/topics/ecology-and-environment
पारिस्थितिकी और पर्यावरण
जो एक सौ बीस दिनों तक उत्तराखण्ड में घूमते रहे
Posted on 26 Mar, 2024 03:10 PMमण्डल और फाटा में चिपको आन्दोलन शुरू हुआ, ती सुन्दर लाल बहुगुणा को लगा कि यह बात पूरे उत्तराखण्ड में फैलानी चाहिए। अतः स्वामी रामतीर्थ के निर्वाण दिवस के अवसर पर उन्होंने उत्तराखण्ड की पदयात्रा शुरू कर दी। स्वामी रामतीर्थ ने दीपावली के अवसर पर टिहरी के समीप सिमलासू के नीचे भिलंगना नदी में जल-समाधि ले ली थी। सुंदर लाल बहुगुणा ने 25 अक्टूबर सन् 1973 को सिमलासू से अपनी पदयात्रा शुरू की। उनकी पदयात
जब चिपको आन्दोलन के गर्भपात की नौबत आयी
Posted on 26 Mar, 2024 11:37 AMजनवरी, 1979 को सुन्दरलाल बहुगुणा ने हिमालय के वनों को संरक्षित वन घोषित करवाने के लिए 24 दिनों का उपवास किया था। लिहाजा उत्तर-प्रदेश सरकार ने फरवरी के अन्तिम सप्ताह में नये शासनादेश जारी कर हरे पेड़ों की कटाई पर पूर्ण पाबंदी लगा दी। सो गाँव वालों को निःशुल्क और पी. डी.
हिमालय का नूतन अभिषेक करें
Posted on 23 Mar, 2024 05:22 PMमैं स्वः पं. गोविन्द वल्लभ जी पंत के प्रति, जिनकी स्मृति में इस व्याख्यान का आयोजन किया गया है, अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ। हिमालय में जन्म लेकर उन्होंने देश के लिये जो सेवाएँ की हैं, उससे हिमालय का गौरव बढ़ा है। दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों में आत्म-विश्वास बढ़ा है।
अब प्रकृति का कर्ज चुकाने की बारी है
Posted on 23 Mar, 2024 04:45 PMप्राकृतिक सन्तुलन बनाए रखने के लिए हमें जल संरक्षण व पौधारोपण पर विशेष ध्यान देना होगा। यह कार्य हर आम व खास आदमी कर सकता है। जल संरक्षण एक सरल प्रक्रिया है...
प्रकृति से मुंह मोड़ने का नतीजा
Posted on 23 Mar, 2024 02:30 PMपिछले दस-पन्द्रह सालों में ही पर्यावरण का हल्ला अखबारों में हुआ है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण पर सेमिनार होने लगे हैं। बड़े-बड़े प्रस्ताव पास किए जा रहे हैं। स्कूलों, कालेजों विश्वविद्यालयों में पर्यावरण विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिताएं होती हैं। अकाशवाणी व दूरदर्शन पर संवाद होते हैं। इन सबसे ऐसा लगता है जैसे पर्यावरण को लेकर सभी चिन्तित हैं। लेकिन हमारे देश में तीन सौ के आस-पास विश्वविद्य
पर्यावरण और विकास का द्वंद्व
Posted on 23 Mar, 2024 02:19 PMबिगड़ते पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत करने वाले आन्दोलनों को उठे ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, पर यह काफी आगे बढ़े है। लेकिन इसके साथ ही विकास बनाम पर्यावरण सुरक्षा का विवाद भी उठ खड़ा हो गया है। लेखक का मानना है कि यह व्यर्थ का विवाद है इसे वही लोग चला रहे हैं जो विकास की उसी धारा के पक्षधर हैं जिसने पर्यावरण का विनाश किया है।
कौन निकालेगा पर्यावरण प्रदूषण के चक्रव्यूह से
Posted on 23 Mar, 2024 02:06 PMपर्यावरण प्रदूषण स्वयं मनुष्य की पैदा की हुई समस्या है। प्रारम्भ में पृथ्वी घने वनों से भरी हुई थी, लेकिन आबादी बढ़ने के साथ ही मनुष्य ने अपनी आवश्यकता के अनुसार बसाहट, खेती-बाड़ी आदि के लिए वनों की कटाई शरू की। औद्योगिकीकरण के दौर में तो पर्यावरण को पूरी तरह अनदेखा कर दिया गया। प्राकृतिक संसाधनों का न केवल पूरी मनमानी के साथ दोहन किया गया बल्कि जल और वायु प्रदूषण भी शुरू हो गया। कारखानों से नि
बाड़ ही खेत खाए तो बचाए कौन
Posted on 23 Mar, 2024 12:40 PMउत्तरकाशी जिले में 84 प्रतिशत क्षेत्र सुरक्षित वन का है और इस जिले में तीन वन प्रभाग है। उत्तर प्रदेश वन निगम से प्राप्त नवीनतम आंकड़ों के अनुसार टौंस वन प्रभाग से सन् 1985-86 में व्यापार के लिए 37,844,739 घन मीटर लकड़ी निकाली गई लेकिन गांव वालों की लघु मांग को दी गई 1004.44184 घन मीटर लकड़ी ही। टिहरी वन प्रभाग में जहां कार्य योजना के अनुसार गांव के लोगों को 10,088 घन मीटर लकड़ी निःशुल्क दी जान
पर्यावरण संरक्षण में पीछे नहीं हैं महिलाएं
Posted on 23 Mar, 2024 12:24 PMइस क्षेत्र में महिलायें अहम् भूमिका निभा सकती हैं। महिलायें जहां एक और अपने शिशुओं को पर्यावरण के महत्व को बखूबी समझ सकती हैं, वहीं दूसरी ओर समाज को भी राह दिखा सकती हैं। राजस्थान में बिश्नोई जाति की महिलाओं का वृक्षों के प्रति प्रेम तथा उनके द्वारा वृक्षों की रक्षा हेतु अपना बलिदान सराहनीय है। इतिहास साक्षी है जब-जब महिलाओं ने किसी भी संकट का सामना किया है, वह संकट खत्म हो गया है। अतः यह जरूरी
विश्व जल दिवस पर यूसर्क द्वारा दो दिवसीय जल को जानो कार्यक्रम प्रारंभ
Posted on 22 Mar, 2024 11:53 AM(Know the Water)" Experiential Learning
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) देहरादून द्वारा विश्व जल दिवस 2024 के अवसर पर दिनाँक 21 मार्च 2024 को यूसर्क के सभागार में दो दिवसीय Experiential Learning program के अंतर्गत "पानी को जानो (Know the Water)" कार्यक्रम शुभारंभ किया गया।