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जलप्रबंधन का सामाजिक - ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य कोशी क्षेत्र के सन्दर्भ में
आजकल जल प्रबंधन सम्पूर्ण विश्व में मानवता के समक्ष ज्वलंत समस्या बनकर उभरा है। वैज्ञानिक अविष्कारों ने जहाँ जीवनस्तर को काफी ऊँचा उठा दिया है और जनसंख्या भी बढ़ी है। प्राकृतिक संसाधनों के प्रचूर मात्रा में दोहन के परिणाम स्वरूप प्राकृतिक संसाधन और मानव सभ्यता के बीच का संतुलन डगमगाने लगा है और इससे कोशी क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा है। सन् 1987 में कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार की स्थापना हुई जो जल प्रबंधन के क्षेत्र में पूर्ण पड़ाव जैसा था।

Posted on 15 Nov, 2023 01:19 PM

वैसे तो कोशी क्षेत्र जल के मामले में हमेशा से आत्मनिर्भर रहा है लेकिन कभी-कभी अत्याधिक आत्मनिर्भरता भी नई त्रासदी को जन्म दे देता है। कोशी क्षेत्र में फैले अकुत जल संपदा का अगर सही प्रबंधन नहीं किया जाता तो आज कोशी वासी पहले की अपेक्षा कोशी की क्रूरता से ज्यादा विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर होते। प्राथमिक स्रोत जो कि अधिक प्रामाणिक और महत्वपूर्ण होते हैं के आधार पर 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में

जलप्रबंधन का सामाजिक - ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य कोशी क्षेत्र के सन्दर्भ में
शुद्ध जल के लिए जल संसाधन प्रबंधन की जरूरत (Need for water resources management for pure water)
हमारे देश में बढ़ते जल प्रदूषण के कारण जल जनित रोगों की वृद्धि इस कदर हुई है कि 10% से अधिक आबादी चपेट में आ चुकी है। जल में विकृति लाने वाले प्रदूषक तत्व विभिन्न स्रोतों से मानवीय क्रियाकलापों के दौरान ही प्रवेश करते हैं व मानव पर ही हानिकारक प्रभाव डालते हैं। मानव के अतिरिक्त जलीय एवं स्थलीय जीव-जन्तु भी प्रभावित होते हैं। Posted on 15 Nov, 2023 12:21 PM

धरती पर 70% हिस्से में पानी है। जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0-0.001% जलवाष्प और बादल के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटियों में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों मे 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकियों, जै

शुद्ध जल के लिए जल संसाधन प्रबंधन की जरूरत
भूगर्भ जल दोहन : समस्या और समाधान (Ground water exploitation: problem and solution in Hindi)
बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं और उदार टाऊन प्लानिंग नियमों के कारण परम्परागत रूप से वर्षा जल संचयन जलस्रोत शनैः-शनैः खत्म होते जा रहे हैं। जल शोधन और रिसाइकिलिंग की स्थिति भारत में सोचनीय और दयनीय है। लगभग 80 प्रतिशत घरों में पहुँचने वाला जल भी प्रयोग के पश्चात यों ही सीवरों में बहा दिया जाता है, उसका प्रयोग अन्य किसी कार्य में नहीं लिया जाता है। यह प्रदूषित जल बहकर बड़े जलाशयों, नदियों आदि के जल को दूषित करता है। भारत को मरुभूमि में बसे इजरायल से शिक्षा लेनी चाहिए जो अपनी प्रत्येक जल-बूँद को बेहतर तरीके से प्रयोग करता है। यह देश प्रयोग किए गए जल का शत-प्रतिशत शोधन करता है तथा 94 प्रतिशत को रीसाइक्लिंग द्वारा पुनः घरेलू कार्यों में प्रयोग करता है। Posted on 15 Nov, 2023 12:11 PM

भारत विश्व में भूगर्भ जल दोहन करने वाले देशों में सबसे अग्रणी है। पृथ्वी के गर्भ से जल खींचने वाले विश्व के समस्त देशों में भारत प्रथम स्थान पर, दूसरे स्थान पर चीन तथा तीसरे स्थान पर अमेरिका है। आश्चर्य और कौतूहल का विषय है कि चीन और अमेरिका दोनों देशों को जितना भूगर्भ जल प्राप्त होता है, उससे भी ज्यादा अकेले भूगर्भ जल का दोहन भारत करता है। देश में भूगर्भ जल से ही स्वच्छ जल की पूर्ति होती है। य

भूगर्भ जल दोहन
हाथ धोने की आदत विकसित करने में मददगार हैं ये नवाचार
अमरीका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) का कहना है कि हाथ साफ रखने से 3 में से 1 को डायरिया संबंधी बीमारियों और 5 में से 1 को सर्दी या फ्लू जैसे श्वसन संक्रमण से बचाया जा सकता है। इसी सोच के साथ दुनिया में कुछ नवाचार किए गए हैं, जिनकी मदद से लोगों में हाथ धोने की आदत को विकसित किया गया है। Posted on 14 Nov, 2023 03:32 PM

साबुन से हाथ धोना कई बीमारियों के खिलाफ सबसे प्रभावी उपचार माना जाता है। जागरूकता के बावजूद, हाथों की उचित स्वच्छता की आदत का अभाव होने के कारण इसका पालन नहीं किया जाता है। दुनिया के कई देशों में पानी की कमी है तो कहीं साबुन की उपलब्धता नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में हर साल 30 हजार महिलाओं और 4 लाख बच्चों को हाइजीन के कारण 1.

हाथ धोने की आदत विकसित करने में मददगार हैं ये नवाचार
पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तकें राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के नजरिए से विश्लेषण
पाठ्यपुस्तकों से अपेक्षा है कि ज्ञान को स्थानीय व वैश्विक पर्यावरण के संदर्भ में रखें ताकि विज्ञान, तकनीक व समाज के पारस्परिक संवाद के क्रम में मुद्दों को समझा जा सके। जब इस वैधता पर हम पुस्तकों को देखते हैं तो इनमें स्वच्छता, शौचालय, कचरा प्रबंधन आदि पर विस्तार से बात की गई है जिससे यह उम्मीद दिखती है कि इन मुद्दों पर समाज में संवाद कायम होगा और बदलाव भी आ सकेगा। लेकिन इनके महत्त्व को स्थापित करने हेतु उचित तर्क चुने जाने चाहिए थे। Posted on 14 Nov, 2023 02:55 PM

भारत में स्कूली शिक्षा कार्यक्रमों के अंतर्गत पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण पद्धतियों को बनाने के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) 2005 दस्तावेज एक खाका प्रदान करता है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के अनुसार, शिक्षा के उद्देश्य हमारे संवैधानिक मूल्यों के आधार पर तय किए गए हैं (एनसीएफ 2005, अध्याय-1, पृ.

पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तकें
दिल्ली में क्लाउड सीडिंग या आर्टिफिशियल रेनमेकिंग (Cloud seeding in Delhi in Hindi)
नभाटा की रिपोर्ट के अनुसार क्लाउड सीडिंग एक मौसम संशोधन तकनीक है जो बादलों पर विभिन्न पदार्थों को छोड़कर बारिश या बर्फ को उत्तेजित करने का लक्ष्य रखती है। इसके लिए सिल्वर आयोडाइड या ड्राई आइस (ठोस कार्बन डाईऑक्साइड) को रॉकेट या हवाई जहाज के ज़रिए बादलों पर छोड़ा जाता है।इस प्रक्रिया में बादल हवा से नमी सोखते हैं और कंडेस होकर उसका मास यानी द्रव्यमान बढ़ जाता है। इससे बारिश की भारी बूंदें बनती हैं और वे बरसने लगती हैं।



Posted on 14 Nov, 2023 12:54 PM

दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है, और स्मोग ने उसको और खतरनाक बना दिया है। एक्यूआई यानी एयर-क्वालिटी-इंडेक्स बता रहा है कि दिल्ली की हवा दम घोंट रही है। दिल्ली सरकार दम घोंटू हवा से राहत के लिए क्लाउड सीडिंग को एक समाधान के रूप में देख रही है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बढ़ते प्रदूषण स्तरों से निपटने के एक उपाय के रूप में क्लाउड सीडिंग को ट्रिगर करने का प्रयास करन

क्लाउड सीडिंग
राजस्थान की पर्यावरण की पुस्तकें(Environment Books Of Rajasthan)
राजस्थान की पर्यावरण अध्ययन की सारी पाठ्यपुस्तकें सरसरी तौर पर ही देखी हैं, मगर मैंने पाया कि हरेक में पाठ के अंत में बिंदुवार बता दिया गया है कि विद्यार्थी को क्या सीखना है। कक्षा 4 की 'अपना परिवेश' मैंने थोड़े ध्यान से देखी । तो चलिए इसके पाठों पर एक नजर डालते हैं। वैसे किसी एक पुस्तक पर अलग से नजर डालना इन पुस्तकों के साथ थोड़ा अन्याय है क्योंकि पुस्तक के शुरू में 'शिक्षकों के लिए' शीर्षक के तहत कहा गया है कि “यदि कक्षा 3 में पर्यावरणीय घटक हमारा परिवेश एवं संस्कृति से संबंधित सामग्री पहले ली है तो उसी को क्रमबद्धता के साथ कक्षा 4 व 5 में उसे संवर्धित किया गया है।" बहरहाल, मैं अपनी मेहनत को नहीं बढ़ाऊंगा और कक्षा 4 की किताब को ही आधार बनाऊंगा। Posted on 14 Nov, 2023 12:36 PM

वर्तमान में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 तथा निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के द्वारा यह स्पष्ट है कि समस्त शिक्षण क्रियाओं में 'विद्यार्थी' केंद्र में है। हमारी सिखाने की प्रक्रिया इस प्रकार हो कि विद्यार्थी स्वयं अपने अनुभवों के आधार पर समझ कर ज्ञान का निर्माण करे।

राजस्थान की पर्यावरण की पुस्तकें
मरुदम में प्रकृति से सीखना :  एक शिक्षक का अनुभव 
प्रकृति पर मानव के अभूतपूर्व प्रभाव वाले इस समय में, हम जानते हैं कि मानव व्यवहार को बदलने की आवश्यकता है। इस बदलाव का एक अनिवार्य हिस्सा हमारे बच्चों के लिए यह समझना है कि हम प्रकृति से अलग नहीं बल्कि उसका हिस्सा हैं, साथ ही जिस दुनिया में हम रहते हैं उसमें अपना सार्थक योगदान किस तरह से दे सकते हैं। हमें स्वयं इस बात पर विश्वास है, और कार्य के दौरान भी हमें इसका प्रमाण मिला कि बच्चे अपने आस-पास के परिवेश के साथ खुद को जोड़कर ही सबसे अच्छे तरीके से सीख पाते हैं। Posted on 14 Nov, 2023 11:50 AM

मरुदम, द फॉरेस्ट वे ट्रस्ट द्वारा संचालित एक स्कूल है जो तमिलनाडु में तिरुवन्नामलई की सीमा पर स्थि एक गाँव कान्यामपोन्दी में स्थित है। फॉरेस्ट वे ने करीब 16 साल पहले तिरुवन्नामलई की उजाड़ धरती वनरोपण के लिए काम करना शुरू किया और जैसे-जैसे इस काम में शामिल लोगों का समुदाय बढ़ता  गया  वैसे ही यह इरादा भी जोर पकड़ता गया कि यहाँ पर एक शैक्षिक संस्थान शुरू किया जाए। शिक्षा के लिए  ऐसी जगह की संकल्पन

मरुदम में प्रकृति से सीखना
जल की शिक्षा: कर्नाटक के सरकारी विद्यालयों में जल संरक्षण के प्रयासों का अनुभव
भारत के 24 सर्वाधिक सूखा प्रभावित क्षेत्रों में से कर्नाटक राज्य का स्थान सोलहवाँ है। कर्नाटक के पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र के जिलों, जिनमें गुलबर्गा, रायचूर, बेल्लारी, चित्रदुर्ग, तुमकुर, कोलार और साथ ही कुछ अन्य स्थानों जिनमें बेंगलुरु भी शामिल है, के भूमिगत जल में फ्लोराइड काफ़ी ज़्यादा है। Posted on 14 Nov, 2023 11:23 AM

"हमें  टैंकर से पानी खरीदने के लिए हर 10-15 दिनों में 100 से 150 रुपए खर्च करना पड़ता है। पंचायत से मिलने वाले पानी की आपूर्ति रुक-रुक कर हो रही है। विद्यालय में हाथ धोने की कोई व्यवस्था नहीं है। शौचालय हैं, लेकिन उनमें एक भी नल नहीं है, कोई ओवरहेड टैंक नहीं है जो सीधे शौचालयों या अन्य ज़रूरतों के लिए पानी उपलब्ध करा सके, सेप्टिक टैंक का वाल्व चैम्बर लीक हो रहा है। शौचालय के पास फर्श और नाली का

जल की शिक्षा
अदृश्य रह कर भी हमारी आस्था में उपस्थित सरस्वती नदी
वैदिक सभ्यता में सरस्वती को ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी माना गया था। इसरो द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि आज भी यह नदी हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से होती हुई धरती के नीचे से बहती है। यह नदी इतनी विशाल थी कि पहाड़ों को तोड़ती हुई निकलती थी Posted on 13 Nov, 2023 03:15 PM

भारत में नदियों का इतिहास काफी और संस्कृति के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। भारत में आज लगभग 200  बड़ी नदियां हैं। इनमें से सबसे मशहूर नदी है गंगा। बाकी आपने यमुना, गोदावरी, सिंधु, गोमती, नर्मदा, कावेरी नदी के भी नाम सुने ही होंगे। आपने इन्हें कभी न कभी बहते भी देखा होगा। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी नदी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका नाम आपने अपनी पुस्तकों में कई बार पढ़ा होगा, लेकिन

अदृश्य रह कर भी हमारी आस्था में उपस्थित सरस्वती नदी
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