डाउन टू अर्थ

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मन्दिरों से जुड़ा जल प्रबन्ध
Posted on 15 Jul, 2017 10:32 AM

दक्षिण भारत में खेतों की सिंचाई पारम्परिक रूप में पानी के छोटे-छोटे स्रोतों से की जाती थी। सिंचाई के संसाधनों के संचालन में मन्दिरों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता था। हालांकि चोल (9वीं से 12वीं सदी) और विजयनगर दोनों ही साम्राज्यों ने कृषि को बढ़ावा दिया, फिर भी इनमें से किसी ने भी सिंचाई और सार्वजनिक कार्यों के लिये अलग से विभाग नहीं बनाया। इन कार्यों को सामान्य लोगों, गाँवों के संगठनों और मन्दिरों पर छोड़ दिया गया था, क्योंकि ये भी जरूरी संसाधनों को राज्य की तरह ही आसानी से जुटा सकते थे।

उदाहरण के तौर पर, आन्ध्र प्रदेश के तिरुपति के पास स्थित शहर कालहस्ती में बना शैव मन्दिर चढ़ावों का उपयोग सिंचाई के लिये नहरों की खुदाई और मन्दिरों की अधिकृत जमीनों पर फिर अधिकार प्राप्त करने के लिये करता था।
तिरुपति के निकट त्रिचानूर स्थित मन्दिर का तालाब
मन्दिरों से जुड़ा जल प्रबन्ध
Posted on 09 Jul, 2017 04:40 PM
दक्षिण भारत में खेतों की सिंचाई पारम्परिक रूप में पानी के छोटे-छोटे स्रोतों से की जाती थी। सिंचाई के संसाधनों के संचालन में मन्दिरों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता था। हालांकि चोल (9वीं से 12वीं सदी) और विजयनगर दोनों ही साम्राज्यों ने कृषि को बढ़ावा दिया, फिर भी इनमें से किसी ने भी सिंचाई और सार्वजनिक कार्यों के लिये अलग से विभाग नहीं बनाया। इन कार्यों को सामान्य लोगों, गाँवों के संगठनों और मन्दिरों
गाद का साध
Posted on 09 Jul, 2017 04:31 PM

नदी केवल बहता पानी नहीं है। गाद इसका अविभाज्य अंग है। गंगा और डॉल्फिन पर काफी शोध कर चुके जीव विज्ञानी रविन्द्र कुमार सिन्हा कहते हैं, “गाद के बिना तो नदियाँ मर जाएँगी। गाद नहीं होगी तो जैवविविधता भी नहीं होगी।” गाद और रेत से बने टापुओं पर कई तरह के पक्षी और जलीय जीव रहते हैं। मछलियाँ जब धारा के विपरीत चलती हैं तो जरूरत पड़ने पर इन टापुओं के पी
मालधारियों के चमत्कार
Posted on 13 May, 2017 04:37 PM

खारी जमीन और खारे पानी के बीच अपनी साल भर की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिये ईजाद की ‘विरडा’ प्रणाली
भारत के जल गणराज्य
Posted on 01 Apr, 2017 12:11 PM

भारत में बारिश के कुछ खास दिनों में ही पड़ने के चलते भारतीयो
पर्यावरण मुकदमे
Posted on 19 Feb, 2017 03:46 PM

दिल्ली


20 सितंबरः दिल्ली उच्च न्यायालय ने केन्द्र और दिल्ली सरकार को यह निर्देश दिया कि वे ऐसे प्रभावी कदम उठाएँ, जिससे कि दिल्ली का कोई भी अस्पताल डेंगू रोगियों के उपचार या प्रवेश से इनकार नहीं कर सके।
बंजर भूमि की प्यास बुझाते ‘कुल’
Posted on 24 Jan, 2017 10:35 AM

हिमाचल प्रदेश की अनूठी जल प्रणाली ‘कुल’ ऊँचे पहाड़ों से घिरे स्पीति क्षेत्र की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी खेती करने में मददगार साबित हुई है। लेकिन विकास की अन्धाधुन्ध रफ्तार के कारण यह सदियों पुरानी सिंचाई व्यवस्था अब विनाश के कगार पर है
फ्लोरिसिस से तुलसी की जंग
Posted on 06 Apr, 2015 11:32 AM

सरदार पटेल महाविद्याल में पर्यावरण विज्ञान के सहायक प्रोफेसर राहुल कुम्बले से अपर्णा पल्लवी की बातचीत पर आधारित लेख।

द डार्क ज़ोन अर्थात अंधकार क्षेत्र
Posted on 22 Sep, 2008 11:32 AM

जब डाउन टू अर्थ संवाददाता निधि अग्रवाल और डीबी मनीषा ने भूमिगत जल में फ्लोराइड और विषाक्‍त पदार्थों पर अपनी रिपोर्ट लिखी तब हम इस समस्‍या के विस्‍तार और घातक प्रभावों की कल्‍पना मात्र से ही सिहर उठे। वास्‍तव में निराशा में लिखी गई एक कहानी है, जिसका नाम - द डार्क ज़ोन है/ यह भूमिगत जल के बारे में उस समय की कहानी है जब पानी (रस) विष में बदल जाता है और जब किसी एक कष्‍टदायी रोग और मौत का कारण बन ज

सस्ता, सुलभ, सरल ज्ञान
Posted on 17 Sep, 2018 06:28 PM
गोंडों का काटा तालाब (फोटो साभार - डाउन टू अर्थ)द्रविड़ मूल की सबसे प्रमुख जनजाति गोंड भारत की अनार्य जनजातियों में सबसे महत्त्वपूर्ण है। गोंड साम्राज्य स्थापित करने में माहिर थे। नौवीं शताब्दी तक मध्य प्रान्त के सम्पूर्ण पूर्वी भाग और सम्बलपुर के एक बहुत बड़े क्षेत्र में गोंडों का साम्राज्य स्थापित हो
गोंडों का काटा तालाब
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