सेना में रहकर देश की सेवा करने वाले जवानों को रिटायरमेंट के बाद जब पर्यावरण संरक्षण जैसी जिम्मेदारी दी गई तो सरहदों की रक्षा करने वाले हाथ मिट्टी में पूरी तरह रच बस गए। इन हाथों ने प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का ऐसा काम किया कि आज उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण के मामले में अव्वल हो गया है। मसूरी की खूबसूरत वादियां और सोरघाटी पिथौरागढ़ की हरियाली बरकरार रखने में ईको टास्क फोर्स जी जान से जुटी है। 31 मई का दिन ईको टास्क फोर्स के लिए खास रहा इस दिन फोर्स ने सुदूर सीमावर्मी माणा गांव में वृक्षारोपण कर 1 करोड़ पौधे लगाने का अपना लक्ष्य पूरा किया। टास्क फोर्स ने अंतिम पौधा लगाने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया था। खराब मौसम के कारण वे माणा नहीं पहुंच पाए लेकिन केदारनाथ यात्रा के दौरान केदारनाथ में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने संयुक्त रूप से ईको टास्क फोर्स द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वृक्षारोपण करने के बाद फोर्स की सराहना की।
पूर्व सैनिकों को लेकर जब 1982 में ईको टास्क फोर्स का गठन उत्तराखंड में किया गया तो किसी ने सोचा नहीं होगा कि एक दिन यह फोर्स एक करोड़ पौधे लगाने का कीर्तिमान स्थापित करेगी। 1982 में गढ़वाल रेजिमेंट के सेंटर हेडक्वार्टर लैंसडाउन में पहली ईको टास्क फोर्स इकाई का गठन किया गया था। अब यह बटालियन गढ़वाल रेजिमेंट के देहरादून हेडक्वार्टर से संचालित हो रही है। जबकि कुमाऊं रेंजिमेंट द्वारा संचालित 130 इन्फैंटरी बटालियन का गठन 1994 में किया गया और यह पिथौरागढ़ से कार्य कर रही है। वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर छह बटालियन ईको टास्क फोर्स गठित की जा चुकी है और इन्होंने पर्यावरण संरक्षण में सराहनीय कार्य किया है। कुमाऊं की फोर्स की तीन कंपनियां पिथौरागढ़ व एक अल्मोड़ा में काम कर रही हैं जबकि गढ़वाल मंडल की कंपनियां देहरादून, मसूरी, पौड़ी, केदारनाथ सहित शिवालिक श्रेणियों में कई स्थानों पर काम कर रही हैं। ईको टास्क फोर्स के गठन से सैन्य बहुल उत्तराखंड राज्य को दोहरा फायदा हुआ है एक तो बड़ी संख्या में पूर्व सैनिकों को ईको टास्क फोर्स से रोजगार मिल रहा है और दूसरा फोर्स पर्यावरण संरक्षण का जोरदार काम कर रही है। 80 के दशक में जब ईको टास्क फोर्स ने मसूरी में काम करना शुरू किया तब यहां चूने की 25 से अधिक खदानें लगातार पर्वतों को खोखला बना रही थीं।
टास्क फोर्स के अभियान के बाद न सिर्फ ये खदान बंद की गईं बल्कि पर्यावरण को हो चुके खदानों से नुकसान की भरपाई करने में भी कामयाब रही है। प्रभावित क्षेत्र में टास्क फोर्स ने चेकडैम बनाने के साथ ही सघन वृक्षारोपण अभियान चलाया जिससे मिट्टी का कटना तो रुका ही, साथ ही नमी का भी संरक्षण हुआ। ईको टास्क फोर्स जुलाई 2010 तक मसूरी क्षेत्र में पांच लाख पौधे रोप चुकी है जिसमें से सबसे अधिक पौधे कैंपटी क्षेत्र में रोपे गए हैं। सोरघाटी (पिथौरागढ़) का विण, कासनी और कैंट एरिया मानव गतिविधियों के कारण वन विहिन हो चुका था लेकिन एक दशक की अथक मेहनत के बाद ईको टास्क फोर्स इस क्षेत्र को दोबारा हरा-भरा करने में कामयाब रही है। ईको टास्क फोर्स की मेहनत के कारण ही पिथौरागढ़ का गोल्फ ग्राउंड धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहा है। फोर्स ने जनपद मुख्यालय के निकट जनरल बीसी जोशी पब्लिक स्कूल के इर्द-गिर्द की पहाड़ियों को भी हरा-भरा करने में सफलता पाई है। ईको टास्क फोर्स की सफलता इस बात पर भी निर्भर है कि वे अपने अभियानों में स्थानीय लोगों के साथ काम करते हैं। ईको टास्क फोर्स की कुमाऊं इन्वायर्नमेंट इन्फैंटरी बटालियन के लेफ्टिनेंट करनल डीसी नागियाल के मुताबिक फोर्स भविष्य में राज्य के अन्य जिलों में भी कार्य करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि भूतपूर्व सैनिक एक पर्यावरणकर्मी के रूप में बिना कुछ बोले बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ में अधिक जवानों को फोर्स से जोड़ने की प्रक्रिया चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि फोर्स से जुड़ने के लिए पूर्व सैनिकों को जिला सैनिक कल्याण बोर्ड में पंजीकृत होना अनिवार्य है।
मूनाकोट (पिथौरागढ़) के पूर्व ब्लॉक प्रमुख बीरेंद्र बल्दिया का कहना है कि ईको टास्क फोर्स के आने से पहले जिला मुख्यालय से लगा कई किमी का क्षेत्र सूखा हो गया था जिसे फोर्स ने दोबारा हरा-भरा कर दिया है। ईको टास्क फोर्स के सैनिक शंकर राम का कहना है कि ईको टास्क फोर्स में काम करना बेहतरीन अनुभव है। मसूरी के स्थानीय निवासी बी. के. डोभाल का कहना है कि एक समय ऐसा भी आ गया था कि खनन के कारण फैले प्रदूषण और पर्यावरणीय बदलावों के कारण मसूरी में बर्फ पड़नी बंद हो गई थी लेकिन फोर्स ने मसूरी को उसकी पहचान वापस दिलाई है। उत्तराखंड के मुख्य वन संरक्षक आर.बी.एस. रावत भी ईको टास्क फोर्स की सराहना करते हैं कि ईको टास्क फोर्स पर्यावरण को लेकर बेहतरीन काम कर रही है।
Email:- Mahesh.panday@naidunia.com
पूर्व सैनिकों को लेकर जब 1982 में ईको टास्क फोर्स का गठन उत्तराखंड में किया गया तो किसी ने सोचा नहीं होगा कि एक दिन यह फोर्स एक करोड़ पौधे लगाने का कीर्तिमान स्थापित करेगी। 1982 में गढ़वाल रेजिमेंट के सेंटर हेडक्वार्टर लैंसडाउन में पहली ईको टास्क फोर्स इकाई का गठन किया गया था। अब यह बटालियन गढ़वाल रेजिमेंट के देहरादून हेडक्वार्टर से संचालित हो रही है। जबकि कुमाऊं रेंजिमेंट द्वारा संचालित 130 इन्फैंटरी बटालियन का गठन 1994 में किया गया और यह पिथौरागढ़ से कार्य कर रही है। वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर छह बटालियन ईको टास्क फोर्स गठित की जा चुकी है और इन्होंने पर्यावरण संरक्षण में सराहनीय कार्य किया है। कुमाऊं की फोर्स की तीन कंपनियां पिथौरागढ़ व एक अल्मोड़ा में काम कर रही हैं जबकि गढ़वाल मंडल की कंपनियां देहरादून, मसूरी, पौड़ी, केदारनाथ सहित शिवालिक श्रेणियों में कई स्थानों पर काम कर रही हैं। ईको टास्क फोर्स के गठन से सैन्य बहुल उत्तराखंड राज्य को दोहरा फायदा हुआ है एक तो बड़ी संख्या में पूर्व सैनिकों को ईको टास्क फोर्स से रोजगार मिल रहा है और दूसरा फोर्स पर्यावरण संरक्षण का जोरदार काम कर रही है। 80 के दशक में जब ईको टास्क फोर्स ने मसूरी में काम करना शुरू किया तब यहां चूने की 25 से अधिक खदानें लगातार पर्वतों को खोखला बना रही थीं।
टास्क फोर्स के अभियान के बाद न सिर्फ ये खदान बंद की गईं बल्कि पर्यावरण को हो चुके खदानों से नुकसान की भरपाई करने में भी कामयाब रही है। प्रभावित क्षेत्र में टास्क फोर्स ने चेकडैम बनाने के साथ ही सघन वृक्षारोपण अभियान चलाया जिससे मिट्टी का कटना तो रुका ही, साथ ही नमी का भी संरक्षण हुआ। ईको टास्क फोर्स जुलाई 2010 तक मसूरी क्षेत्र में पांच लाख पौधे रोप चुकी है जिसमें से सबसे अधिक पौधे कैंपटी क्षेत्र में रोपे गए हैं। सोरघाटी (पिथौरागढ़) का विण, कासनी और कैंट एरिया मानव गतिविधियों के कारण वन विहिन हो चुका था लेकिन एक दशक की अथक मेहनत के बाद ईको टास्क फोर्स इस क्षेत्र को दोबारा हरा-भरा करने में कामयाब रही है। ईको टास्क फोर्स की मेहनत के कारण ही पिथौरागढ़ का गोल्फ ग्राउंड धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहा है। फोर्स ने जनपद मुख्यालय के निकट जनरल बीसी जोशी पब्लिक स्कूल के इर्द-गिर्द की पहाड़ियों को भी हरा-भरा करने में सफलता पाई है। ईको टास्क फोर्स की सफलता इस बात पर भी निर्भर है कि वे अपने अभियानों में स्थानीय लोगों के साथ काम करते हैं। ईको टास्क फोर्स की कुमाऊं इन्वायर्नमेंट इन्फैंटरी बटालियन के लेफ्टिनेंट करनल डीसी नागियाल के मुताबिक फोर्स भविष्य में राज्य के अन्य जिलों में भी कार्य करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि भूतपूर्व सैनिक एक पर्यावरणकर्मी के रूप में बिना कुछ बोले बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ में अधिक जवानों को फोर्स से जोड़ने की प्रक्रिया चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि फोर्स से जुड़ने के लिए पूर्व सैनिकों को जिला सैनिक कल्याण बोर्ड में पंजीकृत होना अनिवार्य है।
मूनाकोट (पिथौरागढ़) के पूर्व ब्लॉक प्रमुख बीरेंद्र बल्दिया का कहना है कि ईको टास्क फोर्स के आने से पहले जिला मुख्यालय से लगा कई किमी का क्षेत्र सूखा हो गया था जिसे फोर्स ने दोबारा हरा-भरा कर दिया है। ईको टास्क फोर्स के सैनिक शंकर राम का कहना है कि ईको टास्क फोर्स में काम करना बेहतरीन अनुभव है। मसूरी के स्थानीय निवासी बी. के. डोभाल का कहना है कि एक समय ऐसा भी आ गया था कि खनन के कारण फैले प्रदूषण और पर्यावरणीय बदलावों के कारण मसूरी में बर्फ पड़नी बंद हो गई थी लेकिन फोर्स ने मसूरी को उसकी पहचान वापस दिलाई है। उत्तराखंड के मुख्य वन संरक्षक आर.बी.एस. रावत भी ईको टास्क फोर्स की सराहना करते हैं कि ईको टास्क फोर्स पर्यावरण को लेकर बेहतरीन काम कर रही है।
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