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हिमाचल और उत्तराखंड त्रासदी: हम प्रकृति को मार रहे हैं, इसका खामियाजा हम भुगत रहे
विशेषज्ञों की परिवर्तन पर मानें तो हम प्रकृति को मार रहे हैं, वो हमें मार रही है। उनका मानना है कि अब वक्त पहाड़ी राज्यों में प्रकृति की इस विनाश लीला पर शोक मनाने का नहीं है। अब वक्त है जलवायु तत्काल कार्यवाही करने का। Posted on 19 Aug, 2023 03:35 PM

हिमाचल प्रदेश में बारिश और उसके बाद हुए भूस्खलन में कम से कम 75 लोगों की जान जाने के बाद वहाँ की सरकार ने वहाँ राज्य स्तरीय आपदा घोषित कर दी। उत्तराखंड में भी हाल कुछ मिलता
जुलता ही है।

जलवायु परिवर्तन
जलीय खरपतवार : समस्याएं एवं नियंत्रण (Essay on Aquatic Weeds: Problems and Solutions)
आज स्वच्छ पेयजल की समस्या एक जटिल वैश्विक चुनौती के रूप में हमारे समक्ष उपस्थित हैं और आगे आने वाले कुछ वर्षों में पेयजल की समस्या विकराल रूप धारण करेगी, जिससे विश्व के सभी देश स्वच्छ जल को पाने के लिए युद्ध करेंगे। आज शहरों के अधिकांश नाले जिनमें मल, मूत्र, घरेलू कूड़ा कचरा एवं अन्य अपशिष्ट एवं रासायनिक पदार्थ मौजूद होते हैं वे हमारी नदियों में जाकर गिरते हैं, वहीं शहरों में स्थापित औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले रासायनिक पदार्थ, प्लास्टिक एवं अन्य अशुद्धियाँ भी हमारी नदियों को प्रदूषित करती हैं। हमारे जलस्रोतों को प्रदूषित करने में खरपतवार भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
Posted on 19 Aug, 2023 01:32 PM

सारांश

जल प्रकृति द्वारा दिया गया एक अनमोल उपहार है जिसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। बढ़ती हुई जनसंख्या, शहरीकरण, औद्योगीकरण एवं पर्यावरण प्रदूषण के कारण जल की खपत निरंतर बढ़ती जा रही है, जिसके कारण पृथ्वी पर जलचक्र का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। आज स्वच्छ पेयजल की समस्या एक जटिल वैश्विक चुनौती के रूप में हमारे समक्ष उपस्थित हैं और आगे आने वाले कुछ व

जलकुम्भी खरपतवार,PC-Wikipedia
सावन की ऋतु आई
‘गर्मी पाकर पानी के अणु हवा पर सवार हो जाते हैं। इसे हम वाष्पन कहते हैं। गर्मी की उपलब्धता बढ़ने के साथ वाष्पन की गति बढ़ती जाती है। पानी के अणु एकल होते हैं तो उन्हें उठाए रखने में हवा को कोई परेशानी नहीं होती है। जलयुक्त हवा ऊपर उठ कर ठण्डी हो जाती है तो पानी के अणु आपस में चिपक कर सूक्ष्म बूंदों में बदलने लगते हैं। यहीं बादलों की उत्पत्ति होती है। बादलों की आपसी रगड़ से उनमें धन या ऋण आवेश पैदा हो जाता है। विपरीत आवेश के बादल पास में आने पर ऋण आवेश छलांग लगा कर एक बादल से दूसरे में जाता है तो मार्ग चमकता है, गर्जन पैदा होती है।’
Posted on 18 Aug, 2023 02:52 PM

सावन 

रहीम जी ने कहा कि ‘रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून’ भारत में पानी सावन में आता है। अतः यह कहें कि ‘ऋतुवर सावन राखिए, विन सावन सब सून।’ सावन सूखा होने की बात सुनकर भारत के वित्त मंत्री को बुरे सपने आने लगते हैं। बसंत को ऋतुओं का राजा कहते समय लोग यह भूल जाते हैं कि वर्षा बिना बसन्त बहार नहीं आ सकती। जब पानी ही नहीं होगा तो कैसे पौधे पनपेंगे और कैसे उन पर

 वर्षा के साथ मेंढक, मछली व केंचुए भी बरसते हैं
जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव
‘भारत की अधिकांश छोटी-बड़ी नदियाँ प्रदूषण की चपेट में आ गई हैं। सर्वाधिक पवित्र मानी जाने वाली गंगा नदी अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी है। जल प्रदूषण की समस्या एक जटिल समस्या है। जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव केवल मनुष्य हीं अपितु पशुओं, मछलियों, चिड़ियों पर भी पड़ता है। प्रदूषित जल न पीने योग्य, न कृषि के लिए और न उद्योगों के अनुकूल होता है। पेयजल का संकट किस कदर बढ़ता जा रहा है इसका नमूना है बोतलबंद पानी का फलता-फूलता संसार। नगरों तथा महानगरों में बोतलबंद पीने के पानी की बिक्री आम होती जा रही है।’
Posted on 18 Aug, 2023 01:12 PM

बढ़ती हुई तीव्र जनसंख्या, औद्योगीकरण तथा नगरीकरण के कारण स्वच्छ जल की आवश्यकता दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। आज जल की गुणवत्ता में गिरावट आती जा रही है। जल प्रदूषण तत्वों के दो प्रमुख कारण हैं एक प्राकृतिक और दूसरा मानवीय प्राकृतिक कारणों से जल प्रदूषण इतनी मंद गति से होता है कि सामान्य रूप से इसके कोई भयंकर परिणाम सामने नहीं आते। जल प्रदूषण के प्राकृतिक कारणों में भू-क्षरण और खनिज पदार्थ की

जल प्रदूषण के मानवीय कारक
जैविक खाद का काम,जल की बचत के साथ ही दे पौधों को नई जान
अधिक से अधिक पैदावार हासिल करने के लिए निरंतर प्रयोग किए जा रहे फर्टिलाइजर व रसायन मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरकता को समाप्त कर रहे हैं। Posted on 16 Aug, 2023 06:02 PM

आज के दौर की कृषि पद्धति काफी आधुनिक हो गई है। जिस रफ्तार से कृषि में आधुनिकता का समावेश किया जा रहा है उससे किसानों को त्वरित फायदे प्राप्त हो रहे हैं। लेकिन, इन झटपट फायदे के फेर में वे कई दीर्घकालीन समस्याओं को निमंत्रण दे रहे हैं। अधिक से अधिक पैदावार हासिल करने के लिए निरंतर प्रयोग किए जा रहे फर्टिलाइजर व रसायन मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरकता को समाप्त कर रहे हैं। मिट्टी की उर्वरकता में गिराव

नीम से खाद तैयार,PC-Wikipedia
कलकल, छलछल,बहती गंगा
पूरे विश्व में किसी भी नदी की तुलना में गंगा सर्वाधिक आबादी को प्रभावित करती है। Posted on 16 Aug, 2023 04:00 PM

धरती को प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है, उनमें प्रमुख हैं पहाड़, खनिज, नदी और जंगल नदियां बहुत प्रकार की हैं, लेकिन सब में गंगा की अलग पहचान है। पूरे विश्व में किसी भी नदी की तुलना में गंगा सर्वाधिक आबादी को प्रभावित करती है। यह हिमालय के गंगोत्री से 19 किलोमीटर आगे गोमुख से निकलती है और कुल 2525 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसका नाम जगह-जगह बदल जाता है। हिमालय में यह भाग

धार्मिक आस्था का प्रतीक गंगा,PC-Wikipedia
प्रकृति – एक मुफ़्त चिकित्सक व मुफ़्त दवाओं का खजाना
मानव प्रकृति भी प्रकृति के खजानें का ही एक हिस्सा है जिसमें बिमारियों से निपटने की अद्भुत क्षमताएं छिपी हैं जो रोगों को पनपने ही नहीं देती हैं। Posted on 12 Aug, 2023 05:03 PM

प्रत्येक व्यक्ति में प्रकृति ने स्वयं ठीक होने की ताकत भरी है। अच्छे स्वास्थ्य की सबसे अच्छी दवा है पानी, ताजी हवा, सूरज की रोशनी और नींद, जिसे समृद्धशाली प्रकृति ने बिना किसी कीमत के हमें मुफ्त में दिया है। स्वयं को सेहतमंद रखना जटिल काम नहीं है। सबसे आसान काम यानि चलना भी सबसे अच्छी औषधि है। अगर प्रतिदिन सूर्य की रोशनी लें, पानी पिएं, सही तरीके से सांस लें और अच्छी नींद सोएं तो दुनिया में चिक

हर्बलिज़्म जड़ी-बूटी चिकित्सा,PC-Wikipedia
तकनीक से हासिल निर्मल जल
खारे पानी को मीठे पानी में बदलने के लिए विलवणीकरण किया जाता है ताकि यह मानव खपत या सिंचाई के उपयुक्त बन सके। उन क्षेत्रों में जहां ताज़े पानी की उपलब्धता सीमित है, वहां सस्ते ढंग से ताजा पानी उपलब्ध कराने के लिए आजकल विलवणीकरण की प्रक्रिया पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। Posted on 05 Aug, 2023 01:54 PM

वर्तमान युग में एक ओर लोगों को साफ जल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो दूसरी ओर जल से संबंधित समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। जल संबंधी समस्याओं में सर्वप्रमुख है जल का खारापन, जिसके लिए अब विलवणीकरण या डिसेलिनेशन तकनीक का व्यापक प्रयोग किया जा रहा है। सरल भाषा में कहें तो विलवणीकरण उस प्रक्रिया को कहते हैं.

तकनीक से हासिल निर्मल जल,PC-Wikipedia
पानी की गुणवत्ता बेहतर स्वास्थ्य की कुंजी है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पुष्टि करता है कि सुरक्षित पानी एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य आवश्यकता है। Posted on 05 Aug, 2023 12:41 PM

सुरक्षित और साफ पानी एक बुनियादी जरूरत है। पीने के पानी की खपत केवल दो पहलूओं पर निर्भर करती है, वह पीने लायक है या नहीं और उसका स्वाद कैसा है। पीने योग्य का मतलब है कि पानी पीने के लिए सुरक्षित हो और स्वादिष्ट का मतलब है कि पानी पीने के लिए स्वच्छता की दृष्टि से अनुकूल हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पुष्टि करता है कि सुरक्षित पानी एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य आवश्यकता है। बिना साफ

फील्ड टेस्ट किट (एफटीके), Pc-Wikipedia
बोतल बंद पानी और आर.ओ. छोड़िए, प्राकृतिक उपचार से भी पानी होता है शुद्ध
पातालकोट गहरी खाई में बसा 2500 वनवासियों का प्राकृतिक आवास है जो करीब 16 गांवों में फैला हुआ है। चारों ओर विशालकाय पहाड़ों और चट्टानों से घिरी इस घाटी की बनावट ऐसी है कि बारिश खूब होती है लेकिन ज्यादातर पानी बह जाता है। गर्मियों के आगमन के साथ पीने योग्य पानी की समस्या आम हो जाती है। पातालकोट के वनवासियों को कृषि से लेकर पेयजल तक के लिए वर्षा पर पूर्णतः निर्भर रहना पड़ता है। तेज चलने वाली हवाओं के साथ मिट्टी और धूल के कण, पेड़ की शाखाएं आदि इस पानी में गिरकर इसे मटमैला और दूषित कर देती हैं, इनमें मौजूद सूक्ष्मजीव जैसे बैक्टिरिया, वायरस, प्रोटोजोआ आदि इस पानी को संक्रमित बनाते हैं। पातालकोट वनवासी पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपने पारंपरिक तरीकों से अशुद्ध पानी को पीने लायक बनाते हैं। निर्गुडी, निर्मली, सहजन, कमल, खसखस, इलायची जैसी वनस्पतियों का इस्तेमाल कर आज भी जल का शुद्धीकरण करते हैं, इन देशी तकनीकों को आम शहरी लोग भी घरेलू स्तर पर अपना सकते हैं।

Posted on 04 Aug, 2023 02:18 PM

बोतलबंद पानी को लेकर चौंकाने वाली खबर आई है। अमेरिका में हुई रिसर्च में पता चलता है कि विभिन्न कंपनियों के पानी में प्लास्टिक के खतरनाक कण मिले हैं। आर.ओ.

पातालकोट घाटी,PC-Wikipedia
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