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वीडियो, ऑडियो और अन्य मल्टीमीडिया
असल संत की अंत कथा
Posted on 14 Jul, 2011 06:28 PMगंगा को लेकर संतों और खनन माफिया के बीच छिड़ी लड़ाई में उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने एक नहीं बल्कि बार-बार और खुल्लमखुल्ला खनन माफिया का साथ दिया है। स्वामी निगमानंद की मौत के पीछे का सच सामने लाती आशीष खेतान और मनोज रावत की विशेष पड़ताल
आज भी खरे हैं तालाब (पोस्टर)
Posted on 22 Jun, 2011 05:42 PMअनुपम मिश्र की कालजयी पुस्तक ‘आज भी खरे हैं तालाब’ में हम सीता बावड़ी का एक चित्र देखते हैं।वर्षाजल संचयन पर एक ऑडियो
Posted on 06 Apr, 2011 02:55 PMपूरी दुनिया आज जल संकट से जूझ रही है। विशेषज्ञों का मानना है वर्षाजल संरक्षण ही जल संकट से उबरने का महत्वपूर्ण स्रोत है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि जब वन वर्ल्ड साउथ एशिया की टीम ने सर्वे के दौरान कुछ लोगों से पूछताछ की तो नतीजे बेहद चौकाने वाले थे। क्योंकि अधिकांश ने कहा कि उंहे वर्षाजल संरक्षण के बारे में पता ही नहीं।
साफ नदी होगी साफ सोच से
Posted on 05 Apr, 2011 11:10 AMयमुना की सफाई दिल्ली में एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद यमुना का दिल्ली में एक गंदे नाले के रूप में बहते रहना निश्चित ही दुर्भाग्यपूर्ण है। वर्तमान में दिल्ली में यमुना की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पानी में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा प्रति लीटर 4.0 मिलीग्राम की सामान्य स्थिति के मुकाबले शून्य से 1.79 मिलीग्राम प्रति लीटर है। यानी यमु
मानव और पर्यावरण एक दूसरे के पूरक है
Posted on 04 Apr, 2011 06:22 PMपृथ्वी सदियों से मानव जाति को आश्रय प्रदान करती आ रही है। मानव जीवन के आस्तित्व के लिए धरती ने हवा, पानी, खाद्य सामाग्री आदि अनेकों उपहार दिए हैं। पेड़ पौधों ने धरती को हरा भरा बना कर प्राणी जगत को जीवंत किया है।
पानी की हर बूंद कीमती है
Posted on 04 Apr, 2011 11:57 AM22 मार्च यानी विश्व जल दिवस। पानी बचाने के संकल्प का दिन। पानी के महत्व को जानने का दिन और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का दिन। प्रकृति जीवनदायी संपदा जल हमें एक चक्र के रूप में प्रदान करती है, हम भी इस चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस चक्र को गतिशील बनाए रखना हमारी ज़िम्मेदारी है, प्रकृति के ख़ज़ाने से हम जितना पानी लेते हैं, उसे वापस भी हमें ही लौटाना है। हम स्वयं पानी क
लुप्त होती नदियां
Posted on 02 Apr, 2011 04:36 PMभारत नदियों का देश कहा जाता है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि हमारी नदियां आज लुप्त प्रायः होती जा रही हैं। नदियों की बात चलती है तो जेहन में सवाल उभरता है कि आखिर नदियां कैसे बनती हैं? कहां से आता है पानी इन नदियों में?
सहस्राब्दि विकास लक्ष्य और इंवायर्नमेंट सस्टेनेबिलिटी
Posted on 02 Apr, 2011 02:55 PMप्रस्तुत प्रकरण में सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों-7 में पर्यावरणीय स्थिरता पर चर्चा की जा रही है। सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों के अनुसार पर्यावरणीय स्थिरता आर्थिक और सामाजिक खुशहाली का एक हिस्सा है।