पारिस्थितिकी और पर्यावरण

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September 2, 2024 The strategic objectives and challenges of India's BioE3 Policy
The transition to a bio-based economy could affect various stakeholders (Image: GetArchive; CC0 1.0)
August 30, 2024 This article traces the evolution of the legislative framework for water pollution in India and its implications for wastewater treatment standards in the country. 
Open drains in Alwar (Image Source: IWP Flickr photos)
August 2, 2024 There is a need for a multi-faceted approach to disaster management, combining advanced monitoring, early warning systems, community preparedness, and sustainable land use practices to mitigate future risks.
Aftermath of a 2022 landslide on Nedumpoil ghat road (Image: Vinayaraj, Wikimedia Commons; CC BY-SA 4.0)
July 10, 2024 Millions of trees are fast disappearing from India's farmlands. What are its implications for agriculture and the environment?
Disappearing trees over Indian farmlands (Image Source: WOTR)
June 9, 2024 India’s funding jumped from $225 million in 2018 to $1.5 billion in 2023, marking a compounded annual growth rate of 140%
Green startups: Powering a sustainable future (Image: Needpix)
June 7, 2024 Scientists question effectiveness of nature-based CO2 removal using the ocean
Ocean ecosystem (Image: PxHere, CC0 Public Domain)
जो एक सौ बीस दिनों तक उत्तराखण्ड में घूमते रहे
जानिए चिपको आन्दोलन में पदयात्रा निकालने का क्या कारण था Posted on 26 Mar, 2024 03:10 PM

मण्डल और फाटा में चिपको आन्दोलन शुरू हुआ, ती सुन्दर लाल बहुगुणा को लगा कि यह बात पूरे उत्तराखण्ड में फैलानी चाहिए। अतः स्वामी रामतीर्थ के निर्वाण दिवस के अवसर पर उन्होंने उत्तराखण्ड की पदयात्रा शुरू कर दी। स्वामी रामतीर्थ ने दीपावली के अवसर पर टिहरी के समीप सिमलासू के नीचे भिलंगना नदी में जल-समाधि ले ली थी। सुंदर लाल बहुगुणा ने 25 अक्टूबर सन् 1973 को सिमलासू से अपनी पदयात्रा शुरू की। उनकी पदयात

जो एक सौ बीस दिनों तक उत्तराखण्ड में घूमते रहे
जब चिपको आन्दोलन के गर्भपात की नौबत आयी
जानिए क्यों चिपको आन्दोलन महिलाओं के एक बड़ी चुनौती बन गया Posted on 26 Mar, 2024 11:37 AM

जनवरी, 1979 को सुन्दरलाल बहुगुणा ने हिमालय के वनों को संरक्षित वन घोषित करवाने के लिए 24 दिनों का उपवास किया था। लिहाजा उत्तर-प्रदेश सरकार ने फरवरी के अन्तिम सप्ताह में नये शासनादेश जारी कर हरे पेड़ों की कटाई पर पूर्ण पाबंदी लगा दी। सो गाँव वालों को निःशुल्क और पी. डी.

जब चिपको आन्दोलन के गर्भपात की नौबत आयी
हिमालय का नूतन अभिषेक करें
जाने हिमालय जो कभी तपस्या की भूमि थी, अब वह भोग भूमि और सीमा के खतरे की भूमि कैसे बन गई है। Posted on 23 Mar, 2024 05:22 PM

मैं स्वः पं. गोविन्द वल्लभ जी पंत के प्रति, जिनकी स्मृति में इस व्याख्यान का आयोजन किया गया है, अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ। हिमालय में जन्म लेकर उन्होंने देश के लिये जो सेवाएँ की हैं, उससे हिमालय का गौरव बढ़ा है। दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों में आत्म-विश्वास बढ़ा है।

हिमालय का नूतन अभिषेक करें
अब प्रकृति का कर्ज चुकाने की बारी है
इस ब्लॉग में आपको बताएँगे कि अगर सरकार,आम नागरिक, संस्थाएं सब मिलकर प्रयास करेंगे तो घटते प्राकृतिक संसाधनों को फिर से समृद्ध बनाया जा सकता है Posted on 23 Mar, 2024 04:45 PM

प्राकृतिक सन्तुलन बनाए रखने के लिए हमें जल संरक्षण व पौधारोपण पर विशेष ध्यान देना होगा। यह कार्य हर आम व खास आदमी कर सकता है। जल संरक्षण एक सरल प्रक्रिया है...

प्रकृति को बचाना है
प्रकृति से मुंह मोड़ने का नतीजा
इस ब्लॉग में हम आपको जानकारी देंगे कि पर्यावरण को नष्ट होने से बचाने के लिए हम क्या कर सकते हैं Posted on 23 Mar, 2024 02:30 PM

पिछले दस-पन्द्रह सालों में ही पर्यावरण का हल्ला अखबारों में हुआ है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण पर सेमिनार होने लगे हैं। बड़े-बड़े प्रस्ताव पास किए जा रहे हैं। स्कूलों, कालेजों विश्वविद्यालयों में पर्यावरण विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिताएं होती हैं। अकाशवाणी व दूरदर्शन पर संवाद होते हैं। इन सबसे ऐसा लगता है जैसे पर्यावरण को लेकर सभी चिन्तित हैं। लेकिन हमारे देश में तीन सौ के आस-पास विश्वविद्य

पर्यावरण को बचाना
पर्यावरण और विकास का द्वंद्व
जानिए पर्यावरण संरक्षण और विकास एक साथ कैसे चल सकते है। Posted on 23 Mar, 2024 02:19 PM

बिगड़ते पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत करने वाले आन्दोलनों को उठे ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, पर यह काफी आगे बढ़े है। लेकिन इसके साथ ही विकास बनाम पर्यावरण सुरक्षा का विवाद भी उठ खड़ा हो गया है। लेखक का मानना है कि यह व्यर्थ का विवाद है इसे वही लोग चला रहे हैं जो विकास की उसी धारा के पक्षधर हैं जिसने पर्यावरण का विनाश किया है।

पर्यावरण और विकास का द्वंद्व
कौन निकालेगा पर्यावरण प्रदूषण के चक्रव्यूह से
इस ब्लॉग में हम आपको बताएँगे कि किस तरह औद्योगिकीकरण के दौर में न तो सिर्फ पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की हानि हुई बल्कि इससे जल और वायु प्रदुषण भी बढ़ा नतीजन दमा, तपेदिक और फेफड़े के कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों को जन्म दिया है Posted on 23 Mar, 2024 02:06 PM

पर्यावरण प्रदूषण स्वयं मनुष्य की पैदा की हुई समस्या है। प्रारम्भ में पृथ्वी घने वनों से भरी हुई थी, लेकिन आबादी बढ़ने के साथ ही मनुष्य ने अपनी आवश्यकता के अनुसार बसाहट, खेती-बाड़ी आदि के लिए वनों की कटाई शरू की। औद्योगिकीकरण के दौर में तो पर्यावरण को पूरी तरह अनदेखा कर दिया गया। प्राकृतिक संसाधनों का न केवल पूरी मनमानी के साथ दोहन किया गया बल्कि जल और वायु प्रदूषण भी शुरू हो गया। कारखानों से नि

पर्यावरण प्रदूषण का चक्रव्यूह
बाड़ ही खेत खाए तो बचाए कौन
जानिए उत्तराखण्ड के 84 प्रतिशत सुरक्षित वन क्षेत्र वाले उत्तरकाशी जिले में वन क्यों असुरक्षित होते जा रहे है Posted on 23 Mar, 2024 12:40 PM

उत्तरकाशी जिले में 84 प्रतिशत क्षेत्र सुरक्षित वन का है और इस जिले में तीन वन प्रभाग है। उत्तर प्रदेश वन निगम से प्राप्त नवीनतम आंकड़ों के अनुसार टौंस वन प्रभाग से सन् 1985-86 में व्यापार के लिए 37,844,739 घन मीटर लकड़ी निकाली गई लेकिन गांव वालों की लघु मांग को दी गई 1004.44184 घन मीटर लकड़ी ही। टिहरी वन प्रभाग में जहां कार्य योजना के अनुसार गांव के लोगों को 10,088 घन मीटर लकड़ी निःशुल्क दी जान

बाड़ ही खेत खाए तो बचाए कौन
पर्यावरण संरक्षण में पीछे नहीं हैं महिलाएं
जानिए पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका और उनके बलिदान के बारे में Posted on 23 Mar, 2024 12:24 PM

इस क्षेत्र में महिलायें अहम् भूमिका निभा सकती हैं। महिलायें जहां एक और अपने शिशुओं को पर्यावरण के महत्व को बखूबी समझ सकती हैं, वहीं दूसरी ओर समाज को भी राह दिखा सकती हैं। राजस्थान में बिश्नोई जाति की महिलाओं का वृक्षों के प्रति प्रेम तथा उनके द्वारा वृक्षों की रक्षा हेतु अपना बलिदान सराहनीय है। इतिहास साक्षी है जब-जब महिलाओं ने किसी भी संकट का सामना किया है, वह संकट खत्म हो गया है। अतः यह जरूरी

पर्यावरण संरक्षण में पीछे नहीं हैं महिलाएं
विश्व जल दिवस पर यूसर्क द्वारा दो दिवसीय जल को जानो कार्यक्रम प्रारंभ 
जानिए उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) देहरादून द्वारा विश्व जल दिवस दो दिवसीय कार्यक्रम के बारे में Posted on 22 Mar, 2024 11:53 AM

(Know the Water)" Experiential Learning

उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) देहरादून द्वारा विश्व जल दिवस 2024 के अवसर पर  दिनाँक 21 मार्च 2024 को यूसर्क के सभागार में दो दिवसीय Experiential Learning program के अंतर्गत "पानी को जानो (Know the Water)" कार्यक्रम शुभारंभ किया गया। 

विश्व जल दिवस पर यूसर्क द्वारा दो दिवसीय "जल को जानो कार्यक्रम प्रारंभ 
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