उत्तराखंड

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खनन माफियाओं की चांदी
Posted on 01 Jan, 2011 09:25 AM
उत्तराखण्ड के ऊधमसिंह नगर की तहसील किच्छा के खमिया नम्बर ५ शान्तिपुरी क्षेत्र की गौला नदी से रेते का अवैध खनन लगातार जारी है। रोजाना सैकड़ों की संख्या में ट्रक, ट्रैक्टर, ट्रॉली तथा डनलप धड़ल्ले से बिना किसी रोक -टोक के इस काम में लगे हुए हैं। खनन में लगे वाहनों को अतिरिक्त पैसा लेकर बिना धर्मकांटा पर तौले रॉयल्टी की पर्चियां जारी की जा रही हैं। जो वाहन में लदे वजन से आधे से भी कम की होती हैं।
आंदोलन की अनोखी मुहिम
Posted on 01 Jan, 2011 09:07 AM
गढ़वाल मंडल के बारह हजार वर्ग किमी वन क्षेत्र में से ४.२ हजार में चीड़ के पेड़ हैं। गर्मियों में जंगल में लगने वाली आग को चीड़ के पेड़ तथा पिरूल बढ़ाने का काम करते हैं और हर साल आठ हजार वर्ग किमी मिश्रित वन क्षेत्र इस आग की चपेट में आ जाता है। चीड़ से सिर्फ यही नुकसान नहीं है, बल्कि इसने यहां के प्राकृतिक जल स्रोतों को भी सुखा दिया है। पहाड़ की जनता चिंतित है पर सरकार इसके समाधान से मुंह फेर
कोसी: स्नेह के स्पर्श से जी उठी
Posted on 30 Dec, 2010 12:54 PM

इंसानी करतूतों से पल-पल मरती कोसी के लिए उम्मीद की लौ करीब-करीब बुझ चुकी थी। कभी कोसी नदी की इठलाती-बलखाती लहरों में मात्र स्पंदन ही शेष था। यह तय था कि नदी को जीवनदान देना किसी के वश में नहीं। इन हालात में कोसी को संजीवनी देने का संकल्प लिया इलाके की मुट्ठीभर ग्रामीण महिलाओं ने। नतीजतन आज कोसी के आचल फिर लहरा रहा है। आसपास के इलाके में हरियाली लौट आई है।

मंदाकिनी के किनारे
Posted on 29 Dec, 2010 04:23 PM


तेईस हज़ार फुट की ऊँचाई पर एक तरफ़ बर्फ़ से ढकी चोटियाँ दिखाई देती हैं तो दूसरी ओर खुली पठारी शिखर श्रेणियाँ छाती ताने खड़ी रहती हैं। हिमशिखरों से समय-समय पर हिमनद का हिस्सा टूटता है। काले-कबरे पहाड़ों से पत्थर गिरते हैं। इनके बीच नागिन की तरह बल खाती पतली-सी पगडंडी पर होता है, आम आदमी। घबराया, आशंकित-सा।

हिमालय में भी पड़ेगा सूखा, बीमारियां करेंगी घुसपैठ
Posted on 20 Nov, 2010 07:08 AM
ग्रीन हाउस गैसों और जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा बुरा असर हिमालयी क्षेत्र पर पड़ रहा है। वर्ष 1970 की तुलना में 2030 तक हिमालयी क्षेत्र खासतौर पर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में औसत तापमान 1.7 से 2.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। इस क्षेत्र में बारिश और सूखा दोनों बढ़ेंगे। यहां का प्रमुख फल सेब भी संकट में घिरा होगा। हालांकि इसमें सिर्फ चार क्षेत्रों, हिमालयी क्षेत्र, पूर्वोत्तर, पश्चिमी घाट और तटीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन से कृषि, जल, जंगल और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर का अध्ययन किया गया है। इसमें वर्ष 1970 के आंकड़ों को आधार मानकर 2030 तक की स्थिति का आकलन
गंगा ने संभाला है हमारे पुरखों को...
Posted on 02 Nov, 2010 09:08 AM
दुनियाभर में नदियों के साथ मनुष्य का एक भावनात्मक रिश्ता रहा है, लेकिन भारत में आदमी का जो रिश्ता नदियों- खासकर गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी आदि प्रमुख नदियों के साथ रहा है, उसकी शायद ही किसी दूसरी सभ्यता में मिसाल देखने को मिले। इनमें भी गंगा के साथ भारत के लोगों का रिश्ता जितना भावनात्मक है, उससे कहीं ज्यादा आध्यात्मिक है।

भारतीय मनुष्य ने गंगा को देवी के पद पर प्रतिष्ठित किया है। हिन्दू धर्मशास्त्रों और मिथकों में इस जीवनदायिनी नदी का आदरपूर्वक उल्लेख मिलता है।
चेतने की बारी
Posted on 27 Oct, 2010 11:20 AM बढ़ती आबादी से उत्तराखंड के भंगुर पारिस्थितिकी तंत्र पर लगातार बोझ
Disaster
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