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पर्यावरण प्रदूषण का दिव्यांगजनों पर खतरा ज्यादा
विकलांगता और सतत विकास लक्ष्य पर संयुक्त राष्ट्र की पहली रिपोर्ट-2018 दर्शाती है कि दिव्यांग अधिकांश सतत विकास लक्ष्यों के संबंध में पिछड़े हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार, शिक्षा तक पहुंच की कमी, मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों और सुरक्षित रूप से निकलने में कठिनाई के कारण जलवायविक आपदाओं के मामले में दिव्यांगों को अधिक खतरा होता है। वास्तव में आपदा संबंधी पर्याप्त ज्ञान होने से चरम मौसमी घटनाओं के खिलाफ जीवित रहने के बेहतर मौके तलाशने में आसानी होती है



Posted on 08 Nov, 2023 02:35 PM

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने संयुक्त राष्ट्र की जलवायु कार्रवाई के संदर्भ में विकलांगता अधिकारों पर जारी पहली रिपोर्ट के बारे में कहा है कि दिव्यांगों पर जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों का खतरा बढ़ गया है जिसमें उनके स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, पेयजल, स्वच्छता और आजीविका के खतरे भी शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन समाज के सभी तबकों को समान रूप से प्रभावित करता है, लेकिन जलवायविक आपदा क

पर्यावरण प्रदूषण का दिव्यांगजनों खतरे ज्यादा
प्रदूषण,आर्थिकी के लिए भी चुनौती 
प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक वायु प्रदूषण माना जाता है। यह दुनिया में असमय मृत्यु का चौथा सबसे बड़ा कारण है। इसके कारण सर्दियां आते ही स्मॉग की काली छाया दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई शहरों को अपने दामन में समेट लेती है। प्रदूषण का सबसे प्रतिकूल प्रभाव स्वास्थ्य और उत्पादकता पर पड़ता है। दुनिया में कोई भी कार्य मानव संसाधन की बदौलत ही किया जा सकता है, लेकिन जल, वायु, भूमि, और ध्वनि प्रदूषण शरीर को रुग्ण कर देता है, जिससे स्वास्थ्य मद की लागत बढ़ जाती है और उत्पादकता कम हो जाती है। Posted on 08 Nov, 2023 12:50 PM

प्रदूषण मुख्य तौर पर जल, वायु, भूमि और ध्वनि के प्रदूषित होने से होता है। इसलिए प्रदूषण का समग्र विश्लेषण मुख्य तौर पर जल, वायु, भूमि और ध्वनि के प्रदूषित इन चारों कारकों को ध्यान में रखकर ही किया जा सकता है। जल प्रदूषण, औद्योगिक कचरा, अन्य कचरा फेंकने, जहाजों से होने वाले तेल रिसाव आदि से होता है। वायु प्रदूषण में वृद्धि पराली व कचरा जलाने, कारखानों एवं वाहनों से निकलने वाले धुएं आदि से होती ह

प्रदूषण, आर्थिकी के लिए भी चुनौती 
प्रदूषण के संदर्भ में नीतियों का सख्ती से पालन जरूरी
विकास की इस केंद्रीकृत प्रक्रिया में मध्यम वर्ग के साथ-साथ मजदूर वर्ग का बनना भी स्वाभाविक था। ये दोनों वर्ग महानगरों के अभिन्न हिस्से बन गए। दरअसल, विकास का यह पूंजीवादी मॉडल केंद्रीकृत रहा। औद्योगिक विकास की ओर तो हम चल पड़े लेकिन उससे उभरने वाली चुनौतियों का अनुमान नहीं लगा सके। Posted on 08 Nov, 2023 12:42 PM

प्रदूषण की समस्या आज के समय में बड़ी चुनौती के रूप में उभरी है। गांव, कस्बे, छोटे शहर तथा महानगर तक इसकी जद में आ गए हैं। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगर तो सबसे अधिक प्रभावित हैं। सच्चाई यह है कि भारत में अनेक तरह के लघु कुटीर उद्योगों से लेकर बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां तक महानगरों के आस-पास ही लगाई गई हैं। आर्थिक इकाई, सामरिक इकाई, तकनीक से संबंधित इकाई एवं बड़े-बड़े शैक्षणिक कें

प्रदूषण के संदर्भ में नीतियों का सख्ती से पालन जरूरी
सामूहिक नाकामी है वायु प्रदूषण
जानना जरूरी है कि कितने एक्यूआई तक की हवा जीवन के लिए स्वच्छ स्वस्थ मानी जाती है। 50 एक्यूआई तक ही हवा अच्छी मानी जाती है। उसके बाद 51 से 100 एक्यूआई तक संतोषजनक मानी जाती है, और 101 से 200 एक्यूआई तक मध्यम। हमारी सरकारें तब जागती हैं, जब एक्यूआई 201 पार कर हवा खराब हो जाती है। जैसे-जैसे हवा बहुत खराब (301-400) और गंभीर (401-500) होती जाती है, सरकारी प्रतिबंध बढ़ने लगते हैं Posted on 08 Nov, 2023 12:28 PM

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली देश का दिल है। दिल की सेहत पर ही जीवन निर्भर करता है, लेकिन लगता नहीं कि दिल्लीवासियों की सेहत की किसी को चिंता है। हर साल सर्दियों की आहट के साथ ही दिल्लीवासियों की सांसों पर संकट शुरू होता है। धीरे-धीरे यह संकट पूरे एनसीआर में फैल जाता है, पर इससे निपटने के आधे-अधूरे सरकारी प्रयास भी तभी शुरू होते हैं, जब दम घुटने लगता है। इस संकट से निपटने के सतत प्रयास और दूरगामी नी

सामूहिक नाकामी है वायु प्रदूषण
बाहर से शांत दिखने वाला पहाड़ अंदर से कितना धधक रहा है
हम कोई वैज्ञानिक, भूगर्भवेत्ता नहीं हैं।सामान्य लोग हैं जिनका संपर्क कभी कुछ ऐसे लोगों से हुआ जो धरती और उसमें पनपे जीवन के बारे में बड़ी समझ रखते हैं।उन्होंने हमको बताया कि प्रकृति ने कोयला, लोहा, यूरेनियम, पेट्रोलियम जैसे खनिजों को पृथ्वी के अंदर डाला और तब उसकी ऊपरी सतह पर जीवन का निर्माण संभव हो पाया।" Posted on 08 Nov, 2023 11:17 AM

मनुष्य ने ऐसे खनिजों को धरती से खोदकर बाहर निकाल लिया है, जिसके कारण धरती पर जीवन की संभावना लगातार घट रही है।ऐसे ही जल विज्ञानी ने बताया कि नदी के नीचे तीन हिस्सा और ऊपर एक हिस्सा ही पानी बहता है।नदी की रेत खोदने से नदियां मरने लगती हैं।सरकार ने जब रेत खोदने के लिए प्रारंभिक अनुमति प्रदान की तो उन्होंने चुगान शब्द प्रयोग किया था।खनन आज का काम और लूट का नाम है।जो इतिहास और मानव सभ्यता के जानकर

बाहर से शांत दिखने वाला पहाड़ अंदर से कितना धधक रहा है
कितना सच है- यह मशीनरी या तकनीक भी है खलनायक
तकनीक हमारी जीवन शैली अविभाज्य हिस्सा बन गई है। इसके बिना जीवन की कल्पना असंभव है। उन्नत जीवन शैली, सूचना तंत्र तक त्वरित पहुंच, व्यावसायिक दक्षता में तेजी, शिक्षा संचार और परिवहन से लेकर स्वास्थ्य सेवा और कनेक्टिविटी इत्यादि क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी ने जीवन को बेहतर बनाया है। Posted on 07 Nov, 2023 02:32 PM

मानव विकास के ऐतिहासिक अनुक्रम में तकनीक प्रयोग, विकास और समाधान का प्रतीक है। मानव जीवन की भूत से वर्तमान तक की यात्रा में सर्वाधिक भूमिका प्रौद्योगिकी को रही है, किंतु धीरे-धीरे इसके कुनका प्रभाव जीवन के अनेक पहलुओं की नकारात्मक रूप से प्रभावित करने लगा है, प्रश्न उठना स्वाभाविक हैं कि तकनीक का उत्तरोत्तर विकास कितना उचित है, और कितना हानिकारक?

मशीनरी या तकनीक भी है खलनायक
पराली तो बदनाम है, हवा को जहरीला बनाता है जाम का झाम
दिल्ली और उससे सटे इलाकों के प्रशासन वायु प्रदूषण के असली कारण पर बात ही नहीं करना चाहते। कभी पराली तो कभी आतिशबाजी की बात करते हैं। अब तो दिल्ली के भीतर ट्रक आने से रोकने के लिए ईस्टर्न पेरिफरल रोड भी चालू हो गया है, इसके बावजूद एमसीडी के टोल बूथ गवाही देते हैं कि दिल्ली में घुसने वाले ट्रकों की संख्या कम नहीं हुई है। ट्रकों को क्या दोष दें, दिल्ली-एनसीआर के बाशिंदों का वाहनों के प्रति मोह हर दिन बढ़ रहा है Posted on 07 Nov, 2023 02:22 PM

अभी मौसम की रंगत थोड़ी ही बदली थी कि दिल्ली में हवा मौत बांटने लगी। बयानबाजी, आरोप- प्रत्यारोप, सरकारी विज्ञापन, बंद हो गए स्मॉग टावर और सड़क पर पानी छिड़कते वाहन, सभी कुछ इस तरह हैं कि नल खुला छोड़ दो और फर्श पर पोछा लगाओ। हालांकि दिल्ली और उसके आसपास साल भर ही हवा जहरीली रहती है कि लेकिन इस मौसम में स्मॉग होता है, तो इसका ठीकरा किसानों पर फोड़ना सरल होता है। हकीकत यह है कि दिल्ली अपने ही पाप

पराली तो बदनाम है, हवा को जहरीला बनाता है जाम का झाम
दिल्ली का वायु संकट केवल पराली जनित नहीं
सीएनजी के पहले के दौर के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण का यह दूसरा दौर दशकों से बना हुआ है। दिल्ली की सलाना वायु प्रदूषण की स्थिति को मार्च से सितम्बर तक और अक्टूबर से फरवरी तक के समय काल में बांटा जा सकता है। मार्च से सितम्बर में एक्यूआई अच्छा से मध्यम (2000 तक) रहता है, वहीं जाड़े की शुरुआत के साथ एक्यूआई खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है। 2016 में तो यह 999 को भी पार कर चुका था, जिसे अब लंदन स्मॉग की तर्ज पर 'दिल्ली स्मॉग' के रूप में याद किया जाता है। साल में अधिकतर दिन एक्यूआई मध्यम (101-200) स्तर का होता है।  Posted on 07 Nov, 2023 02:11 PM

सर्दी के आगमन के साथ दिल्ली में हवा के जहरीले होने की चर्चा सुर्खियों में है। दशकों से चर्चा का प्रारूप भी एक सा ही है, जिसमें पराली जलाना, पराली निस्तारण, प्रदूषण के लिए अनुकूल मौसम, पटाखे वाले त्योहार आदि-आदि। इस बार भी वायु प्रदूषण सूचकांक (एक्यूआई) अक्टूबर में ही 300 के पार हो गया। आखिर के चार दिनों से लगातार बहुत खराब स्तर पर बना हुआ है। यही हालत दिल्ली एनसीआर के ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, गा

दिल्ली का वायु संकट केवल पराली जनित नहीं
पर्यावरण की समस्या, राजनैतिक ज्यादा
प्रदूषण की जड़ में हमारी जीवन शैली है, क्योंकि प्रकृति के पास अपने असंतुलन को ठीक कर प्रदूषण को नियंत्रित करने की क्षमता होती है पर उसकी प्रक्रिया को बाधित कर हम उसे अपना काम नहीं करने देते हैं। न ही उससे सीखते हैं कि एक का अपशिष्ट दूसरे के लिए संसाधन हैं। Posted on 07 Nov, 2023 12:58 PM

दीपावली के मौके पर रस्मी तौर पर वायु प्रदूषण को लेकर चिंतित होने की परंपरा रही है। क्योंकि दीपावली के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसको लेकर आंकड़े जारी करता है, जिसमें कोशिश सरकार द्वारा वायु प्रदूषण को रोकने के उपायों को प्रभावी और सफल दिखाए जाने की होती है। आंकड़ों के लिहाज से दक्षिणी राज्यों की स्थिति बेहतर है, पर यह प्रकृति की मेहरबानी से ज्यादा सरकार की वजह से कम है। सरकार है तो जा

पर्यावरण की समस्या, राजनैतिक ज्यादा
जबरदस्त मानव संहारक पर्यावरण प्रदूषण स्मोक + फॉग = स्मॉग
धूल कण और विभिन्न गैसें वायु को प्रदूषित कर रही हैं। ओजोन, सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड, मीठे पानी का प्रदूषण, पारा, नाइट्रोजन, फास्फोरस, प्लास्टिक और पेट्रोलियम अपशिष्ट से समुद्र का प्रदूषण और सीसा, पारा, कीटनाशकों, औद्योगिक रसायनों, इलेक्ट्रॉनिक कचरे और रेडियोधर्मी कचरे से भूमि जहरीली हो रही है। वास्तव में हम जिस वातावरण में रहते हैं, उसका हमारे स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। घरेलू, कार्यस्थल और बाहरी वातावरण अलग-अलग तरह से स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। Posted on 07 Nov, 2023 12:42 PM

दुनिया भर में विभिन्न कारणों से प्रदूषण का कहर बढ़ता जा रहा है। इनमें मानवीय कारण भी हैं, तो प्राकृतिक कारण भी हैं। विश्व की सबसे पुरानी स्वास्थ्य पत्रिकाओं में से एक 'द लैसेंट' की एक रिपोर्ट के अनुसार व सर्वाधिक आबादी वाले चीन और भारत प्रदूषण के कहर से सर्वाधिक प्रभावित हैं। चूंकि जनसंख्या के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है, तो प्रदूषण के काल ने भी चीन को पीछे छोड़ कर भारत को निशाने

स्मोक + फॉग = स्मॉग
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