नीतियां, कानून और विनियम

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दिल्ली उच्चन्यायालय ने जलस्रोतों पर कब्जे को रोका
Posted on 16 Apr, 2009 07:51 PM
दो प्रमुख जल स्रोतों तथा आसपास निर्माण कार्यों परदिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा रोक…

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा ...
Posted on 14 Mar, 2009 05:58 PM
नई दिल्ली – दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार को नोटिस जारी करके उत्तरी दिल्ली में स्थित जहाँगीरपुरी और मायापुरी झील के बारे में “स्थिति रिपोर्ट” माँगी है। एक गैर-सरकारी संगठन ने गत दिनों दिल्ली के विभिन्न जल स्रोतों के प्रदूषणग्रस्त होने और उन पर मंडरा रहे खतरे को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी, उस पर संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने यह नोटिस जारी किया है। उक्त याचिका में कहा गया है कि प्रशासन द्व
महिलाओं का मार्च
Posted on 19 Feb, 2009 09:55 AM

पीने के पानी के लिए महिलाओं का मार्च और 108 आरटीआई

पानी का हक : संवैधानिक
Posted on 09 Feb, 2009 01:43 PM जागरण याहू, नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने कहा है कि पानी की कमी के चलते सामाजिक तनाव फैलने के साथ ही बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया है कि ऐसे किसी भी संकट से निपटने के उपाय सुझाने के लिए तत्काल वैज्ञानिकों की एक उच्च अधिकार संपन्न समिति गठित की जाए।
कोसी आपदा: पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण नीति
Posted on 15 Dec, 2008 11:09 AM कोसी नेपाल एवं भारत के बीच बहनेवाली, गंगा की सहायक नदी है, जिसका आवाह (जलग्रहण) क्षेत्र करीब 69300 वर्ग किलोमीटर नेपाल में है। यह कंचनजंगा की पश्चिम की ओर से नेपाल की पहाड़ियों से उतर कर भीमनगर होते हुए बिहार के मैदानी इलाके में प्रवेश करती है। यह एक बारहमासी नदी है प्रत्येक वर्ष कोसी नदी में बह रही गाद के कारण नदी के तट का स्तर बांध के बाहर की जमीन से ऊपर हो गया है।
ब्रह्मपुत्र बोर्ड
Posted on 19 Sep, 2008 10:59 AM

पूर्वोत्तर क्षेत्र में व्यापक बाढ़ और तटकटाव की समस्याओं का निदान खोजने के उद्देश्य से संसद के एक अधिनियम 1980(1980 का 46) के अंतर्गत ब्रह्मपुत्र बोर्ड को एक स्वयंशासित निकाय के रूप में तत्कालीन सिंचाई मंत्रालय के अधीन (अभी जल संसाधन मंत्रालय के नाम से पुनर्निर्मित) गठित किया गया है। बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र एवम् बराकघाटी तथा पूर्वोत्तर के सभी राज्य पूर्णतया या अंशतया शामिल हैं।

सूचना का अधिकार अधिनियम
Posted on 18 Sep, 2008 01:47 PM

सूचना का अधिकारसूचना

सूचना का अधिकार
पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) का महत्व क्या है? और भारत में पर्यावरण मंजूरी प्रक्रिया
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जो प्रस्तावित परियोजनाओं, नीतियों या कार्यक्रमों को लागू करने से पहले उनके संभावित पर्यावरणीय परिणामों का मूल्यांकन करती है। इसका प्राथमिक उद्देश्य पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर किसी परियोजना के संभावित प्रतिकूल प्रभावों की पहचान करना और उनका आकलन करना है, साथ ही इन प्रभावों को कम करने या कम करने के उपायों का प्रस्ताव करना है Posted on 15 May, 2024 03:53 PM

भारत में पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 27.01.1994 को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत जारी की गई विभिन्न गतिविधियों के लिए एक अधिसूचना के माध्यम से अनिवार्य किया गया था। उक्त ईआईए अधिसूचना 1994 के कार्यान्वयन के दौरान, कई छोटी-छोटी कमियां देखी गई और इन लघु कमियों को समय-समय पर संशोधन करने के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया गया। ईआईए का उपयो

पर्यावरण प्रभाव आकलन प्रक्रिया
जल प्रशासन में गुजरात और भारत की जलयात्रा
गुजरात और भारत की जल यात्रा बहुत दिलचस्प है, जिसने दुनिया को दिखाया है कि जल को संधारणीय बनाने और पर्यावरण संरक्षण को बहाल करने के लिए जल प्रबंधन में कैसे नयापन लाया जा सकता है। संधारणीयता के उद्देश्य से, लोगों की भागीदारी प्रौद्योगिकी पर केंद्रित ये पहल, पूरी दुनिया के लिए किफायती, प्रेरक और विश्वसनीय मॉडल का मार्ग प्रशस्त करती है। The water journey of Gujarat and India is very interesting, which has shown the world how to innovate in water management to make water sustainability and restore environmental protection. These initiatives, focused on people-participatory technology with the aim of sustainability, pave the way for affordable, inspiring and reliable models for the entire world. Posted on 05 May, 2024 06:08 PM

आज भारत के विकास का वाहक माना जाने वाला गुजरात राज्य, 21वीं सदी के पहले दशक में पानी की कमी वाले राज्यों में था लेकिन अब यह जल-सुरक्षा वाला राज्य बन गया है। पर्यावरण के अनुकूल नीतियों, जलवायु स्थिति स्थापक इंजीनियरिंग को अपनाने और ज़मीनी स्तर पर नेतृत्व को मजबूत करने से परिवर्तित हुआ यह राज्य, सतत विकास का अनुकरणीय उदाहरण है। इस लेख में राज्य में राष्ट्रीय स्तर पर उठाए गए कदमों और सतत विकास लक्

जल प्रशासन में गुजरात की भूमिका प्रभावी
मिलेट्स का ग्लोबल हब ही नहीं, लोकल हब भी बनाना पड़ेगा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के केन्द्रीय बजट में मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ‘श्री अन्न योजना लांच करने का ऐलान लिया है. इसके तहत बाजरा, ज्वार, रागी जैसे मिलेट्स का उत्पादन करने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा. Posted on 17 Feb, 2023 02:15 PM

इस साल 2023 को ख़ास तौर पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत के आग्रह पर इंटरनेशनल मिलेट्स इयर (वर्ष ) घोषित किया है. इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाने, उपयोगी प्रसंस्करण और बेहतर फसल चक्र के साथ खाद्य सुरक्षा को बल मिलेगा. इस दिशा में केंद्र सरकार ने शुरुआती कई कदम उठाए हैं.

मोटे अनाज, फोटो साभार - https://www.dreamstime.com/
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