कुलभूषण उपमन्यु
कुलभूषण उपमन्यु
पानी के लिये बढ़ते टकराव - अात्मनिर्भर व्यवस्था के विकल्प
Posted on 08 Jul, 2016 04:54 PMपानी की बढ़ती कमी को ध्यान में रखते हुए पानी के प्रदूषण पर प्र
नदियों का दर्द
Posted on 11 Mar, 2016 01:26 PM
नदी का शुद्धीकरण अपने आप में एक जटिल प्रक्रिया है। भारतीय परम्परा में तो नदियों को माता तुल्य आदर देकर स्वच्छ रखने के प्रयास हुए। ये प्रयास एक लम्बे समय तक सफल भी हुए। जब तक हमारी सभ्यता औद्योगिक रासायनिक तरल व ठोस कचरे और शहरी मलजल को वर्तमान तरीके से निपटाने वाली व्यवस्था से मुक्त थी, हमारी नदियाँ शुद्ध थीं।
मुसीबत में एक नदी
Posted on 20 Feb, 2016 11:46 AMहिमाचल प्रदेश में औद्योगीकरण के अपने फायदे और नुकसान हैं। हालांकि इससे कुछ रोज़गार तो खड़े हुए किन्तु नदियों और वायु प्रदूषण के रूप में हमें भारी कीमत भी चुकानी पड़ी है। जो रोज़गार खड़े भी हुए उसमें ज़्यादातर अकुशल मजदूरी के अस्थायी रोज़गार ही हिमाचल के हिस्से आये। ऊपर से 70 प्रतिशत रोज़गार हिमाचलियों को देने का वादा भी पूरा नहीं हो सका।
भूगर्भीय जल संसाधन की सम्भाल करना जरूरी
Posted on 19 Jan, 2016 02:12 PM1970 और 2008 के बीच भारतवर्ष में लगभग 250 लाख हेक्टेयर असिंचित कृषि भूमि को सिंचाई योग्य बनाया गया, जिसमें भूजल का योगदान 85 प्रतिशत रहा।
पेरिस जलवायु सम्मलेन और भारत की चिन्ता
Posted on 08 Dec, 2015 04:12 PMप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ मिलकर पेरिस में अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन का शुभारम्भ किया और विकसित व विकासशील देशों को साथ लाने वाली इस पहल के लिये भारत की ओर से तीन करोड़ डालर की सहायता का वादा किया।हिमालय के प्राकृतिक जलस्रोतों की अनदेखी घातक
Posted on 10 Nov, 2015 04:07 PMहिमालय की तेज ढलानों में बर्फ और वनों के कारण पानी ज़मीन के अन्दर जमा होता रहता है और जहाँ भी ढलान में पानी को बाहर निकलने की जगह मिलती है, यह बाहर फूट पड़ता है। ऐसे स्थानों पर लकड़ी, धातु या पत्थर के पाइप लगाकर पानी भरने का स्थान बना लिया जाता है।
विकास, आजीविका और प्राकृतिक संतुलन
Posted on 11 Aug, 2011 11:17 AMविकास के जो काम हिमालय की प्रकृति को स्थायी नुकसान पहुंचाने वाले हैं उन्हें देशहित में यहां न क