जलवायु परिवर्तन

Term Path Alias

/topics/climate-change

Featured Articles
July 10, 2024 Millions of trees are fast disappearing from India's farmlands. What are its implications for agriculture and the environment?
Disappearing trees over Indian farmlands (Image Source: WOTR)
June 7, 2024 Scientists question effectiveness of nature-based CO2 removal using the ocean
Ocean ecosystem (Image: PxHere, CC0 Public Domain)
June 6, 2024 एक अध्ययन से पता चलता है कि समुद्री लू या हीटवेव (असामान्य रूप से उच्च समुद्री तापमान की अवधि) जो पहले हर साल लगभग 20 दिनों तक होती थी (1970-2000 के बीच), वह बढ़कर 220 से 250 दिन प्रति वर्ष हो सकती है। जानिए क्या होंगे इसके परिणाम?
गर्म होते महासागर
May 31, 2024 From scorching to sustainable: Building resilience against heatwaves
A multifaceted approach to urban heatwaves (Image: Sri Kolari)
April 30, 2024 As temperatures soar, what should India do to adapt to changing conditions to mitigate the adverse impacts of climate change?
Heat waves sweep across India (Image: Maxpixel, CC0 Public Domain)
April 25, 2024 Understanding the impact of heat on our world
Rising temperatures, rising risks (Image: Kim Kestler, publicdomainpictures.net)
आज अहम है पर्यावरण रक्षा का सवाल
Posted on 04 Jun, 2017 11:00 AM


विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर विशेष

.Environment on top priority

World Environment Day
दुष्काल मुक्ति को चाहिए समग्र प्रयास
Posted on 30 May, 2017 01:19 PM
आंकड़े कह रहे हैं कि भारत के 32 फीसदी इलाकों में उपयोगी जल की
famine
जलवायु परिवर्तन का असर बेअसर
Posted on 23 May, 2017 12:48 PM
अनुवाद - संजय तिवारी

बिफूर गाँव के नाथूराम के पास 1.8 हेक्टेयर जमीन है। अपनी इस जमीन से वे हर सीजन में करीब सवा लाख रूपये मूल्य की फसल पैदा कर लेते थे। लेकिन पानी की कमी ने धीरे-धीरे उनकी पैदावार कम कर दी और करीब आधी जमीन बेकार हो गयी। हालात इतने बदतर हो गये कि बहुत मेहनत से भी खेती करते तो बीस हजार रुपये से ज्यादा कीमत की फसल पैदा नहीं कर पाते थे। नाथूराम बताते हैं कि “जब खेती से गुजारा करना मुश्किल हो गया तब हमने मजदूरी करने के लिये दूसरे जिलों में जाना शुरू कर दिया।”

बिफूर राजस्थान के टोंक जिले में मालपुरा ब्लॉक में पड़ता है। बिफूर की यह दुर्दशा सब गाँव वाले देख रहे थे लेकिन इस दुर्दशा को कैसे ठीक किया जाए इसकी योजना किसी के पास नहीं थी। फिर एक संस्था की पहल ने गाँव की दशा बदल दी। वह हरियाली जो सूख गयी थी वह वापस लौट आयी। अब बिफूर के किसान मजदूरी करने के लिये दूसरे जिलों में नहीं जाते और न ही कर्ज लेकर खाद बीज खरीदते हैं। पानी के प्रबंधन ने उन्हें आत्मनिर्भर बना दिया है और उनकी जिन्दगी में अच्छे दिन फिर से लौट आये हैं।

उल्टी गिनती शुरू वर्ष 2020 के लिये
Posted on 21 May, 2017 04:28 PM
प्रकृति एक रस नहीं। इसमें भाँति-भाँति की प्रजातियाँ हैं। पृथ्वी का सृजन ही विविधता से भरा हुआ है। यही जैव विविधता जीवन का आधार है। 22 मई को अन्तरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाएगा। यानी धरती पर पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों की प्रजातियों के संरक्षण के संकल्प का दिन। लेकिन वर्तमान हालात भयावह हैं। संयुक्त राष्ट्र ने 2011 से 2020 तक को जैव विविधता का दशक घोषित किया है। कन्वेंशन ऑफ बायो डायवर्
हीटवेव: सबसे खतरनाक आपदा (Heatwave in Hindi)
Posted on 11 May, 2017 10:39 AM


पिछले कुछ दशकों से हीटवेव की घटनाओं में लगातार वृद्धि ने जनजीवन को गम्भीर रूप से प्रभावित करना शुरू कर दिया है। इसको लेकर आमजन के मन में उठने वाले सवालों के जवाब

 

 

जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र में तेजी से घट रही है ऑक्सीजन
Posted on 08 May, 2017 11:03 AM
न्यूयार्क, आईएएनएस : दुनिया के महासागरों के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा पिछले बीस-तीस वर्षों से लगातार घट रही है। एक नए अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है। इस अध्ययन के लिये शोधकर्ताओं ने पिछले पचास सालों में महासागर सम्बन्धी आँकड़ों का अध्ययन किया और इस क्रम में दीर्घावधि के रुझानों का विश्लेषण किया। महासागरों में तापमान बढ़ने के साथ ही ऑक्सीजन का स्तर अस्सी के दशक से ही गिरना शुरू हो गया था। ज
मौसम का मंथन - ध्रुवीय हिमखण्डों का पिघलना
Posted on 22 Apr, 2017 03:46 PM
विभिन्न जगहों की हवा के साथ आई धूल और दूसरे प्रदूषणों, बैक्टी
Glacier
×