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उत्तर प्रदेश
मौत का पानी : दीपांकर चक्रवर्ती
Posted on 17 Sep, 2008 12:15 PMअंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पानी में आर्सेनिक नामक विषैले तत्व की मौजूदगी की ओर उस वक्त लोगों का ध्यान गया, जब 1994-95 में 'द एनालिस्ट' में आपका शोधपत्र छपा, जिस पर 1996 में 'द गार्डियन' में छपे एक लेख में 'द वाटर ऑफ डैथ' (मौत का पानी) शीर्षक से टिप्पणी की गई थी। भूजल में आर्सेनिक विशाक्तता अब पानी को मौत का पानी बना रही है, इंडिया वाटर पोर्टल के लिए दिए गये साक्षात्कार की हिन्दी प्रस्तुतिजल संरक्षण की चुनौती
Posted on 16 Sep, 2008 11:57 AMदेश की कई छोटी-छोटी नदियां सूख गई हैं या सूखने की कगार पर हैं। बड़ी-बड़ी नदियों में पानी का प्रवाह धीमा होता जा रहा है। कुएं सूखते जा रहे है। 1960 में हमारे देश में 10 लाख कुएं थे, लेकिन आज इनकी संख्या 2 करोड़ 60 लाख से 3 करोड़ के बीच है। हमारे देश के 55 से 60 फीसदी लोगों को पानी की आवश्यकता की पूर्ति भूजल द्वारा होती है, लेकिन अब भूजल की उपलब्धता को लेकर
स्वतंत्रता के समय सिंचाई विकास
Posted on 16 Sep, 2008 08:59 AMस्वतंत्रता के समय भारतीय उपमहाद्वीप में, जिसमें अंग्रेजों के प्रान्त और रजवाड़े शामिल थे, निवल सिंचित क्षेत्र लगミग 28.2 मिलियन हैक्टेयर था। लेकिन देश के विभाजन के कारण स्थिति में अचानक और जबरदस्त बदलाव आ गया जिसके फलस्वरूप सिंचित क्षेत्र दो देशों के बीच बंट गया; भारत और पाकिस्तान में निवल सिंचित क्षेत्र क्रमशः 19.4 मिलियन हैक्टेयर तथा 8.8 मिलियन हैक्टेयर रह गया। सतलज और सिंधु प्रणालियों सहित वृहदसंकट में हैं जीवनदायिनी नदियां
Posted on 11 Sep, 2008 02:06 PMनदियों को जीवनदायिनी संबोधन देने वाले प्रख्यात साहित्यकार काका कालेलकर ने अपने लेखन में देश की नदियों को लोकमाता के रूप में रेखांकित कर भारतवर्ष की पौराणिक संस्कृति को उजागर किया है। इतिहास गवाह है कि हजारों साल पहले यहां आवासीय व्यवस्था का श्रीगणेश नदियों के किनारे से ही हुआ। यही कारण है कि हड़प्पा के दौरान विकसित संस्कृति को आज सिंधु संस्कृति के रूप में विश्वभर में जाना जाता है।
खेत के अंदर तालाब
Posted on 07 Sep, 2008 10:37 PMउत्तर प्रदेश में सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत पहुंचाने के हरसंभव उपाय किए ही जाने चाहिए। इन उपायों के तहत खेतों में तालाबों के निर्माण की तैयारी बेशक सही दिशा में उठाया गया कदम है। इस योजना के संदर्भ में महत्वपूर्ण यह है कि तालाबों का निर्माण राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत किया जाएगा। स्पष्ट है कि इस योजना से जहां एक ओर निर्धन आबादी को रोजगार का मौका मिलेगा वहीं सूखे की समस्या का दीर्घकआगरा में यमुना घाटों की सफाई
Posted on 01 Jan, 1970 05:30 AM
सुबिजोय दत्ता
आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यमुना नदी के प्रदूषण की तरफ विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों का ध्यान केन्द्रित करने के लिए कई स्कूलों के सैकड़ों छात्रों ने वरिष्ठ नागरिकों के साथ रविवार सुबह पोइया घाट की सफाई की. उन्होंने इस दौरान वहां पङे पॉलिथीन बैग और कचरे हटाए.
झांसी के 82 एकड़ के प्राचीन लक्ष्मी-तालाब और 490 एकड़ के नगर-पार्क के अतिक्रमण पर कार्यवाही न करने पर', NGT नाराज
Posted on 04 Jan, 2023 11:56 AMझांसी। सरकार से लगातार अतिक्रमण की शिकायत से थक-हारकर एनजीटी के दरवाजे पर जाना मजबूरी बन गई है। झांसी के गिरजा शंकर राय, एडवोकेट बी.एल.
वाराणसी में अगले साल से चलेगी जल टैक्सी
Posted on 19 Dec, 2022 12:50 PMआगले साल 2023 की गर्मियों में वाराणसी उत्तर प्रदेश में पर्यावरण के अनुकूल जल टैक्सियाँ चल सकती है। यह टैक्सियाँ तीर्थयात्रियों को काशी विश्वनाथ धाम (केवीडी) और घाटों तक ले जाने लगेंगी, जिससे शहर की सड़कों से भार कम हो जाएगा साथ ही लोगों को ट्रैफिक से भी निजात मिलेगी।