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गंगा का अशुद्ध जल श्रद्धालुओं को कर रहा है बेचैन
Posted on 19 Jan, 2013 03:41 PM प्रयागराज में महाकुंभ को लेकर साधु-संतों का आगमन बढ़ने लगा है। इसी
आधारहीन है कुंभ की तिथियों पर विवाद
Posted on 19 Jan, 2013 03:26 PM मैग्लीन मानती हैं कि माघ मेले को कुंभ मेले में बदलने के लिए प्रयाग के पंडों ने अखाड़ों का भी सहयोग लि
कभी साधु तो कभी सैनिक
Posted on 19 Jan, 2013 02:58 PM एक जीवन पद्धति से दूसरे में जाने-आने के मामले में नागा संन्यासी त
गंगा समग्र सेमिनार, मार्च 2013
Posted on 18 Jan, 2013 12:21 PM तिथि : --- मार्च 2013, शुक्रवार
स्थान : सीरीफोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली


गंगा समग्र एक विस्तृत गैर राजनीतिक और देश भक्तों का ऐसा मंच है जो गंगा को निर्मल और अविरल बनाकर उसकी रक्षा करने के लिए तत्पर हैं। हम भारत की सभी नदियों को साफ-सुथरा देखना और करना चाहते हैं। हमारा विश्वास है कि यह मिशन तभी सफल हो सकता है जब सरकारों राजनीतिक दलों, चयनित प्रतिनिधियों, धार्मिक संस्थाओं और उनके वरिष्ठ नेता, किसान, कामगार, छात्र, युवा, महिलाएं, सामाजिक सांस्कृतिक संगठन, पर्यावरणीय समूह, वैज्ञानिक, व्यवसायी और मीडिया आदि सभी इस मुहिम में बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।

गंगा को बचाने की इस मुहिम में अपनी भागीदीरी सुनिश्चित करने के लिए मार्च 0---, 2013 को आप सभी सीरीफोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में सेमिनार के लिए आमंत्रित हैं :
को कहि सकहिं, प्रयाग प्रभाऊं...
Posted on 17 Jan, 2013 02:48 PM कुंभ महज प्रदेश का पर्व या राष्ट्रीय जमावड़ा नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय आकर्षण का सबब भी है। दुनिया भर की निगाह कुंभ में जुटे करोड़ों लोगों के साथ इस आयोजन के बंदोबस्त को लेकर की गई व्यवस्था पर भी होती है।

प्रयागराज में महाकुंभ को लेकर साधु-संतों का आगमन बढ़ने लगा है। इसी क्रम में श्री शंभू पंचाग्नि अखाड़े की शोभायात्रा शाही अंदाज में निकाली गई। अखाड़ों की परंपरा से अलग हटकर पहली बार अग्नि अखाड़े ने अपने महामंडलेश्वरों की अलग से शोभायात्रा निकाली है। इस यात्रा को दर्जनों डीजे व हाथी-घोड़ों के साथ कड़ी सुरक्षा के बीच निकाला गया। शोभा यात्रा में शामिल महामंडलेश्वरों के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहा। यह शोभा यात्रा भारी सजावट के साथ हाथी, घोड़ों व चार पहिया वाहन को साथ लेकर हिंदी साहित्य सम्मेलन से निकली। को कहि सकहिं, प्रयाग प्रभाऊं...। इन दिनों उत्तर प्रदेश सरकार मानस की इन लाइनों को साकार करने में शिद्दत से जुटी है। इसकी वजह भी साफ है कि जब तक प्रयाग के प्रभाव का जिक्र नहीं होगा तब तक कुंभ की सफलता को लेकर पीठ नहीं थपथपाई जा सकेगी क्योंकि कुंभ महज प्रदेश का पर्व नहीं है, राष्ट्रीय जमावड़ा नहीं बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय आकर्षण का सबब है। दुनिया भर की निगाह कुंभ में जुटे करोड़ों लोगों के साथ ही साथ इस आयोजन के बंदोबस्त को लेकर की गई व्यवस्था पर भी होती है। एक तरफ जहां कुंभ देश के धार्मिक समागम की अभिव्यक्ति होता है, वहीं साधु-संतों, नागाओं-हठयोगियों की परंपरा का ऐसा वाहक होता है जो न केवल हमें विस्मित करता है बल्कि हमारी संपन्न धार्मिक विरासत से भी हमें रू-ब-रू कराता है। साधना और प्रार्थना के साधनों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध भारत के हठयोगी कुंभ में श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बन बैठे हैं।
महाकुंभ की पवित्र छाया में
Posted on 16 Jan, 2013 10:10 AM मैं कुंभ की पवित्रता का अनुभव कर सकता हूं और उनके दिलों की धड़कन स
कुंभ: साझी समझ से बासी आडंबर तक
Posted on 15 Jan, 2013 04:14 PM

पौराणिक संदर्भ प्रमाण हैं कि कभी नदियों की समृद्धि के काम में राजा-प्रजा-ऋषि...

mahakumbh
कुंभ: सिद्धांत और व्यवहार
Posted on 15 Jan, 2013 03:52 PM

कुंभ का सिद्धांत

kumbh in prayag
कुंभ : आस्था और विज्ञान
Posted on 15 Jan, 2013 03:27 PM

कुंभ की आस्था

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पांच नदियों का संगम फिर भी उपेक्षित होने का गम
Posted on 12 Jan, 2013 04:45 PM तकरीबन दो सौ किमी के दायरे में फैला खतरनाक बीहड़ एवं उसमें पनपने व
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