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सूख चुके है सदियों से प्यास बुझाने वाले तालाब
छावनी क्षेत्र चकराता से 12 किमी दूरी पर स्थित रामताल गार्डन (पौराणिक नाम-चौलीयात) में बना तालाब पूरी तरह सूख चुका है। कभी यह तालाब सैलानियों की पसंदीदा जगह हुआ करता था। लेकिन दो साल पूर्व यह तालाब पूरी तरह से सूख गया Posted on 03 Apr, 2023 03:10 PM

सैकड़ों-हजारों तालाब अचानक शून्य से प्रकट नहीं हुए थे। इनके पीछे एक इकाई थी बनवाने वालों की, तो दहाई थी बनाने वालों की। यह इकाई, दहाई मिलकर सैकड़ा, हजार बनती थी। पिछले दो सौ बरसों में नए किस्म की थोड़ी सी पढ़ाई पढ़ गए समाज ने इस इकाई, दहाई, सैकड़ा, हजार को शून्य ही बना दिया।" जल पुरुष अनुपम मिश्र की पुस्तक 'खरे हैं तालाब' में लिखी ये पंक्तियां आज के मनुष्य पर चोट करती हैं, जो आधुनिकता की अंधी द

सूख चुके है सदियों से प्यास बुझाने वाले तालाब,Pc-Iwpflicker
झांसी के लक्ष्मी तालाब बचाने की लड़ाई की सजा भुगत रहा नरेन्द्र
झांसी के पर्यावरण कार्यकर्ता नरेन्द्र कुशवाहा स्वच्छ हवा, पानी के स्रोत नदी, तालाब और पार्क आदि की भूमियों को अतिक्रमण से बचाने और उन्हे मूल स्वरूप में वापस लाने हेतु प्रयासरत कार्य कर रहे है। झांसी में स्थित तालाब और पार्क आदि Posted on 01 Apr, 2023 03:36 PM

झांसी के पर्यावरण कार्यकर्ता नरेन्द्र कुशवाहा स्वच्छ हवा, पानी के स्रोत नदी, तालाब और पार्क आदि की भूमियों को अतिक्रमण से बचाने और उन्हे मूल स्वरूप में वापस लाने हेतु प्रयासरत कार्य कर रहे है। झांसी में स्थित तालाब और पार्क आदि को अतिक्रमण से बचाने एवं उन्हें मूल स्वरूप में वापस लाने हेतु नरेन्द्र द्वारा राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण, (एनजीटी) नई दिल्ली में ओ.ए. संख्या 114/2021 व ओ.ए.

लक्ष्मी तालाब की सुंदरता पर करोड़ों कर्च हो चुके हैं। फोटो साभार- झांसी फोटोज
क्या जून 2023 तक जम्मू कश्मीर में पानी की समस्या का हल हो पाएगा?
देश के कई राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहां शत प्रतिशत घरों में पीने के साफ़ पानी का नल पहुंच चुका है. इसके अलावा जल संरक्षण की दिशा में भी तेज़ी से काम हो रहा है. Posted on 30 Mar, 2023 05:53 PM

जल प्रकृति द्वारा मनुष्य को दी गई एक महत्वपूर्ण संपत्ति में से एक है. यह हमारे जीवन के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता है. इसके बिना हमारा जीवन कुछ भी नहीं है. खाना बनाने से लेकर नहाने, कपड़े धोने, पीने और खेती करने आदि के कामों के लिए पानी की आवश्यकता होती है. लेकिन देश में सभी नागरिकों को एक समान पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है.

जोदान गांव के लोग एक ही कुएं से पीने और कपड़े धोने के लिए मजबूर, Pc-(चरखा फीचर)
2050 तक भारत में उपचारित अपशिष्ट जल का बाजार मूल्य दोगुना से अधिक हो जाएगा
भारत के पास उपचारित जल  का पुन: उपयोग करने की जबरदस्त क्षमता है जो वर्ष 2050 तक उसके 26 गुना क्षेत्र को सिंचित करने के लिए पर्याप्त होगा।
Posted on 30 Mar, 2023 03:14 PM

भारत 2050 तक अनुमानित सीवेज उत्पादन और उपचार क्षमताओं के आधार पर 35,000 मिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक अपशिष्ट जल जमा कर सकता है। एक अध्ययन के अनुसार भारत के पास उपचारित जल  का पुन: उपयोग करने की जबरदस्त क्षमता है जो वर्ष  2050 तक भारत के 26 गुना क्षेत्र को सिंचित करने के लिए पर्याप्त होगा। अध्ययन से ये भी बात सामने आई है कि अगर भारत  साल 2021 में उपचारित जल का प्रयोग करता  तो  वह लगभग  28 मिलियन

जल उपचार संयंत्र, Pc(cleantechwater)
जलस्रोत और नदियों को बचाना है तो पानी बोओ और पानी उगाओ
वर्तमान में चलो गांव की ओर अभियान चलाकर ब्लॉक के दर्जनों गावों में जल स्रोत और रिस्कन नदी को बचाने के लिए काम कर रहे हैं। इस मुहिम में वह अब तक छोटे-बड़े हजारों चाल खाल रिस्कन नदी की पहाड़ियों के आसपास और गावों में बना चुके हैं
Posted on 28 Mar, 2023 04:58 PM

जल दिवस पर पानी बोओ पानी उगाओ अभियान के तहत बृहस्पतिवार को नगर पंचायत सभागार में महेश त्रिपाठी की अध्यक्षता में विचार गोष्ठी हुई। तेजी से सूख रहे प्राकृतिक जल स्रोतों को लेकर गोष्ठी में चिंता जताई गई। अभियान के संयोजक मोहन कांडपाल ने कहा कि समय पर जागरूकता नहीं आई तो भविष्य में भीषण पेयजल संकट उत्पन्न होगा। उन्होंने कहा कि नदी और जल स्रोतों को बचाने के लिए पिछले 30 वर्षों से काम कर रहे है, वर्त

जलस्रोत और नदियों को बचाना है तो पानी बोओ और पानी उगाओ
पानी की कमी से जूझते देशो की सूची में भारत 13वें स्थान पर
एक व्यक्ति को प्रतिदिन औसतन 30 से 50 लीटर स्वच्छ जल की आवश्यकता होती है लेकिन हमारे देश में करीब 88 करोड़ लोगों को जरूरत का 10 प्रतिशत हिस्सा भी नहीं मिल पाता। Posted on 28 Mar, 2023 02:48 PM

पानी को बचाने के लिए और उसे पीने लायक बनाए रखने के लिए विश्व में हर देश अपने स्तर पर कुछ न कुछ योजनाएं चला रहे है।  पिछले कुछ समय में देखा गया है कि पीने के पानी की तादाद में गिरावट आई है।एक व्यक्ति को प्रतिदिन औसतन 30 से 50 लीटर स्वच्छ जल की आवश्यकता होती है लेकिन हमारे देश में करीब 88 करोड़ लोगों को जरूरत का 10 प्रतिशत हिस्सा भी नहीं मिल पाता यानी इस बात से यह तो साफ़ हो गया है कि लोगो को कम मा

पानी की कमी से जूझते देशो की सूची में भारत 13वें स्थान पर (Pc-Patrika)
नर्मदा को निगलती 'विकास' परियोजनाएं
1980 से 2020 तक 1163 विकास परियोजनाओं के लिए 2,84, 131 हेक्टेयर वनभूमि को गैर वनीकरण कार्य के लिए परिवर्तित किया गया है। इसमें से 279 सिंचाई परियोजनाओं के लिए 83,842 हेक्टेयर वन भूमि का इस्तेमाल हुआ है।
Posted on 28 Mar, 2023 12:32 PM

आधुनिक विकास को विनाश में तब्दील होते देखना हो तो देश के ठीक बीच से प्रवाहित नर्मदा नदी के साथ किया जाने वाला दुर्व्यवहार देख लेना चाहिए। यह जानना सचमुच बेहद दुखदायी है कि कोई सत्ता और समाज कैसे अपनी सदानीरा, पुण्यसलिला, जीवन दायिनी कहलाने वाली नदी को अपनी हवस के चलते ताबड़तोड़ समाप्त करता है। वन विभाग के 2020-21 के वार्षिक प्रतिवेदन के अनुसार मध्यप्रदेश में 1980 से 2020 तक 1163 विकास परियोजनाओ

नर्मदा को निगलती 'विकास' परियोजनाएं
नदी और बारिश की एक-एक बूंद बचाने की कोशिश
जल संरक्षण के लिए तमाम सरकारी फरमान जारी होते हैं, कई अभियान भी चलाए जाते हैं। इन कोशिशों के बीच कुछ लोग ऐसे हैं जो संगठन के रूप में जल संरक्षण के भगीरथ प्रयास में जुटे हुए हैं। कुछ एकला चलो की तर्ज पर अकेले ही प्रयास कर रहे हैं।
Posted on 27 Mar, 2023 02:52 PM

जल संरक्षण के लिए तमाम सरकारी फरमान जारी होते हैं, कई अभियान भी चलाए जाते हैं। इन कोशिशों के बीच कुछ लोग ऐसे हैं जो संगठन के रूप में जल संरक्षण के भगीरथ प्रयास में जुटे हुए हैं। कुछ एकला चलो की तर्ज पर अकेले ही प्रयास कर रहे हैं। ये लोग नदी, गधरे और बारिश की एक-एक अमृत बूंद की चिंता कर रहे हैं, वे नई पीढ़ी के कल के लिए आज जल संरक्षण की कोशिश में जुटे हैं।

नदी और बारिश की एक-एक बूंद बचाने की कोशिश (pc-jagarn)
पहाड़ी जिलों में बिगड़ रहे हालात 
प्राकृतिक जलस्रोत लगातार सूखते जा रहे हैं। हालात यह हैं कि एशिया के वाटर हाउस वाले हिस्से में भी यानी हिमालय में जल संकट की समस्या पैदा हो चुकी है। हिमालयी राज्य उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट जैसे राज्यों में जल के लिए करीब 60% आबादी झारनों और प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर है। इन सभी प्रदेशों में उत्तराखंड की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। Posted on 27 Mar, 2023 02:40 PM

हमने बचपन से बड़े होते अक्सर यह सुना है, जल ही जीवन है, अर्थात जल के बिना जीवन संभव ही नहीं। लेकिन प्राकृतिक जलस्रोत लगातार सूखते जा रहे हैं। हालात यह हैं कि एशिया के वाटर हाउस वाले हिस्से में भी यानी हिमालय में जल संकट की समस्या पैदा हो चुकी है। हिमालयी राज्य उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट जैसे राज्यों में जल के लिए करीब 60% आबादी झारनों और प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर है।

पहाड़ी जिलों में बिगड़ रहे हालात (Pc- Hindi Vivek)
मिसाल :- हवेली मॉडल से सिंचाई की समस्या खत्म 
शासन जल संरक्षण कर भूजल स्तर सुधारने के प्रयास में करोड़ों रुपये प्रतिवर्ष खर्च कर रहा  है। फिर भी मंशानुरूप सुधार नहीं हो रहा है। स्थिति सुधरनें के बजाय बिगड़ती जा रही है। इसके विपरीत तीन संस्थाओं ने हवेली मॉडल से जिले के तीन गांवों में सिंचाई की समस्या खत्म कर दी। Posted on 25 Mar, 2023 12:16 PM

शासन जल संरक्षण कर भूजल स्तर सुधारने के प्रयास में करोड़ों रुपये प्रतिवर्ष खर्च कर रहा  है। फिर भी मंशानुरूप सुधार नहीं हो रहा है। स्थिति सुधरनें के बजाय बिगड़ती जा रही है। इसके विपरीत तीन संस्थाओं ने हवेली मॉडल से जिले के तीन गांवों में सिंचाई की समस्या खत्म कर दी। वहीं अपनी धुन के पक्के साधु कृष्णानंद ने बिना किसी लाभ व लालच जल संरक्षण के लिए एक हेक्टेयर का तालाब खोद डाला। उन्होंने परेशानियों

सौखर गांव में हवेली मॉडल के तहत बनाई गई बंधी
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