को कहि सकहिं, प्रयाग प्रभाऊं...

कुंभ महज प्रदेश का पर्व या राष्ट्रीय जमावड़ा नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय आकर्षण का सबब भी है। दुनिया भर की निगाह कुंभ में जुटे करोड़ों लोगों के साथ इस आयोजन के बंदोबस्त को लेकर की गई व्यवस्था पर भी होती है।

प्रयागराज में महाकुंभ को लेकर साधु-संतों का आगमन बढ़ने लगा है। इसी क्रम में श्री शंभू पंचाग्नि अखाड़े की शोभायात्रा शाही अंदाज में निकाली गई। अखाड़ों की परंपरा से अलग हटकर पहली बार अग्नि अखाड़े ने अपने महामंडलेश्वरों की अलग से शोभायात्रा निकाली है। इस यात्रा को दर्जनों डीजे व हाथी-घोड़ों के साथ कड़ी सुरक्षा के बीच निकाला गया। शोभा यात्रा में शामिल महामंडलेश्वरों के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहा। यह शोभा यात्रा भारी सजावट के साथ हाथी, घोड़ों व चार पहिया वाहन को साथ लेकर हिंदी साहित्य सम्मेलन से निकली। को कहि सकहिं, प्रयाग प्रभाऊं...। इन दिनों उत्तर प्रदेश सरकार मानस की इन लाइनों को साकार करने में शिद्दत से जुटी है। इसकी वजह भी साफ है कि जब तक प्रयाग के प्रभाव का जिक्र नहीं होगा तब तक कुंभ की सफलता को लेकर पीठ नहीं थपथपाई जा सकेगी क्योंकि कुंभ महज प्रदेश का पर्व नहीं है, राष्ट्रीय जमावड़ा नहीं बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय आकर्षण का सबब है। दुनिया भर की निगाह कुंभ में जुटे करोड़ों लोगों के साथ ही साथ इस आयोजन के बंदोबस्त को लेकर की गई व्यवस्था पर भी होती है। एक तरफ जहां कुंभ देश के धार्मिक समागम की अभिव्यक्ति होता है, वहीं साधु-संतों, नागाओं-हठयोगियों की परंपरा का ऐसा वाहक होता है जो न केवल हमें विस्मित करता है बल्कि हमारी संपन्न धार्मिक विरासत से भी हमें रू-ब-रू कराता है। साधना और प्रार्थना के साधनों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध भारत के हठयोगी कुंभ में श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बन बैठे हैं। साधना के विचित्र तौर तरीकों ने इन हठयोगियों के प्रति श्रद्धाभाव बढ़ा दिया है। मध्य प्रदेश से कुंभ प्रवास के लिए आए राधेश्याम उर्फ श्याम बाबा पिछले बारह सालों से अपना दाहिना हाथ ऊपर किए हुए हैं। जूना अखाड़े से जुड़े श्याम बाबा ने वर्ष 2001 के इलाहाबाद कुंभ में इस अनूठी साधना का संकल्प लिया था। इनके भक्तों का दावा है कि बारह सालों में उन्होंने अपना दाहिना हाथ नीचे नहीं किया। वह सभी काम बाएं हाथ से करते हैं। श्याम बाबा के गुरू मृत्युंजय पुरी का कहना है कि दूसरों के कल्याण के लिए इस तरह का त्याग हठ साधना का अंग होता है। श्याम बाबा समय-समय पर मौन धारण करने का संकल्प लेते हैं। इन दिनों वह मौन व्रत पर भी हैं जो इस महीने के अंत तक जारी रहेगा।

प्रयागराज में महाकुंभ को लेकर साधु-संतों का आगमन बढ़ने लगा है। इसी क्रम में श्री शंभू पंचाग्नि अखाड़े की शोभायात्रा शाही अंदाज में निकाली गई। अखाड़ों की परंपरा से अलग हटकर पहली बार अग्नि अखाड़े ने अपने महामंडलेश्वरों की अलग से शोभायात्रा निकाली है। इस यात्रा को दर्जनों डीजे व हाथी-घोड़ों के साथ कड़ी सुरक्षा के बीच निकाला गया। शोभा यात्रा में शामिल महामंडलेश्वरों के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहा। यह शोभा यात्रा भारी सजावट के साथ हाथी, घोड़ों व चार पहिया वाहन को साथ लेकर हिंदी साहित्य सम्मेलन से निकली। सबसे पहले अखाड़े की धर्मध्वजा लेकर नागा संत चल रहे थे। उसके बाद अखाड़े के इष्ट देवता भगवान की झांकी को लेकर अखाड़े के संत उनके पीछे-पीछे कतारबद्ध होकर आगे बढ़ रहे थे।

इस झांकी के पीछे नागा संत चल रहे थे जो बीच-बीच में हर-हर महादेव के जयकारे लगा रहे थे। नागा संतों के दर्शन करने के लिए भीड़ पेशवाई मार्गों पर पहले से जमा हो गई थी। अखाड़े के नागा संन्यासी तलवारों, भालों, लाठियों व त्रिशूल के माध्यम से विभिन्न प्रकार की कलाओं का प्रदर्शन कर रहे थे। कमोबेश यही दृश्य हर अखाड़े की पेशवाई में दिखाई दिया। पहली बार जूना अखाड़ा ने अलग माईबाड़ा बनाने में कामयाबी हासिल की है। एक दशक से चली आ रही महिला साधुओं की अलग धर्मध्वजा फहराने की मांग पूरी हुई है। जिसकी अगुवाई लखनऊ के मन कामेश्वर मंदिर की प्रमुख महंत दिव्या गिरि कर रही हैं। गौरतलब है कि जूना अखाड़े में दस हजार से अधिक महिला साधु-संन्यासी हैं। जूना अखाड़े के सचिव महंत हरि गिरि बताते हैं कि पिछले दिनों अलग बाड़े की मांग को लेकर बुलाई गई बैठक में माईबाड़ा के नाम और स्वरूप का फैसला हुआ। अखाड़े के प्रतिनिधियों ने मंथन करके माईबाड़े का नाम दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा कर दिया है। दिव्या गिरि के मुताबिक, हमारी संख्या बढ़ने की वजह से हमें यह मांग उठानी पड़ी। हालांकि विवादों में घिरी राधे मां को जूना अखाड़े की पेशवाई में शामिल होने से रोक दिया गया।

कुंभ धार्मिक आस्था का अद्वितीय प्रदर्शन है। संगम तट श्रद्धालुओं से अटा पड़ा है। इस बार व्यवस्था में उन लोगों पर भी ध्यान है जो प्रायः वंचित रह जाते थे। इसी के मद्देनजर नौ घंटे से अधिक ड्यूटी करने वाले सिपाहियों को लंच पैकेट देने का फैसला लिया गया है। साथ में मेला क्षेत्र में खाद्यान्न की कलाबाजारी रोकने के लिए भी कड़ी व्यवस्था की गई है। मेला की तैयारी भी तेजी से आगे बढ़ रही है और 18 पेंटून पुल बनकर तैयार हो गए हैं। मेला क्षेत्र में रह रहे कल्पवासियों व अन्य तीर्थयात्रियों को प्रदत्त की जा रही शासकीय सेवाओं के संबंध में शिकायतों के निस्तारण हेतु एक व्यापक कार्य योजना तैयार की गई है। विशेष कर स्वास्थ्य एवं सफाई, जल निगम, बिजली खाद्य एवं आपूर्ति, दुग्ध आदि विभागों के तहत किसी सामान्य तीर्थ यात्री/ कल्पवासियों द्वारा किसी भी शासकीय सेवा से संबंधित तीन प्रकार से शिकायतें दर्ज कराई जा सकती हैं जिसमें विभिन्न विभागों द्वारा स्थापित सेक्टर कार्यालय में पहुंच कर शिकायत दर्ज कराना, मेले में संबंधित केंद्रीय कंट्रोल रूम में शिकायत दर्ज कराना व अपने मोबाइल के माध्यम से विभागीय सेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराना।

कुंभ मेला में सेक्टर 11 एवं सेक्टर 6 को छोड़कर शेष सभी सेक्टरों में स्नान घाट होंगे। इसके अलावा घाटों पर बैरिकेडिंग, चेतावनी बोर्ड एवं जल पुलिस भी पर्याप्त संख्या में तैनाती रहेगी। मेला क्षेत्र में पॉलीथिन से बनी किसी भी वस्तु का प्रयोग पूर्णतः निषिद्ध कर दिया गया है। 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन से शुरू हो रहे महाकुंभ में भारत संचार निगम लिमिटेड ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 44 टावर लगाए हैं। पूरा मेला क्षेत्र 58 वर्ग किलोमीटर का है जिसमें ये टावर लगे हैं। बीएसएनएल इलाहाबाद के महाप्रबंधक आर.एस. यादव ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में आठ उपकेंद्र बनाए गए हैं। जहां आने वाले श्रद्धालु पूरी सुविधा का फायदा उठा सकते हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार के इलाहाबाद में होने वाले कुंभ मेले के दौरान महत्वपूर्ण सेवाओं से जुड़े कर्मियों के बीच निर्बाध संचार व संपर्क बनाए रखने के लिए एक्टिवेटेड सिम के साथ 200 सीडीएमए हैंडसेट्स किराए पर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया है। इस बीच पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वाराणसी, लखनऊ और रीवा से इलाहाबाद के मार्गों पर तीन थीमैटिक प्रवेश द्वार बनाने का काम पूरा हो गया है। मेला क्षेत्र में 53 लग्जरी काटेज की बुकिंग भी शुरू हो जाएगी। एलईडी के माध्यम से प्रचार पर दो करोड़ रुपए खर्च करने की योजना तैयार कर ली गई है। उद्यान विभाग ने श्रद्धालुओं के लिए मेले को यादगार बनाने का इरादा जताते हुए मुख्य स्नान पर्वों पर 5 हजार पैकेट सब्जी, लोकी, नेनुआ, भिंडी, तरोई तथा धनिया आदि के बीज बांटने का फैसला लिया है।

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