यमुना नगर जिला

Term Path Alias

/regions/yamuna-nagar-district

एक मरती नदी के अमर होने की कहानी
Posted on 07 Oct, 2016 11:11 AM

मरणासन्न स्थिति में पहुँच चुकी इस नदी को नया जीवन देना आसान नहीं था लेकिन कनालसी गाँव के लोगों ने इस नदी को बचाने के लिये कोई कसर नहीं छोड़ी और उनका प्रयास रंग लाया। आज इस नदी में इतना प्रवाह है और इसका पानी इतना कंचन है कि अपने आगोश में समेट लेने वाली यमुना मैया भी इसे देखकर लजा जाये। नदी को नवजीवन मिलने से गाँव में भी सुख-समृद्धि आ गई है। गाँव में पक्की सड़कें, पक्के मकान हैं। मुख्य सड़क से कटी उप-सड़क गाँव में जाती है।

हरियाणा के यमुनानगर से लगभग 17 किलोमीटर दूर कनालसी गाँव से होकर एक नदी बहती है-थपाना। कनालसी से लगभग 10 किलोमीटर दूर एक नौले-धारे से यह नदी निकली है। इस गाँव में आकर थपाना नदी में सोम्ब नदी (बैराज से पानी छोड़े जाने पर सोम्ब नदी में पानी आता है) मिल जाती है। आगे जाकर यह यमुना में समा जाती है। थपाना को देखकर कोई यकीन नहीं कर सकेगा कि 6-7 साल पहले यह नदी लगभग मर चुकी थी।

फिलवक्त थपाना की धारा अविरल बह रही है और पानी इतना साफ है कि अंजुरी में भरकर उससे गला तर किया जा सकता है। प्रवासी पक्षी नदियों की धारा से अटखेलियाँ करते हैं। देसी परिन्दे नदी के कछार में अन्ताक्षरी खेला करते हैं। शाम का सूरज जब पश्चिम में ढलने लगता है तो इस नदी का किनारा गाँव के लोगों की सैरगाह बन जाता है।
लोक स्मृति से प्रकट होती सरस्वती
Posted on 31 Jul, 2015 03:28 PM जब ऐतिहासिक साक्ष्यों की समीक्षा राजनीतिक विचारधारा के आधार पर होती है तो भ्रामक स्थिति पैदा हो जाती है। सरस्वती नदी की खोज को लेकर यही होता रहा है। पिछले दिनों हरियाणा के मुगलवाली गाँव में सरस्वती नदी की धारा के प्रकट होने की खबर आई तो एक बार फिर बहस जिन्दा हो गई है। यहाँ मुगलवाली गाँव और सरस्वती नदी का उद्गम स्थल माने जाने वाले आदिबद्री से लौटकर आये ब्रजेश कुमार की रिपोर्ट।
अब ग्रामीण खुद ही करेंगे थपाना नदी की पहरेदारी
Posted on 05 Oct, 2012 11:21 AM

अंतरराष्ट्रीय नदी दिवस पर लिया था गोद, कहा-न खुद पानी को प्रदूषित करेंगे, न होने देंगे


थपाना प्राकृतिक धारा को गोद लेने के दौरान नदी मित्र मंडली व यमुना सेवा समिति कनालसी के सदस्य।थपाना प्राकृतिक धारा को गोद लेने के दौरान नदी मित्र मंडली व यमुना सेवा समिति कनालसी के सदस्य।नदी, अक्षर सिर्फ ढाई हैं लेकिन इसके मायने बहुत बड़े हैं। नदी सिर्फ पानी का रास्ता भर नहीं है। यह संस्कृति है...जीवन है...सभ्यता है। नदी से सब जुड़ा है। जाहिर है, नदी नहीं तो सब गड़बड़। फिर इससे हम कैसे अछूते रह सकते हैं। यह तथ्य ग्रामीण जानते हैं तभी तो वह अपनी नदी को बचाने के लिए एकजुट हुए हैं।

नदियों व नहरों का अस्तित्व बचाने व उन्हें साफ सुथरा रखने के लिए सरकारों के प्रयास गति नहीं पकड़ रहे हैं और करोड़ों खर्च करने के बाद भी परिणाम शून्य ही मिल रहा है। यमुना सेवा समिति द्वारा नदियों को बचाने के लिए कई बार कार्य किया गया है और इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री व जिला प्रशासन से भी सहयोग की अपील की है।
×