उत्तराखंड

Term Path Alias

/regions/uttarakhand-1

जल विज्ञानीय आंकड़ा संग्रहण एवं प्रक्रमण तकनीक
Posted on 03 Jan, 2012 05:48 PM जल विज्ञानीय आंकड़ों के उचित तरीकों से संग्रहण एवं कुशल प्रक्रमण की जानकारी जल संसाधन वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों के लिए अत्यन्त आवश्यक है। आंकड़ों की अधिक से अधिक उपलब्धता, कुशल प्रबंधन एवं विश्लेषण से जल संसाधन एवं जलोपयोग के लिए विभिन्न परियोजनाओं, अभिकल्पनाओं एवं प्रबंधन का कार्य कम लागत में सुचारू रूप से किया जा सकता है।
जल संरक्षण कार्यक्रम में अवसाद की भूमिका
Posted on 03 Jan, 2012 05:47 PM प्रस्तुत शोध-प्रपत्र में जल संरक्षण कार्यक्रम में अवसाद की महत्ता पर प्रकाश डाला गया है। जल ही जीवन है। लेकिन दुःख तो इस बात का है कि हमें उपलब्ध पेयजल इतना प्रदूषित हो गया है कि विश्व भर में लगभग डेढ़ करोड़ बच्चे 5 वर्ष की आयु पूरा करने के पूर्व ही कालकवलित हो जाते हैं। विश्व के निर्धन देशों में आधे से भी अधिक लोग शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं। भारत में भी उपलब्ध जल का 90 प्रतिशत भाग अपेय है। जल
कृषि पर सूखे का जोखिम घटाने में मृदा संरक्षण एवं कृषि वानिकी युक्तियों की उपयोगिता
Posted on 03 Jan, 2012 10:19 AM जल संरक्षण एवं इसके लाभप्रद उपयोग के अतिरिक्त मृदा-संरक्षण एवं कृषि-वानिकी युक्तियां भी सूखे की संकटावस्था में कृषि के लिए उपयोगी एवं आवश्यक हैं। देश के विभिन्न प्रान्तों में किए गए जल परिक्षेत्र (Watershed basis) पर आधारित शोध परिणामों का विश्लेषण करने से यह बात स्पष्ट होती है कि सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में मृदा-संरक्षण एवं कृषि-वानिकी युक्तियों का उपयोग तथा वृक्षों एवं फसलों की मिश्रित खेती पद्धत
जल संरक्षण तथा जल विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा एवं प्रशिक्षण
Posted on 03 Jan, 2012 10:16 AM ‘जल’ प्रकृति का मानव को अमूल्य उपहार एवं प्राणी और प्रकृति जगत का जीवन है। यद्यपि पृथ्वी के तीन-चौथाई भाग में जल किसी न किसी रूप में विद्यमान है। समुद्र की विशाल जल राशि, पहाड़ों पर जमी बर्फ, भूमि के जलस्रोत, उफनती नदियाँ, ऐसा प्रतीत होता है कि अपार जलराशि की उपलब्धता से चिन्ता की कोई बात नहीं है। किन्तु वास्तविकता इससे बिल्कुल भिन्न है।
जल वैज्ञानीय अभिकलन में व्यावहारिक आवश्यकताएं
Posted on 03 Jan, 2012 10:13 AM इंजीनियरीय जलविज्ञान के अंतर्गत हम अपवाह और उसके एक स्थान से दूसरे स्थान पर संचलन अध्ययन करते हैं। इंजीनियरीय योजनाओं में जल के उचित नियंत्रण एवं उपयोग के लिए अभिकल्प एवं प्रचालन में इस प्रकार का अध्ययन आवश्यक एवं लाभदायक होता है।
छन्ने ने बदली जिंदगी
Posted on 30 Dec, 2011 09:38 AM

इन फिल्टरों के लगने का सबसे अधिक फायदा महिलाओं को है। राज्य के अन्य भागों की तरह इन गांवों में महिलाओं की आबादी अधिक है, जिन्हें बरसात में पानी के लिए दूर-दूर भटकना पड़ता था लेकिन अब उन्हें साफ पानी घर के दरवाजे पर ही मिल रहा है। इससे न सिर्फ इनका स्वास्थ्य बेहतर हो रहा है बल्कि पानी को लेकर होने वाला श्रम भी घट गया है।

तीन गांवों में स्लो सैंड फिल्टर लगने से गंदे पानी की समस्या तो कम हुई ही, जलजनित बीमारियां भी कम हो गई हैं। उत्तराखंड में टिहरी गढ़वाल के चोपड़ियाली गांव की राजी देवी रावत इन दिनों बहुत खुश हैं। उनके गांव में जबसे स्लो सैंड फिल्टर लगा है, सभी परिवारों को गंदे पानी की समस्या से निजात मिल गई है। गांव में महिला मंगल दल की भी अध्यक्ष रावत का कहना है, “फिल्टर लगाए जाने के बाद गांव में पानी से फैलने वाली बीमारियां कम हो गई हैं।” ऐसी खुशी टिहरी के इंडवाल और साबली गांवों में भी दिखती है। तीनों गांवों में लगाए गए फिल्टरों से 188 परिवारों को फायदा मिल रहा है।
एल-मोमेन्ट्स एवं पारम्परिक तकनीकों द्वारा विभिन्न प्रत्यागमन काल के लिए आंकलित बाढ़ की तुलना
Posted on 29 Dec, 2011 11:37 PM विभिन्न प्रकार की जल संसाधन परियोजनाओं/जलविज्ञानीय संरचनाओं जैसे कि बाँध, स्पिलवे, सड़क एवं रेलवे पुल, पुलिया, शहरी निकासी तन्त्र तथा विभिन्न संरचनात्मक उपायों जैसे कि बाढ़ क्षेत्र का निर्धारण, बाढ़ सुरक्षा परियोजनाओं का आर्थिक मूल्यांकन इत्यादि के लिए बाढ़ परिमाण एवं उनकी आवृत्ति सम्बन्धित सूचना की आवश्यकता होती है। सत्रहवीं शताब्दी में वैज्ञानिक जलविज्ञान की शुरूआत के समय से ही वैज्ञानिकों एवं अ
जल संसाधन के प्रबंधन में जनभागीदारी का महत्व
Posted on 26 Dec, 2011 10:29 AM

प्रकृति में प्राणी मात्र का अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए जल की आवश्यकता होती है। जीव जन्तु तथा पेड़-पौधे सभी का जीवन जल पर निर्भर है। जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मानव के अविरल विकास में इसकी आवश्यकता निरंतर बनी रहती है। अतः यह कहना उचित होगा कि जल ही हमारा जीवन है। जल का मुख्य स्रोत वर्षा है। भारत वर्ष में वर्षा वर्ष के कुछ महीनों में ही होती है, इस कारण वर्षा के रूप में प्र

Rainwater
सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना तंत्र प्रणाली के प्रयोग द्वारा जल संसाधनों का अनुप्रयोग
Posted on 26 Dec, 2011 10:06 AM
जल मानव जीवन के लिए प्रकृति द्वारा प्रदत्त एक अनमोल देन है। जल मनुष्य के जीवन, कृषि तथा जल विद्युत परियोजनाओं के लिए आवश्यक संसाधन है। वर्षा जल का सामयिक तथा स्थानिक रूप से असमान होना, बाढ़ एवं सूखा आदि समस्याओं का प्रमुख कारण है। बाढ़ एवं सूखा जैसी समस्याओं सहित अन्य विविध समस्याओं के समाधान तथा जल की निरंतर मांग में वृद्धि होने के कारण, जल संसाधनों का उचित उपयोग तथा प्रबंधन अति आवश्यक है।
समस्थानिक तकनीकों द्वारा टिहरी जलाशय से जल रिसाव के स्रोतों का आंकलन
Posted on 26 Dec, 2011 09:23 AM टिहरी बाँध का निर्माण गंगा की मुख्य सहायक नदी भागीरथी पर किया गया है। टिहरी बाँध की ऊंचाई 855 फीट (260.5 मी.) है तथा यह विश्व का पाँचवा एवं एशिया क्षेत्र में सबसे ऊँचा, मृदा व चट्टानों से निर्मित बाँध है। वर्तमान में टिहरी बाँध प्रचालन स्थिति में है। बाँध के अनुप्रवाह एवेटमेंट में जल दबाव कम करने के लिए जल निकासी गैलरियों का एक जाल निर्मित किया गया है। जलाशय के भराव एवं खाली होने के दौरान विभिन्न
×