उत्तराखंड

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खुदाई
Posted on 17 Mar, 2016 10:44 AM
खुदाईऔर एक दिन उसके सब्र का बाँध टूट गया। आखिर कब तक सहता। पढ़ाई खत्म
पर्यावरण को दूषित करता ई-कचरा
Posted on 16 Mar, 2016 01:28 PM
ई-कचरा पर्यावरण को लेकर अभी हमारे देश में पूरी तरह जागरुकता नहीं आई
भैया, ये प्यास बुझती क्यों नहीं
Posted on 15 Mar, 2016 04:12 PM
D2O को भारी जल कहा जाता है जोकि जीव-धारियों के लिये इस लिये हानिकारक है कि यह उनके मेटाबोलिज़्म (Metabolism) को शिथिल कर देता है। परन्तु सौभाग्य से D2O तथा T2O की मौजूद मात्राएँ इतनी कम है कि सामान्य जल से हमें कोई नुकसान नहीं पहुँच सकता।
भारतवर्ष में जल संसाधन प्रबन्धन के क्षेत्र में प्रमुख समस्याएँ एवं समाधान
Posted on 15 Mar, 2016 03:42 PM
किसी देश की आर्थिक एवं सामाजिक समृद्धि को सुरक्षित रखने हेतु यह आवश्यक है कि देश में कृषि, उद्योगों एवं घरेलू उपयोग के क्षेत्रों के लिये आवश्यक स्वच्छ जल की पर्याप्त उपलब्धता हो।
भारतीय वाङ्मय में प्रकृति संरक्षण की आवश्यकता
Posted on 15 Mar, 2016 01:47 PM
‘‘गंगा हमारे लिये मात्र नदी नहीं है, अपितु भारतीय संस्कृति की संवाहिनी भी है। गंगा अन्तःसलिला है, उसका वास हमारे हृदय में है। वह पुण्यतोया है, अतः पाप हारिणी भी। ऐसा शास्त्रोक्त मत है। पर आज मूल्य विहीन जीवनशैली में इतना अभूतपूर्व परिवर्तन हो गया है कि राजा भगीरथ के पुरखों का कलुष धोने वाली, मुक्तिदायिनी गंगा शहरों का मल और फैक्टरियों की गन्दगी ढोते-ढोते स्वयं इस कदर दूषित हो गई है कि आज
क्या है गंगा कार्य योजना
Posted on 15 Mar, 2016 12:51 PM
गंगा जल में बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखकर गंगा कार्य योजना शुरू करने का विचार सर्वप्रथम भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गाँधी के मन में आया था। इसके लिये सन 1979-80 में एक विस्तृत सर्वेक्षण की योजना बनाई गई। इस सर्वेक्षण के बाद केन्द्रीय प्रदूषण-नियंत्रण बोर्ड द्वारा दो विस्तृत प्रतिवेदन तैयार किये गए। ये ही दो प्रतिवेदन गंगा के प्रदूषण-नियंत्रण हेतु गंगा कार्य योजना (गंगा ए
जल संकट से बचने के लिये अनिवार्य है जल संरक्षण
Posted on 15 Mar, 2016 12:16 PM
प्रदूषित जल के दुष्प्रभाव से मानव स्वास्थ्य के अतिरिक्त जलीय जीव-जन्तुओं एवं वनस्पतियों पर भी प्रभाव पड़ा है। अवसादी प्रदूषण के कारण नगरीय एवं औद्योगिक क्षेत्रों के गादों में विद्यमान कार्बनिक एवं अकार्बनिक रसायन भारी धातुकण एवं अम्ल आदि विषैले रसायन जल में मिल रहे हैं जिससे जल की गुणवत्ता मे गिरावट आ रही है। मानव एवं जलीय जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है।
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