जल संरक्षण के लिए तमाम सरकारी फरमान जारी होते हैं, कई अभियान भी चलाए जाते हैं। इन कोशिशों के बीच कुछ लोग ऐसे हैं जो संगठन के रूप में जल संरक्षण के भगीरथ प्रयास में जुटे हुए हैं। कुछ एकला चलो की तर्ज पर अकेले ही प्रयास कर रहे हैं। ये लोग नदी, गधरे और बारिश की एक-एक अमृत बूंद की चिंता कर रहे हैं, वे नई पीढ़ी के कल के लिए आज जल संरक्षण की कोशिश में जुटे हैं।
जनमैत्री संगठन ने बनाए 700 टैंक
केस-1
जनमैत्री संगठन जल संरक्षण को लेकर अनूठी पहल कर रहा है। संगठन ने रामगढ़ और धारी ब्लॉक में बारिश के पानी के संरक्षण के लिए 10 से 30 हजार लीटर के 700 जल संग्रह टैंक बनाये हैं। धारी ब्लॉक के बुरासी, गजार, बूढ़ीबना, सुनकिया और रामगढ़ ब्लॉक के सूपी, सतबुंगा, लोगल्ला, नथुवाखान गांवों में टैंक बनाये गए हैं। इस अभियान के तहत ग्रामीण अपनी जमीन पर गड्ढा खोदते हैं और उन्हें पॉलीथिन शीट उपलब्ध कराने का कार्य संगठन कर रहा है। जनमैत्री के संयोजक बच्ची सिंह बिष्ट ने बताया कि 2010 से संगठन जल संरक्षण की मुहिम में जुटा है। मुक्तेश्वर से कसियालेख के बीच बहने वाली रामगाड़ नदी के जलागम क्षेत्र को संरक्षित करने, चाल खाल खोदने, स्रोतों की सफाई करने के साथ ही जल संरक्षण को लेकर जनजागरूकता यात्राएं और गांवों में बैठकें भी की जा रही है। जल संरक्षण के इस अभियान में महेश गलिया, मोहन सिंह बिष्ट, गोपाल सिंह, मदन सिंह डंगवाल, मोहन राम, कमलेश लोधियाल, राजेश्वरी नयाल, खीमा देवी, ममता नयाल आदि स्वयंसेवी जुड़े हैं।
शिप्रा नदी को साफ कर बनाया वेगवाहिनी
केस-2
2015 से शिप्रा कल्याण समिति भवाली की शिप्रा नदी की सफाई में जुटी है। हर रविवार को मजदूरों और स्वयंसेवियों की मदद से अभियान चलाया जाता है। समिति के अध्यक्ष जगदीश नेगी ने बताया कि समिति ने शिप्रा और कोसी नदी में सफाई अभियान चलाकर अब तक 100 ट्रक से अधिक कूड़ा-कचरा निकाला है। इसके अलावा शिप्रा नदी के मुख्य जलग्रहण क्षेत्र घोड़ाखाल में करीब 250 चाल खाल और छोटे तालाब बनाए गए हैं। क्षेत्र में करीब 5 हजार जलवर्धक वृक्ष बांज, काफल, बुरांश आदि लगाये गये हैं।
सेवानिवृत्ति के बाद जल संरक्षण अभियान में जुटे
केस-3
श्रीमताल विकासखंड के फरसोली निवासी लाल सिंह चौहान चार दशक से जल संरक्षण के अभियान में जुटे हैं। मूल रूप से मुजफ्फरनगर के रहने वाले लाल सिंह चौहान ने कृषि विभाग में कार्य करते हुए कुमाऊं क्षेत्र में 35 साल अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान अल्मोड़ा, चंपावत, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, भीमताल में नौकरी करते हुए भूमि एवं जल संरक्षण के कार्यों को अंजाम दिया। सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद भी वे जल संरक्षण के अभियान में जुटे हुए हैं। जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रही विभिन्न संस्थाओं को तकनीकी गाइडेंस दे रहे हैं। भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने के लिए सराहनीय प्रयास कर रहे हैं।
जलस्त्रोतों को संरक्षित कर रहे शिक्षक
केस -4
जीआईसी भूमियाधार में अर्थशास्त्र के प्रवक्ता त्रिभुवन अग्रगामी स्कूली बच्चों में रचनात्मक रुचि पैदा करने के साथ ही जल संरक्षण के अभियान में जुटे है। उन्होंने गांव क्षेत्र के छोटे-बड़े जलाशयों, नीले-धारे को संरक्षित करने का कार्य किया है। स्कूली बच्चों के साथ ही मिलकर जलस्त्रोतों के संरक्षण को लेकर भी अभियान चलाया है। एनएच 87 में आने वाले लड़ियाकांटा जलस्रोत की वह सफाई कर रहे हैं। इसके अलावा गांव-गांव जाकर लोगों को जल संरक्षण का संदेश दे रहे हैं।
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