अभय मिश्र

अभय मिश्र
माई बनी मालगाड़ी
Posted on 17 Sep, 2016 12:31 PM


महात्मा गाँधी का प्रसिद्ध कथन है, “प्रकृति के पास इतना है कि वह सभी की जरूरतों को पूरा कर सकती है, लेकिन इतना नहीं है कि किसी एक का भी लालच पूरा कर सके।” मध्य भारत की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नदी नर्मदा इसी लालच हलकान है। नर्मदा में सौ से ज्यादा छोटे बड़े बाँध बनाए गए हैं इनसे नहरें निकाल कर हजारों हेक्टेयर इलाकों में सिंचाई की जा रही है।

मध्य प्रदेश और गुजरात के कई क्षेत्रों, जो नर्मदा से पचासों किलोमीटर दूर है, को पीने का पानी भी इसी नदी से सप्लाई किया जाता है, साबरमती को जिन्दा बनाए रखने में भी नर्मदा की भूमिका है, यहाँ तक की सिंहस्थ कुम्भ शाही स्नान की जिम्मेदारी भी नर्मदा माई पर ही है।

विश्व बैंक का गंगा विचार
Posted on 27 Aug, 2016 12:01 PM

जाने माने इकोलॉजिस्ट अनुब्रतो कुमार राय, जिन्हें लोग दूनू राय के नाम से जानते हैं, ने विश

हरसूद के बाद
Posted on 29 Jul, 2016 11:02 AM

बहते पानी के किनारे बसने वाला समाज सूखी और दलदली भूमि में बद
घोषणाओं का नहीं समीक्षा का वक्त
Posted on 02 Jul, 2016 10:09 AM

फरक्का में मौजूद 2100 मेगावाट का एनटीपीसी का प्लांट फरवरी से
खुलने लगा है गंगा का बाजार
Posted on 26 Jun, 2016 12:16 PM


डाक द्वारा गंगाजल आपके द्वार पर भेजने की ‘सुविधा’ सरकार शुरू करने जा रही है और इस सुविधा की आड़ में गंगा को बेचने की पहली कोशिश को साकार किया जा रहा है। साधु सन्तों ने इस सरकारी कोशिश के खिलाफ बिगुल बजा दिया है जिससे ये भ्रम पैदा होता है कि गंगा को अर्थ स्वरूप में बदले जाने की सबसे ज्यादा चिन्ता इन्हें ही है।

बहरहाल जो डाक घर चिट्ठी ठीक से नहीं पहुँचा सकते वे आपके घर गंगाजल पहुँचाएँगे इसमें सन्देह है। एक काँच की बोतल जो विशेष तौर पर डाक विभाग गंगाजल के लिये डिजाइन करवाएगा (प्लास्टिक की बोतल या पानी का पाउच जैसी पैकिंग से पर्यावरणविदों को एकदम नया कष्ट होगा।) इस बोतल के खर्चे के अलावा गंगाजल स्टोरेज का खर्चा आदि मिलाकर 251 रुपए से कम में गंगाजल आपके घर तक नहीं पहुँचेगा।

सदी का सबसे बड़ा पलायन
Posted on 16 Jun, 2016 12:26 PM


गंगाराम के नाम में गंगा और राम दोनों हैं लेकिन उनका भरोसा इन दोनों से ही उठ चुका है। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के तिवारीटोला निवासी गंगाराम अपने परिवार के अकेले सदस्य हैं जो अपने पुस्तैनी घर में रह रहे हैं।

डायमंड हार्बर- गुलामी की बदलती तस्वीर
Posted on 08 May, 2016 12:39 PM


एक समय था जब बंगाल का डायमंड हार्बर, ईस्ट इण्डिया कम्पनी का प्रमुख ठिकाना हुआ करता था। अंग्रेजों ने बंगाल लूट को बाहर ले जाने के लिये यहाँ एक विशाल जेट्टी यानी बंदरगाह का निर्माण किया था। यहाँ के बाशिंदे जो मूलत बंगाली मछुआरे थे, धीरे–धीरे ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कामगार बन गए।

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