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नदियां
वाह, क्या नदियां हैं !
Posted on 23 Aug, 2023 01:27 PMनदियां तो हर देश में होती हैं, लेकिन इनके बारे में कितना कुछ जानते हैं आप? नदी को अंग्रेजी में रीवर कहते हैं। इस शब्द की उत्पति लैटिन भाषा के रिया शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है किनारा पुराने जमाने में पानी की उस धारा को जिनके किनारे होते थे, रीवर कहा जाता था। लेकिन आधुनिक परिभाषा के अनुसार पानी की बहती विशाल धाराओं को, जिनके किनारे बदलते रहे। हैं, नदी कहा जाता है।
कलकल, छलछल,बहती गंगा
Posted on 16 Aug, 2023 04:00 PMधरती को प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है, उनमें प्रमुख हैं पहाड़, खनिज, नदी और जंगल नदियां बहुत प्रकार की हैं, लेकिन सब में गंगा की अलग पहचान है। पूरे विश्व में किसी भी नदी की तुलना में गंगा सर्वाधिक आबादी को प्रभावित करती है। यह हिमालय के गंगोत्री से 19 किलोमीटर आगे गोमुख से निकलती है और कुल 2525 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसका नाम जगह-जगह बदल जाता है। हिमालय में यह भाग
मिले-जुले प्रयास, पूरी जल की आस
Posted on 10 Aug, 2023 12:48 PMस्वाधीनता के दशकों बाद भी बुंदेलखण्ड कितना पिछड़ा है, कितना साधनहीन है यह देख कर आश्चर्य होता है। बुन्देलखण्ड वह अभागा क्षेत्र है जहां अनेक वर्षों से प्राकृतिक कोप के कारण सूखे के हालात बने रहते हैं। कम वर्षा के कारण जल संचय और जल के सउपयोग हेतु सुध लेने की पहल इस वाक्य के साथ ही गयी जहां चाह वहां राह । इस मूल मंत्र को समझकर ललितपुर के सहरिया आदिवासियों वनवासियों की जीवन रेखा बंडई नदी के सूख ज
गोमती के अस्तित्व के लिए अपरिहार्य अविरल निर्मल कुकरैल नदी
Posted on 07 Aug, 2023 12:58 PMकुकरैल नदी, गोमती की चौथी क्रम की सहायक नदी है। यह मध्य लखनऊ शहर से गुजरते समय बड़ी मात्रा में पानी लाती है। पहले बरसात के मौसम में सभी छोटी नदियाँ पर्याप्त मात्रा में पानी के साथ बहती थीं और गर्मी के मौसम में सिकुड़कर एक संकीर्ण धारा में बदल जाती थी। लेकिन नदियों, सहायक नदियों और प्राकृतिक नालों के किनारे बांधों के निर्माण और कई विकासात्मक कार्यों ने भी कई जलधाराओं को नुकसान पहुंचाया है, जिससे
गौला नदी की 'हत्या'
Posted on 29 Jul, 2023 03:01 PMमानसून आ चुका है। एक्सट्रीम बारिश हर साल नियमित होती जा रही है। लोगों में बहुत समय से उत्तराखंड की नदियों को तहस-नहस कर रखा है। उनमें पानी कम रहता है और वे अचानक आने वाली बाढ़ के जरिये अपना विरोध जताती हैं। प्रकृति के इस कोप से लोगों को सुरक्षित करने के लिए राज्य सरकार को स्वभावत: चिंतित होना चाहिए। पर यहाँ तो चिंता ही किसी और बात की है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 18 फरवरी को नई
नदी की जुताई
Posted on 25 Jul, 2023 12:17 PMनदी की जुताई कर जलस्तर ५०० फुट से ८० फुट तक आया।महाराष्ट्र के शहादा तहसील की घटना अवश्य पढ़ें व अपने गाँव मे भी अमल करें! खेत की जुताई करना पड़ता है यह बात सभी को मालूम है पर नदी की जुताई करना – ये सुनकर अटपटा लगता है? २० वर्ष पूर्व की बात है जो आज मूल्यवान लगती है।
नदियां और हम (भाग-2)
Posted on 21 Jul, 2023 05:40 PMपवित्रता: एक सामाजिक आदर्श
अतः जो लोग इस भ्रम में पड़कर दुःखी रहते हैं कि किसी पुण्य पर्व में पवित्र स्नान मात्र को कोई परम्परानिष्ठ हिन्दू सचमुच मुक्ति का अंतिम आश्वासन मानता है, वे भारतीयता से अपरिचित ऐसे लोग हैं, जिन्हें या तो अज्ञानी कहा जा सकता है या फिर फासिस्ट, क्योंकि वे जानबूझकर दूसरों के मत का अर्थक्षय करते हुए उन्हें इसी आड़ में दबाना- अनुशासित करना
नदियां और हम (भाग-1)
Posted on 21 Jul, 2023 05:24 PMनदियां और हम
किसी समाज की विश्व-दृष्टि का एक लक्षण यह है कि वह अपने प्राकृतिक परिवेश को, उसके विभिन्न अवयवों को किस रूप में देखता-समझता है । यदि समाज और संस्कृति का अर्थ बोध और जीवन-व्यवहार है, तो मानना होगा कि विश्व दृष्टि के मूलतः बदल जाने का अर्थ है राष्ट्रीय संस्कृति का बदल जाना, उसका रूपांतरण ।
पटना 'नदी संवाद' की संक्षिप्त रिपोर्ट
Posted on 21 Jul, 2023 10:49 AMआजादी के बाद विकास की गति को रफ्तार देने के लिए बड़े पैमाने पर भारत में बांध,तटबंध एवं बराज़ो का निर्माण किया गया। इसका उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण ,सिंचाई तथा पनबिजली का निर्माण करना था। पहली बहुउद्देशीय परियोजना दामोदर घाटी बनी। उसी के तर्ज पर कोसी परियोजना, गंडक परियोजना आदि का निर्माण हुआ। इसे विकास का मंदिर कहा गया। समय के साथ यह स्पष्ट हो गया कि ये परियोजनाएं अपने उद्देश्य को हासिल करने में व
जलांगी नदी को पश्चिम बंगाल चुनाव में 58 वोट मिले
Posted on 18 Jul, 2023 01:01 PMपश्चिमबंगाल पंचायत चुनाव-2023 में पर्यावरण एक बड़ा अहम मुद्दा बना। नदी और पर्यावरण राजनीतिक दलों के एजेंडे से कहीं अधिक आम लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने। दो उम्मीदवार लड़े, एक जीता, एक हारा। ‘जलांगी नदी सोसायटी’ द्वारा नामित निर्दलीय उम्मीदवार तारक घोष राजनीतिक क्षेत्र में 'मुझे नदी के लिए वोट चाहिए' कहकर जलांगी नदी को बचाने के लिए लड़े। दूसरी ओर, ‘तापती मैती’ एक स्वतंत्र पार्टी के रूप में पर्