संदूषण, प्रदूषण और गुणवत्ता

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June 12, 2024 Leveraging research to optimise water programs for improved health outcomes in India
Closing the tap on disease (Image: Marlon Felippe; CC BY-SA 4.0, Wikimedia Commons)
June 4, 2024 Azolla pinnata, a floating water fern provides a unique environmentally friendly approach to mitigate the negative impacts of oil spills and promote cleaner water bodies.
Azolla pinnata, water fern that drinks oils (Image Source: Yercaud-elango via Wikimedia Commons)
May 6, 2024 In our quest to spotlight dedicated entrepreneurs in the water sector, we bring you the inspiring story of Priyanshu Kamath, an IIT Bombay alumnus, who pivoted from a lucrative corporate career to tackle one of India's most intricate water quality challenges, that of pollution of its urban water bodies.
Innovative solutions to clean urban water bodies, Floating islands (Photo Credit: Priyanshu Kamath)
April 1, 2024 Decoding the problems and solutions related to stubble burning
Burning of rice residues after harvest, to quickly prepare the land for wheat planting, around Sangrur, Punjab (Image: 2011CIAT/NeilPalmer; CC BY-SA 2.0 DEED)
February 20, 2024 This study predicts that sewage will become the dominant source of nitrogen pollution in rivers due to urbanisation and insufficient wastewater treatment technologies and infrastructure in worse case scenario projections in countries such as India.
The polluted river Yamuna at Agra (Image Source: India Water Portal)
January 30, 2024 The workshop provided inputs into the newly formed committee for “Standard Operation Procedure for Quality Testing of Drinking Water Samples at Sources and Delivery Points”
Sector partners come together to supplement the efforts of the government on water quality and surveillance (Image: Barefoot Photographers of Tilonia)
केन नदी को प्रदूषित कर रहे बांदा शहर के तीन नाले
Posted on 09 Nov, 2013 11:43 AM नदियों में कचरा डालने के साथ-साथ बांदा, महोबा, चित्रकूट और हमीरपुर में प्राचीन तालाबों में भी नगर का सीवर गिराया जाता है और ये प्रशासन की नाक के नीचे होता है। इस कचरे के अतिरिक्त लावारिस लाशों का विसर्जन भी केन में ही किया जाता है जिसमे नवजात शिशु से लेकर अन्य लाश भी शामिल हैं जो तालाब कभी हमारे बुजुर्गों ने जल प्रबंधन के लिए बनाए थे वे ही आज मानवीय काया से उपजे मैला को ढोने का सुलभ साधन बने हैं।बांदा – जबलपुर मध्य प्रदेश से निकल कर पन्ना, छतरपुर, खजुराहो और उत्तर प्रदेश के बांदा से होकर चिल्ला घाट में बेतवा और यमुना में केन (कर्णवती) नदी का संगम होता है। हजारों किलोमीटर कि प्रवाह यात्रा तय करने के बाद बुंदेलखंड के रहवासी इस नदी के जल से अपनी प्यास बुझाते है। किसान खेतों के गर्भ को सिंचित करके खेती करते है। खासकर जबलपुर,पन्ना और बांदा की 70% आबादी इस एक मात्र नदी के सहारे अपने जीवन के रोज़मर्रा वाले कार्यों को पूरा करते हैं। करीब 20 लाख की जनसंख्या अकेले बांदा जिले में ही केन का पानी पीकर जिंदा है।

मगर शहर को इसी केन नदी से जलापूर्ति करने वाले प्राकृतिक स्रोत में तीन गंदे नाले पेयजल को जहरीला बना रहे हैं। निम्नी नाला, पंकज नाला और करिया नाला का सीवर युक्त पानी बिना जल शोधन प्रक्रिया, वाटर ट्रीटमेंट के खुले रूप में केन में गिरता है।
फ्लोराइड, टूथपेस्ट और एटम बम
Posted on 30 Apr, 2011 10:42 AM

कुछ वर्षों पूर्व तक इस बात की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि टूथपेस्ट और एटम बम में इतना नजदी

नदी बनी जहर, खामोश शहर
Posted on 10 Jan, 2011 02:44 PM

लुधियाना-नदियां ही सभ्यताओं को विकसित या नष्ट करती हैं। तमाम सभ्यताएं नदियों के कारण विकसित हुई हैं। जब भी किसी कारण से नदियों पर असर पड़ा तो सिंधु घाटी व मिस्त्र की महान सभ्यताएं ही मिट गईं। पंजाब की मिट्टी से सोना उगाने वाली नदियों का अस्तित्व ही खतरे में है। इसमें सतलुज नदी भी शामिल है जिसमें प्रदूषण खतरनाक स्तर तक जा चुका है। महानगर की औद्योगिक इकाइयों व घरों से रोजाना 80 करोड़ लीटर प्रदूषि

गंगा में गिरने वाले जहरीले पानी से खतरा
Posted on 06 Jan, 2011 11:07 AM

अब तक 1500 करोड़ रुपया गंगा एक्शन प्लान पर खर्च होने के बाद भी गंगा में प्रदूषण कम नहीं हो रहा, बल्कि बढ़ा ही है। आज हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि 100 करोड़ लीटर गंदापानी रोजाना गंगा में बह रहा है, जिसमें हरिद्वार व बनारस जैसे धार्मिक स्थानों के कचरे के अलावा अकेले गाजियाबाद जिले की सिंभावली शराब मिल का मिथेन मिला हुआ पानी व कानपुर के चमड़े की 15,000 (टेनेरी) इकाइयां गंगा में प्रदूषण का प्रमु

लंबे समय तक रहने वाले रसायन पर्यावरण को कर रहे हैं दूषित
Posted on 23 Dec, 2010 10:46 AM

प्रति घंटे मानव निर्मित रसायनों की मात्रा बढ़ रही है, जो कि सीधे तौर पर पर्यावरण तथा मनुष्यों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह बात एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन के बाद बताई है। प्रमुख शोधकर्ता रोल्फ हाल्डेन ने बताया कि विभिन्न कारखानों से प्रत्येक घंटे हानिकारक रसायन बाहर निकल रहे हैं और सीधे पर्यावरण में घुल जा रहे हैं। कारखानों से निकलने वाले ये रसायन लंबे समय तक अस्तित्

बढ़ता जल प्रदूषण और ग्राम्य जीवन
Posted on 20 Dec, 2010 10:21 AM

जल जीवन की आधारभूत आवश्यकता है । भोजन के अभाव में मानव कुछ सप्ताह जीवित रह सकता है लेकिन जल के अभाव में शायद एक सप्ताह भी जिंदा नहीं रह सकता । मानव शरीर में जल के अस्तित्व का महत्त्वपूर्ण स्थान है, हमारे सौर मण्डल में पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है, जिसमें जीवन हर रंग और रूप में मौजूद हैं । पेयजल पर जीवन की निर्भरता के लिए यदि कहा जाए कि जल ही जीवन है तो असंगत नहीं होगा । जल की आवश्यकता केवल मन

आज भी शेष है भोपाल में जहर
Posted on 09 Dec, 2010 12:59 PM भोपाल गैस त्रासदी के २५ साल बाद भी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले रसायन भोपाल की जमीन और पानी को बुरी तरह प्रदूषित कर रहे हैं । फैक्ट्री से तीन किमी दूर तक जमीन के अंदर पानी में जहरीले रसायनिक तत्त्व मौजूद हैं जिनका उत्पादन यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री में होता था । इनकी मात्रा पानी में निर्धारित भारतीय मानकों से ४० गुना अधिक पाई गई है । फैक्ट्री परिसर में सतही जल के पानी में कीटनाशकों का मिश
नोएडा में कारखानों का जहरीला पानी पी रहे हैं लोग
Posted on 06 Dec, 2010 01:33 PM

नोएडा। कारखानों के जहरीले पानी से नोएडा-ग्रेटर नोएडा के खेत-खलिहान बंजर और जहरीले हुए जा रहे हैं। कारखानों से निकलने वाले सड़े और जहरीले पानी की वजह से गौतमबुद्ध नगर की जमीन तो बंजर हो ही गई है, साथ ही इस पानी से यहां के निवासी और जानवर भी बीमार हो रहे हैं। यहां की धरती में यह पानी गहरे तक घुस चुका है और इस पानी के पीने से लोग डायरिया और बुखार जैसी बीमारी के शिकार हो रहे हैं। सालों से यहां की ज

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