मनीष वैद्य
पीपल्याहाना तालाब मुक्त, अब नहीं बनेगी इमारत
Posted on 07 Feb, 2017 04:21 PMपीपल्याहाना तालाब का नीला पानी हवा के झोकों के साथ हिलोरें ले
163 मीटर उद्वहन कर खेतों तक पहुँचेगा नर्मदा का पानी
Posted on 07 Feb, 2017 11:02 AMमध्य प्रदेश की इन्दिरा सागर सिंचाई परियोजना की नहरों से खंडवा
पड़ोसी गाँव से लाये फसलों के लिये पानी
Posted on 06 Feb, 2017 04:39 PMकिसानों के लिये यह भी हैरत की बात थी कि जहाँ उनके गाँव में इत
धरती के भीतर नहर, ऊपर होगी खेती
Posted on 13 Jan, 2017 04:22 PMयह एशिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित बाँध है और इसमें मानवीय श्र
करोड़ों का सरकारी खर्च, आदिवासी बच्चे प्यासे
Posted on 13 Jan, 2017 03:36 PMबच्चों को पीने के पानी के लिये पूरे साल भटकना पड़ता है। यहाँ सड़क के पार गाँव में जाकर बच्च
चला गया पानी का असली पहरेदार
Posted on 20 Dec, 2016 11:57 AM
श्रद्धांजलि
समस्त इंडिया वाटर पोर्टल परिवार और अर्घ्यम की ओर से पानी के पुरोधा माने जाने वाले श्री अनुपम मिश्र जी को भावभीनी श्रद्धांजलि
श्री अनुपम मिश्र जी ने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज दिल्ली में आज 19 दिसम्बर, 2016 प्रातः 5:27 पर अंतिम साँस ली। उनकी अंतिम विदाई यात्रा दोपहर 1:00 बजे से गांधी पीस फाउंडेशन से शुरू होगी और निगम बोध घाट के विद्युतीय शवदाहग्रह पर समाप्त होगी। 2:00 बजे से सभी रीतिरिवाजों के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।
तब देश में पानी और पर्यावरण को लेकर इतनी बातें और आज की तरह का सकारात्मक माहौल नहीं था, और न ही सरकारों की विषय सूची में पानी और पर्यावरण की फ़िक्र थी, उस माहौल में एक व्यक्तित्व उभरा जिसने पूरे देश में न सिर्फ पानी की अलख जगाई बल्कि समाज के सामने सूखी जमीन पर पानी की रजत बूँदों का सैलाब बनाकर भी दिखाया। वे देश में पानी के पहले पहरेदार रहे, जिन्होंने हमे पानी का मोल समझाया।
गंगा से ज्यादा शुद्ध है नर्मदा का पानी
Posted on 17 Dec, 2016 02:39 PMसदियों से लोगों और खेत की जमीनों की प्यास बुझाती आई है। इसने
एसिडयुक्त पानी पीने को मजबूर
Posted on 10 Dec, 2016 02:37 PMवे लोग केमिकल व एसिडयुक्त पानी पीने को मजबूर हैं। पीला या काला और बदबूदार पानी जिससे हाथ धोने की भी इच्छा न हो, ऐसा पानी उन्हें पीना पड़ रहा है। यही पानी नालों से होते हुए क्षिप्रा की सहायक नदी नागधम्मन को प्रदूषित करता है और इसका दूषित पानी क्षिप्रा में भी पहुँचता है। इतना ही नहीं यहाँ के माहौल में साँस लेना भी दूभर होता जा रहा है। आसपास की हवा में प्रदूषण से तीव्र दुर्गन्ध आती रहती है। इन लोग