The rising trend of abandoning open wells for borewells in Chikkaballapur and Annamayya districts, and the potential negative consequences of this shift.
बेहिसाब भूजल दोहन भूकंप के खतरे को विनाशकारी बना देगा। हाल फिलहाल के दो अध्ययन हमारे लिए खतरे का संकेत दे रहे हैं। एक अध्ययन पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के आवृत्ति और तीब्रता बढ़ने की बात कर रहा है। तो दूसरा भूजल का अत्यधिक दोहन से दिल्ली-NCR क्षेत्र के कुछ भाग भविष्य में धंसने की संभावना की बात कर रहा है। दोनों अध्ययनों को जोड़ कर अगर पढ़ा जाए तस्वीर का एक नया पहलू सामने आता है।
As cities such as Bangalore grapple with the water crisis, understanding the value of conserving groundwater to prevent this from happening in the future is urgently needed!
Posted on 07 Jul, 2015 12:21 PMआचार्य वराह मिहिर (लगभग 5-6 शती ई.) द्वारा लिखित प्रसिद्ध फलित ज्योतिष-ग्रन्थ ‘वृहत्संहिता का 53वाँ अध्याय है- ‘हकार्गल’ अर्थात अर्गला (छड़ी) के माध्यम से भूगर्भ के जल का पता लगाना। इस विधि के जानकार आज भी उपलब्ध हैं। इस अध्याय के कुछ अंश-
धर्म्य यशस्यं च वदाम्तोSहं दकार्गलं येन जलोपलब्धिः।
Posted on 02 Apr, 2015 03:34 PMसाफ पानी की कम होती उपलब्धता के बारे में संयुक्त राष्ट्र की यह पहली चेतावनी नहीं है। बढ़ते पेयजल संकट के बारे में वह हर साल दो बार अपनी रिपोर्ट जारी करता है। आंकड़ो के जरिए स्थिति की गम्भीरता को दिखाता है, उन तौर-तरीकों के बारे में चेताता है जिनसे साफ पानी की किल्लत बढ़ रही है। चेतावनी पर दुनिया ने कितना ध्यान दिया है, इस बारे में कोई क्या बताये संयुक्त राष्
Posted on 20 Mar, 2015 04:43 PMदिल्लीवासियों को पाइप लाइन से जल आपूर्ति उपलब्ध किए जाने के क्रम में तथा गैर राजस्व जल हानि को कम करने के उद्देश्य से बोर्ड ने अनधिकृत पानी के कनेक्शनों को नियमित करने की योजना को प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है। इससे पूर्व अनधिकृत कनेक्शन को नियमित कराने के लिए आवेदनकर्ता को 20,000 का भुगतान करना पड़ता था। उपभोक्ता के लिए अधिकृत पानी के कनेक्शन से पानी प्राप्त करने के लिए इन प्रभारों को अब 3,3
Posted on 19 Mar, 2015 10:26 AMविनय पहली बार गाँव आया, तो नलकूप से पानी की मोटी धार निकलती देख उसे बहुत ताज्जुब हुआ। ऐसा उसने शहर में कभी नहीं देखा था। वहाँ तो बस, नल से धीरे-धीरे निकलता पानी ही उसने देखा था। उसकी उत्सुकता देखकर उसके पिता ने उसे भूगर्भीय जल आदि के बारे में जो कुछ बताया, उससे वह आश्चर्यचकित हो गया। उसके पिता ने ऐसी कौन सी जानकारियाँ उसे दीं? जानने के लिए पढ़े कहानी-
Posted on 03 Mar, 2015 04:14 PM पुराण, इतिहास गवाह हैं कि अपनी जड़ों से कट कर सब चेतन-अचेतन मुरझा जाते हैं। मूल से कट कर मूल्य कभी बचाए नहीं जा सके। सभ्यताएँ, परम्पराएँ, समाज भी हरे पेड़ों की तरह होती हैं। उन्हें भी अच्छे विचारों की खाद, सरल मन जल की नमी, ममता की आँच और प्रकृति के उपकारों के प्रति कारसेवक-सा भाव ही टिका के रख सकता है। इन सब तत्वों के बिना समाज के भीतर उदासी घर करने लगती है।
पंजाब आज इसी उदासी का शिकार है। अनुभव कहता है कि जब भी कोई समाज अपने को अपने से काट कर अपना भविष्य संवारने निकलता है तो उसमें परायापन झलकने लगता है। परायेपन को बनावटीपन में बदलते देर नहीं लगती। आज ऐसा ही परायापन हरित क्रान्ति के मारे और नशों में झूमते पंजाब के कोने-कोने में देखने को मिलता है। परायापन एक गम्भीर समस्या है, बेशक वो घर का हो या समाज का। उससे सबकी कमर झुकने लगती है।
Posted on 22 Feb, 2015 11:40 AMदुनिया का भू-जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। दुखद और चिन्ताजनक बात ये है कि कम हो रहे भू-जल की इस विकट समस्या से निपटने के लिए अब तक वैश्विक स्तर पर कोई भी ठोस पहल होती नहीं दिखी है। ये एक कटु सत्य है कि अगर दुनिया का भू-जल स्तर इसी तरह से गिरता रहा तो आने वाले समय में लोगों को पीने के लिए भी पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा। हालाँकि ऐसा कतई नहीं है कि कम हो रहे पानी की इस समस्या का हमारे पास कोई सम