उत्तराखंड

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ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में गंगोत्री
Posted on 22 Aug, 2011 11:12 AM देहरादून- गंगा के लिए खतरे की घंटी बज रही है। भारत की सदानीरा और सबसे अधिक पवित्र मानी जाने वाली गंगा नदी अपने जन्मस्थान से ही संकट में पड़ गई है। वैश्विक स्तर पर हो रहा ग्लोबल वार्मिंग तो गंगा के उद्गम स्थान गंगोत्री को प्रभावित कर ही रहा है, अत्यधिक मानवीय गतिविधियां भी इस स्थान को नुकसान पहुंचा रही हैं। बीती सदी भर हुए शोधों से साफ हो गया है कि भले ही किसी भी ग्लेशियर का पिघलना सतत और प्राकृतिक क्रिया है लेकिन जिस तेजी से गंगोत्री ग्लेशियर पिघल रही है उससे तो यह इशारा मिल रहा है कि आने वाली सदी से पहले ही दुनिया के चुनिंदा बड़े और खूबसूरत ग्लेशियर का वजूद बच नहीं पाएगा। गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री ग्लेशियर ग्लोबल वार्मिंग के कारण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। यह खुलासा आईएमएफ, दिल्ली की टीम ने साल भर किए गहन अध्ययन के बाद किया है।
घटते ग्लेशियर के वजह से गंगा अब संकट में
धसक रहे हैं टिहरी के गाँव
Posted on 19 Aug, 2011 10:15 AM

सर्वोच्च न्यायालय के फरवरी 2006 के आदेश में 840 मीटर पर पुनर्वास करने का निर्देश था लेकिन केन्द

इको सेन्सिटिव जोन (गौमुख से उत्तरकाशी) की जारी अधिसूचना के मसौदे में आवश्यक सुधार हेतु प्रस्ताव।
Posted on 02 Aug, 2011 12:26 PM

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय


महोदय

गंगा को भारत में एक नदी से अधिक बढ़कर स्थान दिया जाता है, इस सार्वभौम सत्य से भली-भांति परिचित हो आपने भी इसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय विशेषता को स्वीकारते हुए इसे राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिया। ज्ञात हो 1 नवम्बर 2010 को हुई NGRBA बैठक में गंगोत्री व उत्तरकाशी के मध्य निर्माणाधीन व प्रस्तावित सभी जल विद्युत परियोजनाओं को गंगा के विशेष सांस्कृतिक व आस्था के पक्ष को मद्देनजर रखते हुए निरस्त करने के निर्णय के साथ ही भविष्य में इसके संरक्षण
खाद्य सुरक्षा पर हमला
Posted on 29 Jul, 2011 11:57 AM

किसानों को अपने पिछले उत्पादन के बराबर पाने के लिए रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों को अधिक से अधि

देश के बाद अब प्रकृति की कमान
Posted on 25 Jul, 2011 08:38 AM सेना में रहकर देश की सेवा करने वाले जवानों को रिटायरमेंट के बाद जब पर्यावरण संरक्षण जैसी जिम्मेदारी दी गई तो सरहदों की रक्षा करने वाले हाथ मिट्टी में पूरी तरह रच बस गए। इन हाथों ने प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का ऐसा काम किया कि आज उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण के मामले में अव्वल हो गया है। मसूरी की खूबसूरत वादियां और सोरघाटी पिथौरागढ़ की हरियाली बरकरार रखने में ईको टास्क फोर्स जी जान से जुटी है। 31 म
पर्यावरण जागरुकता रैली निकालते टास्क फोर्स के जवान
चिपको, छीनो-झपटो और...
Posted on 20 Jul, 2011 05:00 PM

ग्रामीणों और परियोजनाओं के लिए अलग-अलग और बार-बार बदलते मापदंडों के चलते चिपको की ऐतिहासिक भूम

इस आपदा ने विकास की असलियत बतायी
Posted on 20 Jul, 2011 04:06 PM

सितंबर के तीसरे सप्ताह भर की अखंड बारिश ने पूरे उत्तराखंड को जाम करके रख दिया था। उसने सोर-पिथौरागढ़ से लेकर रामा-सिनाई, बंगाण तथा बद्रीनाथ से हरिद्वार, कपकोट से नैनीताल तक के बीच के क्षेत्र को झिंझोड़ कर रख दिया। लगभग दो सौ लोग तथा नौ सौ पशु मारे गये। एक हजार मकान और फसल से भरे खेत नष्ट हो गये थे। एक गणना के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्गों सहित गाँवों को जोड़ने वाले नौ सौ मोटर मार्ग भी ध्वस्त हो ग

प्राकृतिक आपदा और मानवीय त्रासदी के बीच
Posted on 15 Jul, 2011 02:27 PM

पि‍छले दि‍नों प्राकृति‍क आपदा ने उत्तंराखंड में भीषण तबाही मचाई। इससे अपार जान-माल का नुकसान हुआ। कि‍तना नुकसान हुआ, इसका अभी तक सही आंकलन नहीं कि‍या जा सका है। इस दौरान आंदोलनकारी रचनाकार डॉ. अतुल शर्मा उत्तलरकाशी-टि‍हरी क्षेत्र में थे। उनका यात्रावृतांत-

असल संत की अंत कथा
Posted on 14 Jul, 2011 06:28 PM

गंगा को लेकर संतों और खनन माफिया के बीच छिड़ी लड़ाई में उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने एक नहीं बल्कि बार-बार और खुल्लमखुल्ला खनन माफिया का साथ दिया है। स्वामी निगमानंद की मौत के पीछे का सच सामने लाती आशीष खेतान और मनोज रावत की विशेष पड़ताल
स्वामी निगमानंद अपने गुरू शिवानंद के साथस्वामी निगमानंद अपने गुरू शिवानंद के साथ

पहाड़ पर बारिश का कहर
Posted on 14 Jul, 2011 05:08 PM

इस बार भी बारिश पहाड़ पर कहर बनकर बरस रही है। अनियोजित व अवैज्ञानिक विकास के चलते इससे राहत मिलती नहीं देख रही है। कवि और पत्रकार अतुल शर्मा की रिपोर्ट-सुबह से शाम तक थका देने वाली पहाड़ी ऊँचाइयों और ढलानों में ताजी ठंडी हवा, खुला नीला आकाश, पानी का मीठा स्रोत महिलाओं की जीवन शक्ति हैं। बोझ और पानी को ढोतीं महिलाएं दरअसल पहाड़ को ढोती हैं।

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