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Meta Description
Agriculture, an important sector of our economy accounts for 14 per cent of the nation’s GDP and about 11 per cent of its exports. India has the second largest arable land base (159.7 million hectares) after US and largest gross irrigated area (88 milion hectares) in the world. Rice, wheat, cotton, oilseeds, jute, tea, sugarcane, milk and potatoes are the major agricultural commodities produced. More importantly, over 60 per cent of the country’s population, comprising several million small farming households, depends on agriculture as a principal income source and land continues to be the main asset for livelihood security. 
Meta Keywords
Flowers, trees
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लवणीय जल सिंचाई द्वारा गुलाब (रोजा डेमासीना) की खेती (Rose (Rosa damascena) cultivation by saline water irrigation)
भारत में गुलाब का उत्पादन मुख्यरूप से हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, दिल्ली, लखनऊ (उत्तर प्रदेश), पुणे, नासिक (महाराष्ट्र), बंगलौर (कर्नाटक), कोयम्बटूर (तमिलनाडु), पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों मुख्यतः कोलकाता में किया जाता है। राजस्थान में इसका उत्पादन मुख्य रूप से पुष्कर, हल्दीघाटी, श्रीगंगानगर व उदयपुर में किया जाता है।गुलाब विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय पुष्प है इसलिए इसे फूलों का राजा भी कहा जाता है। यह झाड़ीनुमा एक बहुवर्षीय पौधा है जो सुन्दर पुष्पों के लिए उगाया जाता है। इसके फल को हिप कहते हैं जो विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है। इसके फूल से जैम, जैली व मालाएं बनाई जाती हैं। गुलाब के फूलों से मुख्यरूप से इत्र निकाला जाता है तथा इसके लिए चेली गुलाब का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। Posted on 23 Nov, 2023 04:46 PM

गुलाब (रोजा डेमासीना)

गुलाब विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय पुष्प है इसलिए इसे फूलों का राजा भी कहा जाता है। यह झाड़ीनुमा एक बहुवर्षीय पौधा है जो सुन्दर पुष्पों के लिए उगाया जाता है। इसके फल को हिप कहते हैं जो विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है। इसके फूल से जैम, जैली व मालाएं बनाई जाती हैं। गुलाब के फूलों से मुख्यरूप से इत्र निकाला जाता है तथा इसके लिए चेली गुलाब का सर्

गुलाब की खेती
लवणीय जल सिंचाई द्वारा प्याज (एलियम सिपो) की खेती (Onion (Allium sipo) cultivation by saline water irrigation)
प्याज में विटामिन सी, फॉस्फोरस आदि प्रमुख पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। प्याज में चरपराहट एवं तीखापन इसमें उपस्थित गंधक के एक मौलिक एलिल प्रोपाइल डाई सल्फाइड के कारण होता है। गंधक की मात्रा अधिक होने के कारण यह रक्तशुद्धि व रक्तवर्धक का गुण रखता है। गर्मी में लू से बचाता है तथा गुर्दे की बीमारी वाले रोगियों के लिए भी प्याज लाभदायक रहता है। Posted on 23 Nov, 2023 04:25 PM

प्याज (एलियम सिपो)

शल्क कन्दीय फसलों में प्याज का महत्वपूर्ण स्थान है। इसका प्रयोग कच्चे सलाद के रूप में तथा सब्जियां, अचार, पाउडर एवं फ्लेक्स जैसे उत्पाद बनाने में होता है। प्याज में विटामिन सी, फॉस्फोरस आदि प्रमुख पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। प्याज में चरपराहट एवं तीखापन इसमें उपस्थित गंधक के एक मौलिक एलिल प्रोपाइल डाई सल्फाइड के कारण होता है

प्याज की खेती
लवणीय जल सिंचाई द्वारा तिल (सेसेमम इंडिकम) की खेती (Cultivation of sesame (Sesamum indicum) by saline water irrigation)
तिल खरीफ की एक महत्त्वपूर्ण तिलहनी फसल है। इसकी खेती भारत में लगभग 5,000 वर्षों से की जाती रही है। तिल एक खाद्य पोषक भोजन व खाने योग्य तेल, स्वास्थवर्धक व जैविक दवाइयों के रूप में उपयोगी है। तिल का तेल पोष्टिक, औषधीय व श्रृंगारिक प्रसाधनों व भोजन में गुणवत्ता की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। Posted on 23 Nov, 2023 03:32 PM

तिल (सेसेमम इंडिकम)

तिल और तिली के तेल से सब परिचित है। रंग के हिसाब से तिल तीन प्रकार के होते हैं, श्वेत, लाल एवं काला तिल । औषधि के लिए काले तिल से प्राप्त तेल अधिक उत्तम समझा जाता है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका व चीन के बाद भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तिलहन उत्पादक देश है। विश्व के कुल क्षेत्रफल में भारत का 19 प्रतिशत तथा उत्पादन में 10 प्रतिशत योगदान है। तिल

 तिल की खेती
लवणीय जल सिंचाई द्वारा सौंफ (फीनिकुलम वलगेयर) की खेती (Fennel (Foeniculum vulgare) cultivation by saline water irrigation)
सौंफ शरद ऋतु में बोई जाने वाली फसल है।भारत में कुल 54290 हैक्टर में सौंफ की खेती की जाती है। इसमें राजस्थान व उत्तर प्रदेश प्रमुख हैं।इसका उपयोग औषधि, अचार, चटनी, मुरब्बा आदि में किया जाता है। आयुर्वेद में सौंफ एक विशेष स्थान रखती है, इसका प्रयोग अतिसार, खूनी पेचिस, कब्ज, नजला तथा मस्तिष्क की कमजोरी जैसी बीमारियों में किया जाता है। Posted on 23 Nov, 2023 02:53 PM

सौंफ (फीनिकुलम वलगेयर)

सौंफ मसाले की एक प्रमुख फसल हैं। इसका उपयोग औषधि, अचार, चटनी, मुरब्बा आदि में किया जाता है। आयुर्वेद में सौंफ एक विशेष स्थान रखती है, इसका प्रयोग अतिसार, खूनी पेचिस, कब्ज, नजला तथा मस्तिष्क की कमजोरी जैसी बीमारियों में किया जाता है। भारत में कुल 54290 हैक्टर में सौंफ की खेती की जाती है। इसमें राजस्थान व उत्तर प्रदेश प्रमुख हैं।

सौंफ की खेती
लवणीय जल सिंचाई द्वारा मेथी (ट्राइगोनेला फीनम- ग्रीकम) की खेती (Cultivation of fenugreek (Trigonella foenum- graecum) by saline water irrigation)
मेथी भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में काफी समय से जंगली रूप में उगती पाई गई है, फिर भी इसकी उत्पत्ति पूर्वी यूरोप और इथोपिया मानी जाती है। भारत में मेथी मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है। देश में मेथी के कुल क्षेत्रफल का लगभग 80 प्रतिशत राजस्थान में पाया जाता है। Posted on 22 Nov, 2023 04:58 PM

मेथी (ट्राइगोनेला फीनम- ग्रीकम

मेथी की खेती पूरे भारतवर्ष में की जाती है। इसकी सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है। मेथी में प्रोटीन के साथ-साथ विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। हमारे देश में मेथी का उपयोग शाक एवं मसाले के रूप में किया जाता है। मेथी की पत्तियाँ एवं कोमल फलियाँ सब्जी

मेथी (ट्राइगोनेला फीनम- ग्रीकम) की खेती
लवणीय जल सिंचाई द्वारा गैंदा (टेगेटस इरेक्टा) की खेती (Marigold (Tegatus erecta) cultivation by saline water irrigation)
गेंदे को साल भर तीनों ही ऋतुओं में उगाया जा सकता है परन्तु पैदावार के लिए शीत ऋतु अधिक उपयुक्त है। पौधों में अच्छी बढ़वार व अधिक पुष्पन के लिए नम जलवायु की आवश्यकता होती है। गैंदा एक आसानी से उगाया जा सकने वाला पौधा है और इस पर कीट एवं बीमारियों का प्रकोप भी बहुत कम होता है। इसकी खेती करना आर्थिक दृष्टि से लाभदायक है। गेंदा के फूल पौधों पर लम्बे समय तक खिलते रहते हैं, साथ ही इसकी संग्रहण क्षमता अधिक होने के कारण आसानी से कुछ दिनों तक रखा जा सकता है। Posted on 22 Nov, 2023 04:30 PM

गैंदा (टेगेटस इरेक्टा

गैंदा एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक मौसमी फूल है। इसकी सुन्दरता एवं टिकाऊपन के कारण पुष्प व्यापार में गुलाब के बाद सर्वाधिक बिकने वाला फूल है। इसके फूलों का विभिन्न रूपों जैसे माला, वेणी, झालर, घर की सजावट, पूजा, गुलदस्ता बनाने आदि में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। गैंदा एक आसानी से उगाया जा सकने वाला पौधा है और इस पर कीट एवं बीमारियों का प

गैंदा (टेगेटस इरेक्टा) की खेती
लवणीय जल सिंचाई द्वारा ईसबगोल (प्लांटेगो ओवेटा) की खेती (Cultivation of Isabgol (Plantago ovata) by saline water irrigation)
भारतवर्ष में ईसबगोल की खेती सर्दियों के मौसम में की जाती है। साधारणतया ईसबगोल की खेती के लिए ठंडा व सूखा मौसम अच्छा व अनुकूल रहता है। ईसबगोल अपने बीजों व भूसी के कारण महत्वपूर्ण औषधीय फसल है। इसकी भूसी का उपयोग औषधि के रूप में कब्ज, पेचिश, दस्त इत्यादि अनेक पेट के विकारों में उपचार के लिए किया जाता है। Posted on 22 Nov, 2023 03:49 PM

ईसबगोल (प्लांटेगो ओवेटा)

ईसबगोल अपने बीजों व भूसी के कारण महत्वपूर्ण औषधीय फसल है। इसकी भूसी का उपयोग औषधि के रूप में कब्ज, पेचिश, दस्त इत्यादि अनेक पेट के विकारों में उपचार के लिए किया जाता है। भारतवर्ष में इसके बीज व भूसी का वार्षिक उत्पादन क्रमशः 13000 टन व 3200 टन होता है, जिसका 90 प्रतिशत विदेशों में निर्यात कर दिया जाता है। इस प्रकार ईसबगोल के निर्यात द्व

ईसबगोल (प्लांटेगो ओवेटा) की खेती
लवणीय जल सिंचाई द्वारा तुलसी की खेती (Cultivation of basil by saline water irrigation)
उचित जलनिकास के बिना सिंचाई क्षेत्र का दायरा बढ़ाना, जलभराव की समस्या, लवणीयता एवं क्षारीयता जैसी मूलभूत समस्याओं को बढ़ाने में अहम कारक होगा। देश में वर्तमान समय में लवणग्रस्त क्षेत्र 6.74 मिलियन हैक्टर है तथा 2025 तक बढ़कर 11.7 मिलियन हैक्टर होने की संभावना है। Posted on 22 Nov, 2023 03:11 PM

परिचय

देश के मूलभूत प्राकृतिक संसाधनों जैसे भूमि, जल तथा जैव विविधता इत्यादि की गुणवत्ता दिनोंदिन अत्यधिक तेजी से घटती जा रही है। प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन व अवैज्ञानिक कृषि पद्धतियाँ इसके प्रमुख कारण हैं। देश की खाद्यान्न एवं पोषण की सुरक्षा को स्थिर रखने के लिए कृषि अनुसंधान तथा विकास के हमारे वर्तमान दृष्टिकोण में एक बड़े बदलाव की आवश्यकता है। इसमें

लवणीय जल सिंचाई द्वारा तुलसी की खेती
खारे पानी में खेती
आसपास की घटनाओं का सूक्ष्म अवलोकन करना और इन अवलोकनों का सैद्धान्तिक जानकारी के साथ तालमेल बिठाना, व्यावहारिक विज्ञान के ये दो मुख्य घटक हैं। इस प्रक्रिया से ही नए आविष्कार जन्म लेते हैं और नए तंत्र विकसित होते हैं’। Posted on 20 Nov, 2023 01:42 PM

समुद्र यानी पानी का अथाह भण्डार, परन्तु सभी जानते हैं। कि पेड़-पौधों व फसलों की सिंचाई के लिए यह पानी सर्वथा अनुपयुक्त होता है। जिस पौधे को समुद्र के पानी से सींचा जाए, वह पौधा कुछ ही समय में मुरझा जाता है। आखिर, ऐसा क्यों होता है ?

खारे पानी में खेती
कृषि के माध्यम से सशक्त होती ग्रामीण महिलाएं
उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्र चौरसों की महिला किसान भी महिला सशक्तिकरण की बेजोड़ मिसाल हैं। राज्य के बागेश्वर जिला स्थित गरुड़ ब्लॉक के इस गाँव की अधिकतर महिलाएं घर के साथ साथ कृषि संबंधी कार्यों को भी बखूबी अंजाम देती हैं। Posted on 10 Nov, 2023 03:39 PM

देश में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई स्तरों पर काम किए जाते हैं। इसके लिए केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकार विभिन्न योजनाएं भी संचालित कर रही हैं। लेकिन हमारे देश में कृषि एक ऐसा सेक्टर है जहां महिला सशक्तिकरण सबसे अधिक देखी जाती है। बल्कि यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारे देश की कृषि व्यवस्था पुरुषों से कहीं अधिक महिलाओं के कंधे पर है, जिसे उन्होंने कामयाबी के साथ संभाल रखा है। पुरुष जहां अधिकतर

कृषि के माध्यम से सशक्त होती ग्रामीण महिलाएं
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