पानी की गुणवत्ता बेहतर स्वास्थ्य की कुंजी है

फील्ड टेस्ट किट (एफटीके), Pc-Wikipedia
फील्ड टेस्ट किट (एफटीके), Pc-Wikipedia

सुरक्षित और साफ पानी एक बुनियादी जरूरत है। पीने के पानी की खपत केवल दो पहलूओं पर निर्भर करती है, वह पीने लायक है या नहीं और उसका स्वाद कैसा है। पीने योग्य का मतलब है कि पानी पीने के लिए सुरक्षित हो और स्वादिष्ट का मतलब है कि पानी पीने के लिए स्वच्छता की दृष्टि से अनुकूल हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पुष्टि करता है कि सुरक्षित पानी एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य आवश्यकता है। बिना साफ-सफाई वाला दूषित पानी पीने से कई जल जनित रोग हो जाते हैं। एसडीजी के तहत लक्ष्य 6.1 विशेष रूप से सुरक्षित और किफायती पेयजल के लिए सार्वभौमिक और समान पहुंच की मांग करता है।

अब तक लोग आपूर्ति किए गए पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए सार्वजनिक और निजी स्वामित्व वाली जल परीक्षण प्रयोगशालाओं पर निर्भर रहे हैं। जागरूकता की कमी तथा ग्रामीण और उपनगरीय क्षेत्रों में जल परीक्षण प्रयोगशालाओं की सीमित उपलब्धता को देखते हुए, पानी का परीक्षण शायद ही कभी किया जाता था।

इसने पानी की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) के उपयोग का मार्ग प्रशस्त किया। एफटीके लागत प्रभावी, सुलभ और उपयोग में आसान हैं। जल जीवन मिशन के तहत प्रत्येक गांव में पांच महिला सदस्यों को एफटीके का उपयोग करके स्रोत और वितरण बिंदुओं पर पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है - वे परिवार के लिए पानी की • प्राथमिक प्रबंधक हैं। उन्हें अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए दूर-दूर से पानी इकट्ठा करने के कठिन परिश्रम का सामना करना पड़ता है।

मिशन सभी जल परीक्षण प्रयोगशालाओं के लिए एनएबीएल मान्यता प्राप्त करने की आवश्यकता पर जोर देता है। यह राज्य सरकारों से सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से विश्वविद्यालयों/ कॉलेजों, उच्च विद्यालयों और स्वास्थ्य केंद्रों के साथ साझेदारी में पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने का आग्रह करता है। यहां तक कि हर घर और गांव की संस्थाओं में आपूर्ति किए जाने वाले पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों की यात्रा करने के लिए मोबाइल जल परीक्षण इकाइयां भी स्थापित की जा रही हैं। ग्राम जल और स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएसी) को पानी की गुणवत्ता की निगरानी और पर्यवेक्षण करने, बनाए गए बुनियादी ढांचे के संचालन और प्रबंधन के लिए अधिकार दिया जा रहा है और समुदाय को जल स्रोत स्थिरता और पानी के विवेकपूर्ण उपयोग के प्रति संवेदनशील बनाया जा रहा है। पंचायतों में एफटीके प्रदान करके, मिशन का उद्देश्य बेहतर स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित पानी की खपत के बारे में समुदाय में जागरूकता पैदा करना है। पीने योग्य पानी पीने से जलजनित रोगों को काफी हद तक कम किया जा सकता है जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य की समस्याओं पर खर्च को कम करने में मदद मिलेगी।

डब्ल्यूएचओ मल कोलीफॉर्म के लिए बैक्टीरियोलॉजिकल परीक्षणों की सिफारिश करता है जो अन्य हानिकारक रोगजनकों के साथ मल संदूषण की उपस्थिति की पुष्टि करते हैं। बैक्टीरियोलॉजिकल परीक्षण जो एफटीके का एक हिस्सा था, सबसे पहले मांजा एट अल (1982) द्वारा रिपोर्ट किया गया था। यह हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) पैदा करने वाले बैक्टीरिया का पता लगाने पर आधारित साइट पर माइक्रोबियल जल परीक्षण करने की विधि थी।

जल, स्वच्छता और साफ-सफाई संस्थान (वाश संस्थान) ने तमिलनाडु और कर्नाटक में पानी की गुणवत्ता परीक्षण के लिए एफटीके का उपयोग करने के लिए समुदाय को प्रशिक्षित किया है। संस्थान ने पुदुक्कोट्टई और थेनी जिलों में ही केवल *80 लोगों को प्रशिक्षित किया जबकि इससे 40 गांवों में रहने वाले 5,000 से अधिक परिवारों के लिए सुरक्षित पानी सुनिश्चित हुआ है।

वर्ष 2019 में पुदुकोट्टई और थेनी जिले के 20 गांवों में पंचायती राज प्रतिनिधियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, स्कूल शिक्षकों, ग्राम जल आपूर्ति ऑपरेटरों और स्वयं सहायता समूहों के लिए एक दिवसीय जल गुणवत्ता परीक्षण प्रशिक्षण आयोजित किया गया था। लक्षित गांवों में स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों, पेयजल स्रोतों और सार्वजनिक पानी के नलों से पानी के नमूने एकत्र किए गए और 1.100 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया।

वर्ष 2019 और वर्ष 2020 के बीच फिर से इसी तरह के प्रशिक्षण आयोजित किए गए। गुंडलुपेट में लगभग 100 स्कूली बच्चों और नागपट्टिनम में 150 ग्रामीणों को प्रशिक्षित किया गया। इनके अलावा, डिंडीगुल जिले के 10 स्कूलों के 180 छात्रों ने जल गुणवत्ता परीक्षण का लाइव नमूना- प्रदर्शन देखा, जिससे 2,500 लोगों को लाभ हुआ। जल गुणवत्ता परीक्षण के परिणामों को समुदाय के साथ साझा किया गया । दूषित पानी को उबालने, क्लोरीनीकरण करने, बायो- रेत फिल्टर का उपयोग करने के व्यावहारिक प्रशिक्षण का भी नमूना प्रदर्शन किया गया।

डिंडीगुल जिले के रेड्डियारछत्रम में वाश संस्थान द्वारा एक अत्याधुनिक जल और अपशिष्ट जल प्रयोगशाला स्थापित की गई है। यह आसपास के गांवों के लिए जल परीक्षण सुविधा प्रदान करती है। मिशन के एक सेक्टर पार्टनर के रूप में, संस्थान 8 राज्यों में पानी की गुणवत्ता की निगरानी और पर्यवेक्षण को बढ़ावा देता है।

वाश संस्थान जल क्षेत्र में कार्यबल को 'कुशल बनाने के लिए जल और अपशिष्ट जल गुणवत्ता प्रबंधन में एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा जल्द
ही शुरू कर रहा है।
लेखिका वाश संस्थान, अकादमिक केंद्र पाठ्यक्रम में उप प्रधानाचार्य हैं।  स्रोत : जल जीवन संवाद, अंक X, जुलाई 2021

स्रोत: वाश संस्थान, अकादमिक पाठ्यक्रम केंद्र

 

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