पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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ना मोहि नाधो उलिया कुलिया
Posted on 24 Mar, 2010 11:36 AM
ना मोहि नाधो उलिया कुलिया, ना मोहिँ नाधो दायें।
बीस बरस तक करौं बरदई, जो ना मिलिहैं गायें।।


भावार्थ- बैल को यदि छोटे-छोटे खेतों में न जोता जाये, न दाहिने जोता जाये और न गाय से मिलने दिया जाये, तो उससे बीस वर्ष तक खेत की जुताई कराई जा सकती है, ऐसा घाघ कहते हैं।

निटिया बरद छोटिया हारी
Posted on 24 Mar, 2010 11:33 AM
निटिया बरद छोटिया हारी।
दूब कहै मोर काह उखारी।।


शब्दार्थ- निटिया- नाटा या छोटा। हारी- हलवाहा।

भावार्थ- छोटी पूँछ अथवा छोटे कद का बैल और नाटे हलवाहे को देख कर दूब कहती है कि ये मुझे क्या उखाड़ पायेंगे?

नीला कंधा बैंगन खुरा
Posted on 24 Mar, 2010 11:31 AM
नीला कंधा बैंगन खुरा।
कबहूँ न निकले कंता बुरा।।


भावार्थ- घाघ कहते हैं कि जिस बैल का कंधा नीला और खुर बैंगनी रंग का हो, वह मालिक के लिए कभी बुरा नहीं निकलता है।

नाटा खोटा बेंचि के
Posted on 24 Mar, 2010 10:39 AM
नाटा खोटा बेंचि के, चारि धुरंधर लेहु।
आपन काम निकारि के, औरहु मँगनी देहु।।


भावार्थ- घाघ कहते हैं कि हे किसान! छोटे-मोटे बैल बेंच कर चार बड़े-बड़े बैल खरीद लो। उनसे अपनी भी खेती हो जायेगी और दूसरों को भी उधार दे सकोगे।

डग डग डोलन फरका पेलन
Posted on 24 Mar, 2010 10:38 AM
डग डग डोलन फरका पेलन, कहाँ चले तुम बाँड़ा।
पहिले खाबइ रान परोसी, गोसैयाँ कब छाँड़ा।।


शब्दार्थ- फरका- छप्पर।

भावार्थ- जो बैल कटी हुई पूँछ वाला हो, डगमगा कर चलने वाला हो और अपनी लम्बी सींगों से छप्पर को ढकेलने वाला हो, वह इतना अशुभ होता है कि अपने मालिक के साथ-साथ पड़ोसियों को भी खा जाता है।

जहँ देखो पटवा की डोर
Posted on 24 Mar, 2010 10:36 AM
जहँ देखो पटवा की डोर।
तहवाँ दीजै थैली छोर।।


शब्दार्थ- पटवा-पीला।

भावार्थ- जहाँ पीले रंग का बैल दिखाई पड़े, उसे कुछ अधिक कीमत देकर भी खरीद लेना चाहिए।

जहाँ देखिहों रूपा धवर
Posted on 24 Mar, 2010 10:34 AM
जहाँ देखिहों रूपा धवर।
सुका चार बरु दीह अवर।।


शब्दार्थ- धवर-धवरा का सफेद। सुका- चार आना, चवन्नी।

भावार्थ- सफेद रंग के बैल के लिए चार सुका अर्थात कुछ अधिक दाम भी देना पड़े तो खरीद लेना चाहिए।

जहाँ परै फुलवा की लार
Posted on 24 Mar, 2010 10:32 AM
जहाँ परै फुलवा की लार।
झाड़ू लैके बुहारो सार।।


भावार्थ- जिस स्थान पर फुलवा नस्ल के बैल की लार गिरे उसे तत्काल झाड़ू से बुहार देना चाहिए।

जोतै क पुरबी लादै क दमोय
Posted on 24 Mar, 2010 10:31 AM
जोतै क पुरबी लादै क दमोय।
हेंगा क काम दे जो देवहा होय।।


भावार्थ- घाघ कहते हैं कि जुताई के लिए पूर्वी नस्ल का, लादने के लिए दमोय नस्ल का और हेंगा के लिए देवहा नस्ल का बैल उत्कृष्ट होता है।

जहँवा देखिहाँ लोह बैलिया
Posted on 24 Mar, 2010 10:29 AM
जहँवा देखिहाँ लोह बैलिया।
तहँवा दीह खोलि थैलिया।।


भावार्थ- यदि लाल रंग का बैल दिख जाए तो उसे तत्काल खरीद लेना चाहिए।

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