क्या आपको पता है कि ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने में नदियों की भी भूमिका होती है? जी हां, नदियां भारी मात्रा में नाइट्रस ऑक्साइड गैस का उत्सर्जन करती हैं, जो सीधे तौर पर वायुमंडल में जाती हैं। नाइट्रस ऑक्साइड एक ग्रीनहाउस गैस है। नदियों के वैश्विक नेटवर्क के आधार पर किए गए आकलन के अनुसार नदियां दस फीसदी नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन करती हैं, जो सीधे वायुमंडल में जाती हैं। यह बात यूनिवर्सिटी ऑफ नोट्रेडम के शोधकर्ताओं ने नए अध्ययन के बाद बताई। इतना ही नहीं, नदियों द्वारा किए जा रहे नाइट्रस ऑक्साइड के उत्सर्जन का यह दर आईपीसीसी द्वारा निर्धारित किए गए दर का तीन गुना है।
प्रमुख शोधकर्ता जेके ब्यूलियो ने बताया कि इसके पीछे भी मुख्य रूप से मनुष्य ही जिम्मेदार है, क्योंकि मनुष्य ही नाइट्रोजन का उत्सर्जन करता है, जो सीधे तौर पर नदियों में जाता है, वहां यह नाइट्रस ऑक्साइड में तब्दील हो जाता है। उन्होंने बताया कि ईंधन के अधिक-से-अधिक इस्तेमाल और गहन कृषि के कारण नाइट्रोजन का उत्सर्जन होता है, जो नदियों में जाता है और नदियों में सूक्ष्म जीवाणुओं की सक्रियता के कारण नाइट्रोजन नाइट्रस ऑक्साइड गैस में तब्दील हो जाता है। फिर नदियां इसे उत्सर्जित कर वायुमंडल तक पहुंचाती हैं। नतीजतन वैश्विक तापमान में काफी इजाफा हो रहा है।
एक अन्य शोधकर्ता गोल्ज ने बताया कि यह नवीन उत्सर्जन आश्चर्यजनक और चिंतनीय है। उन्होंने बताया कि पिछले शतक के दौरान नाइट्रस ऑक्साइड गैस में 20 फीसदी इजाफा हो गया है और प्रति वर्ष 0.2 से 0.3 फीसदी की दर से इस गैस की मात्रा बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण की दृष्टि से नाइट्रस ऑक्साइड गैस बेहद खतरनाक गैस है और यह कार्बन-डाई-ऑक्साइड की तुलना में 300 गुनी अधिक खतरनाक है। मौसम परिवर्तन में इसका बहुत बड़ा हाथ है। प्रतिदिन इस गैस की मात्रा बढ़ती जा रही है, जो पृथ्वी तथा इसके निवासियों के लिए खतरा बन रही है
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