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संरक्षण - जल उपयोग को कम करना
गली नियंत्रण संरचनाएं/ रोक बांध/ बंधारे/ चेक डैम
Posted on 16 Sep, 2008 07:17 AMये संरचनाएं अपवाह वेग नियंत्रण, जल धाराओं का जल संग्रहण, मृदा अपरदन को रोकने में प्रयुक्त होती है। प्रमुखतया गली निंयत्रण की निम्नलिखित संरचनाएं प्रयोग में लाई जाती है। चेकडैम से कठोर चट्टानी क्षेत्रों में भी मौजूद रोक बांधों से भी जल का संग्रहण किया जा सकता है, लेकिन इसमें एक खतरा यह होता है कि इनका सतह फैला होने के कारण काफी जल वाष्पित हो जाता है। रोक ब
पानी संग्रहण की परंपरागत पहाड़ी विधियां
Posted on 15 Sep, 2008 04:28 PMपरम्परागत विधिया टिकाऊ और कम खर्चीली तो हैं ही साथ ही साथ हमारे वातावरण के लिये भी अनुकूल हैं। इनको संचालित करने के लिये किसी भी तरह की ऊर्
सेटेलाइट से जल प्रबंधन
Posted on 14 Sep, 2008 08:22 AMभास्कर न्यूज/ जोधपुर: प्रदेश में तेजी से गिरते भूजल स्तर से अगले दो दशक में पानी के भीषण संकट की आशंका को देखते हुए इसरो के सेंट्रल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने जल प्रबंधन की कवायद शुरु कर दी है। इसके लिए भूजल विभाग समेत अन्य संबंधित विभागों के लिए इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट का प्रारुप तैयार किया जा रहा है।हिमालय - विश्व का उच्चतम जल
Posted on 11 Sep, 2008 09:52 AMपृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ जल है, जिससे पृथ्वी का 70 प्रतिशत् भाग ढका है। कुल जल की मात्रा का 97.3 प्रतिशत (135 करोड़ घन किमी0) सागर और महासागर के रूप में तथा 2.7 प्रतिशत (2.8 करोड़ घन किमी0) बर्फ से ढका है। इसके अतिरिक्त 7.7 घन किमी0 जल भूमिगत है।
भूमि तथा जल की सुरक्षा के लिए जैविक तकनीक कारगर
Posted on 10 Sep, 2008 10:03 AMमणिशंकर उपाध्याय /वेबदुनिया/ वर्षा जल के संचय के लिए अनेक प्रचलित यांत्रिक विधियाँ अपनाई जाती हैं। इन विधियों से जमीन पर तो भौतिक रूप से जल एकत्रित हो जाता है लेकिन इससे मिट्टी की दशा में कोई सुधार नहीं होता है।
कृषि भूमि पर जल संरक्षण
Posted on 09 Sep, 2008 12:12 PM
'भूमि' एवं 'जल' प्रकृति द्वारा मनुष्य को दी गई दो अनमोल सम्पदायें है जिनका कृषि हेतु उपयोग मनुष्य प्राचीनकाल से करता आया है। परन्तु वर्तमान में इनका उपयोग इतनी लापरवाही से हो रहा है कि इनका संतुलन ही बिगड़ गया है तथा भविष्य में इनके संरक्षण के बिना मनुष्य का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा।
मृदा एवं जल संरक्षण विधियां
Posted on 08 Sep, 2008 10:44 PMमृदा एवं जल संरक्षण विधियों द्वारा वर्षा की बूंदों को भूमि की सतह पर रोककर मृदा के विखराव को रोका जा सकता हैं। इसमें सतही अपवाह को रोककर भूमि में निस्तारण भी शामिल है। मृदा संरक्षण की व्यवहारिक विधियों को कृष्य एवं अकृष्य दोनों प्रकार की भूमि पर अपनाना चाहिए। इन विधियों द्वारा उपजाऊ ऊपरी मृदा परत के संरक्षण के साथ-साथ भूमि में जल का संरक्षण भी हो जाता है।
मुद्दा : वर्षा-बूंदों को सहेजना जरूरी
Posted on 08 Sep, 2008 02:05 PMरेशमा भारती/ राष्ट्रीय सहारा/ देश के अधिकांश शहरों में अत्यधिक दोहन के कारण भूमिगत जलस्तर तो तेजी से घट ही रहा है, नदी, तालाब, झीलें आदि भी प्रदूषण, लापरवाही व उपेक्षा के शिकार रहे हैं। नदी जल बंटवारे या बांध व नहर से पानी छोड़े जाने को लेकर प्राय: शहरों का अन्य पड़ोसी क्षेत्रों से तनाव बना रहता है। शहरों के भीतर भी जल का असमान वितरण सामान्य है। जहां कुछ
बूंद बूंद से घट भरे
Posted on 08 Sep, 2008 09:56 AMराजीव रंजन प्रसाद/ अभिव्यक्ति हिन्दी
कहाँ है पानी? सावन के लिये तरसती आँखे आज फ़सलों को जलते देखने के लिये बाध्य हैं, रेगिस्तान फैलते जा रहे हैं, ग्लेशियर पिघल रहे हैं और नदियाँ, नालों में तब्दील होती जा रही हैं। कमोबेश समूचे विश्व की यही स्थिति है।