जल वैज्ञानीय अभिकलन में व्यावहारिक आवश्यकताएं

इंजीनियरीय जलविज्ञान के अंतर्गत हम अपवाह और उसके एक स्थान से दूसरे स्थान पर संचलन अध्ययन करते हैं। इंजीनियरीय योजनाओं में जल के उचित नियंत्रण एवं उपयोग के लिए अभिकल्प एवं प्रचालन में इस प्रकार का अध्ययन आवश्यक एवं लाभदायक होता है।

गत तीन दशकों में संसार में और भारत में जलवैज्ञानीय अभिकलन में नये-नये सूत्र, नई संकल्पनाएं एवं निष्कर्ष, नये सिद्धांत एवं अंकीय अभिकलित्रों पर प्रयोग करने हेतु गणितीय प्रारूपों का उदय हुआ है। परन्तु ज्यों-ज्यों इस क्षेत्र में ज्ञानवृद्धि हुई है उससे अधिक अनुपात में अभिकलन में रक्षा कवच दिन प्रतिदिन मजबूत और व्यावहारिकता से दूर होता जा रहा है। अथवा कहिए कि जितना ज्ञानवर्द्धन हुआ है, उतने ही अनभिज्ञता गुणांक एवं सुरक्षा कारक बढ़े हैं। यह कहां तक व्यावहारिक है उसकी कुछ जल वैज्ञानिक घटकों के उदाहरणों से इस लेख में चर्चा की गई है।

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