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समाचार और आलेख
सूख चुके है सदियों से प्यास बुझाने वाले तालाब
Posted on 03 Apr, 2023 03:10 PMसैकड़ों-हजारों तालाब अचानक शून्य से प्रकट नहीं हुए थे। इनके पीछे एक इकाई थी बनवाने वालों की, तो दहाई थी बनाने वालों की। यह इकाई, दहाई मिलकर सैकड़ा, हजार बनती थी। पिछले दो सौ बरसों में नए किस्म की थोड़ी सी पढ़ाई पढ़ गए समाज ने इस इकाई, दहाई, सैकड़ा, हजार को शून्य ही बना दिया।" जल पुरुष अनुपम मिश्र की पुस्तक 'खरे हैं तालाब' में लिखी ये पंक्तियां आज के मनुष्य पर चोट करती हैं, जो आधुनिकता की अंधी द
झांसी के लक्ष्मी तालाब बचाने की लड़ाई की सजा भुगत रहा नरेन्द्र
Posted on 01 Apr, 2023 03:36 PMझांसी के पर्यावरण कार्यकर्ता नरेन्द्र कुशवाहा स्वच्छ हवा, पानी के स्रोत नदी, तालाब और पार्क आदि की भूमियों को अतिक्रमण से बचाने और उन्हे मूल स्वरूप में वापस लाने हेतु प्रयासरत कार्य कर रहे है। झांसी में स्थित तालाब और पार्क आदि को अतिक्रमण से बचाने एवं उन्हें मूल स्वरूप में वापस लाने हेतु नरेन्द्र द्वारा राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण, (एनजीटी) नई दिल्ली में ओ.ए. संख्या 114/2021 व ओ.ए.
क्या जून 2023 तक जम्मू कश्मीर में पानी की समस्या का हल हो पाएगा?
Posted on 30 Mar, 2023 05:53 PMजल प्रकृति द्वारा मनुष्य को दी गई एक महत्वपूर्ण संपत्ति में से एक है. यह हमारे जीवन के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता है. इसके बिना हमारा जीवन कुछ भी नहीं है. खाना बनाने से लेकर नहाने, कपड़े धोने, पीने और खेती करने आदि के कामों के लिए पानी की आवश्यकता होती है. लेकिन देश में सभी नागरिकों को एक समान पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है.
2050 तक भारत में उपचारित अपशिष्ट जल का बाजार मूल्य दोगुना से अधिक हो जाएगा
Posted on 30 Mar, 2023 03:14 PMभारत 2050 तक अनुमानित सीवेज उत्पादन और उपचार क्षमताओं के आधार पर 35,000 मिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक अपशिष्ट जल जमा कर सकता है। एक अध्ययन के अनुसार भारत के पास उपचारित जल का पुन: उपयोग करने की जबरदस्त क्षमता है जो वर्ष 2050 तक भारत के 26 गुना क्षेत्र को सिंचित करने के लिए पर्याप्त होगा। अध्ययन से ये भी बात सामने आई है कि अगर भारत साल 2021 में उपचारित जल का प्रयोग करता तो वह लगभग 28 मिलियन
जलस्रोत और नदियों को बचाना है तो पानी बोओ और पानी उगाओ
Posted on 28 Mar, 2023 04:58 PMजल दिवस पर पानी बोओ पानी उगाओ अभियान के तहत बृहस्पतिवार को नगर पंचायत सभागार में महेश त्रिपाठी की अध्यक्षता में विचार गोष्ठी हुई। तेजी से सूख रहे प्राकृतिक जल स्रोतों को लेकर गोष्ठी में चिंता जताई गई। अभियान के संयोजक मोहन कांडपाल ने कहा कि समय पर जागरूकता नहीं आई तो भविष्य में भीषण पेयजल संकट उत्पन्न होगा। उन्होंने कहा कि नदी और जल स्रोतों को बचाने के लिए पिछले 30 वर्षों से काम कर रहे है, वर्त
पानी की कमी से जूझते देशो की सूची में भारत 13वें स्थान पर
Posted on 28 Mar, 2023 02:48 PMपानी को बचाने के लिए और उसे पीने लायक बनाए रखने के लिए विश्व में हर देश अपने स्तर पर कुछ न कुछ योजनाएं चला रहे है। पिछले कुछ समय में देखा गया है कि पीने के पानी की तादाद में गिरावट आई है।एक व्यक्ति को प्रतिदिन औसतन 30 से 50 लीटर स्वच्छ जल की आवश्यकता होती है लेकिन हमारे देश में करीब 88 करोड़ लोगों को जरूरत का 10 प्रतिशत हिस्सा भी नहीं मिल पाता यानी इस बात से यह तो साफ़ हो गया है कि लोगो को कम मा
नर्मदा को निगलती 'विकास' परियोजनाएं
Posted on 28 Mar, 2023 12:32 PMआधुनिक विकास को विनाश में तब्दील होते देखना हो तो देश के ठीक बीच से प्रवाहित नर्मदा नदी के साथ किया जाने वाला दुर्व्यवहार देख लेना चाहिए। यह जानना सचमुच बेहद दुखदायी है कि कोई सत्ता और समाज कैसे अपनी सदानीरा, पुण्यसलिला, जीवन दायिनी कहलाने वाली नदी को अपनी हवस के चलते ताबड़तोड़ समाप्त करता है। वन विभाग के 2020-21 के वार्षिक प्रतिवेदन के अनुसार मध्यप्रदेश में 1980 से 2020 तक 1163 विकास परियोजनाओ
नदी और बारिश की एक-एक बूंद बचाने की कोशिश
Posted on 27 Mar, 2023 02:52 PMजल संरक्षण के लिए तमाम सरकारी फरमान जारी होते हैं, कई अभियान भी चलाए जाते हैं। इन कोशिशों के बीच कुछ लोग ऐसे हैं जो संगठन के रूप में जल संरक्षण के भगीरथ प्रयास में जुटे हुए हैं। कुछ एकला चलो की तर्ज पर अकेले ही प्रयास कर रहे हैं। ये लोग नदी, गधरे और बारिश की एक-एक अमृत बूंद की चिंता कर रहे हैं, वे नई पीढ़ी के कल के लिए आज जल संरक्षण की कोशिश में जुटे हैं।
पहाड़ी जिलों में बिगड़ रहे हालात
Posted on 27 Mar, 2023 02:40 PMहमने बचपन से बड़े होते अक्सर यह सुना है, जल ही जीवन है, अर्थात जल के बिना जीवन संभव ही नहीं। लेकिन प्राकृतिक जलस्रोत लगातार सूखते जा रहे हैं। हालात यह हैं कि एशिया के वाटर हाउस वाले हिस्से में भी यानी हिमालय में जल संकट की समस्या पैदा हो चुकी है। हिमालयी राज्य उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट जैसे राज्यों में जल के लिए करीब 60% आबादी झारनों और प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर है।
मिसाल :- हवेली मॉडल से सिंचाई की समस्या खत्म
Posted on 25 Mar, 2023 12:16 PMशासन जल संरक्षण कर भूजल स्तर सुधारने के प्रयास में करोड़ों रुपये प्रतिवर्ष खर्च कर रहा है। फिर भी मंशानुरूप सुधार नहीं हो रहा है। स्थिति सुधरनें के बजाय बिगड़ती जा रही है। इसके विपरीत तीन संस्थाओं ने हवेली मॉडल से जिले के तीन गांवों में सिंचाई की समस्या खत्म कर दी। वहीं अपनी धुन के पक्के साधु कृष्णानंद ने बिना किसी लाभ व लालच जल संरक्षण के लिए एक हेक्टेयर का तालाब खोद डाला। उन्होंने परेशानियों