद्ध करके उसकी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को भेजी जाएगी।
कनाडा के सैटेलाइट की नजर टिहरी बाँध पर
हिन्दुस्तान (देहरादून 23 सितम्बर, 2010)
आपदा की आशंका को देखते हुए कनाडा के सैटेलाइट से टिहरी बाँध की माॅनीटरिंग कराई जा रही है। यह अत्याधुनिक सैटेलाइट, डैम व कैचमेन्ट एरिया की बाहरी तथा भीतरी हलचल पर 24 घंटे नजर रखे हैं। इससे प्राप्त चित्रों का विश्लेषण प्रत्येक पाँच घंटे में टी.एच.डी.सी. व प्रदेश सरकार को उपलब्ध कराया जाएगा। उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र द्वारा बाँध व आस-पास का बेसिन डाटा नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, हैदराबाद के माध्यम से सम्बन्धित संस्था को भेजा जाएगा। डैम सम्बन्धी छोटी-बड़ी जानकारियाँ राज्य को उपलब्ध कराई जाएँगी।
बदल रहा है रेन फॉल का पैटर्न
अमर उजाला (देहरादून 30 जुलाई, 2010)
![रेन फॉल](https://farm6.staticflickr.com/5815/23536164579_33fd74a095.jpg)
खतरे की घंटी है हिन्द महासागर का तेजी से बढ़ता स्तर
दैनिक जागरण (देहरादून 15 जुलाई, 2010)
“नेचर जियोसांइस’’ के ताजा अंक में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि हिन्दमहासागर का तट स्तर पहले की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रहा है। सागरीय तट स्तर में सामान्यतः एक वर्ष में तीन मिमी. तक की वृद्धि हो रही है। लेकिन हिन्द महासागर का तट स्तर इससे अधिक तेजी से बढ़ रहा है वैज्ञानिकों ने 1960 से लेकर अब तक के आँकड़ों का तुलनात्मक विश्लेषण और कम्प्यूटरीकृत माॅडल पर इसे परखने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है।
एंडोसल्फान : दूसरे कीटनाशकों के बराबर नहीं
साभार-दैनिक नई दुनिया से
![News 12. Endosulfan](https://farm6.staticflickr.com/5771/23821540751_223cfa9db9.jpg)
केरल के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से मिलकर इस पर पाबन्दी लगाने की माँग की थी और इसी माँग को लेकर केरल के मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने एक दिन का उपवास भी रखा था लेकिन सरकार की दलील है कि इस कीटनाशक पर प्रतिबन्ध से पैदावार में कमी आएगी। सवाल उठता है कि ऐसी पैदावार किस काम की, जो लोगों को बीमार बनाती हो और मौत के मुँह में धकेलती हो। यह मुद्दा मानवीय सरोकारों से जुड़ा है।
पंकज गर्ग
वैज्ञानिक
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की
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