उत्तर प्रदेश

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सूखे से निपटने हेतु बंधी बांधने का एकल प्रयास
Posted on 18 Apr, 2013 12:01 PM सूखे से निपटने हेतु एक परिवार ने अपनी क्षमता प्रदर्शित करते हुए अपनी खेती के बीचों-बीच से बहने वाले नाले को बांधा। जिससे न सिर्फ खेत की उर्वरता बहने से रुकी वरन् इनकी खेती भी दो फसली हो गई।

संदर्भ

सामुदायिक सहयोग से रोका बरसात का पानी
Posted on 18 Apr, 2013 10:27 AM नदी एवं जंगल जैसी प्राकृतिक संपदाओं से प्रचुर होने के बाद भी उबड़-खाबड़ भूमि होने के कारण लोग सिंचाई साधनों की अनुपलब्धता से खेती कर पाने में कठिनाई का अनुभव करते थे। ऐसे में बरसाती पानी रोकने का समुदाय स्तर पर किया गया प्रयास सफल व अनुकरणीय रहा।

संदर्भ

गृहवाटिका से महिलाओं ने किया सूखे का मुकाबला
Posted on 13 Apr, 2013 03:28 PM सूखा हो या बाढ़ सर्वाधिक दिक्कत महिलाओं को ही होती है। अतः महिलाओं ने दैनिक उपभोग के पानी के पुनः उपयोग को ध्यान में रखते हुए गृहवाटिका को बढ़ावा देने का काम किया।

परिचय

यमुना किनारे प्रदेश का पहला ‘इको टूरिज़्म’
Posted on 13 Apr, 2013 11:55 AM

‘जिभिया रॉक’ पर केंद्रित परियोजना में भीटा, बीकर और सुजावनदेव मंदिर क्षेत्र शामिल

साफ पानी की दरकार में बीमार हो रहे हैं इटावा के लोग
Posted on 07 Apr, 2013 10:10 AM उत्तर प्रदेश राज्य जल निगम की इटावा शाखा द्वारा पेयजल के लिए गए नमूनों में जिस प्रकार से पेयजल के अवयवों में फ्लोराइड आयरन एवं नाइट्रेट की मात्रा बढ़ जाने से यह पानी लोगों की अपंगता का कारण बनता जा रहा है। वहीं नाइट्रेट की बढ़ी मात्रा तो बच्चों की मौत का कारण तक बन जाती है। आश्चर्यजनक यह है कि पेयजल के लिए गए नमूनों के बाद शोधकर्ताओं ने साफ किया कि पानी के अवयवों का संतुलन नहीं बनाया जा सकता है और इसका एकमात्र उपाय यही है कि पेयजल की आपूर्ति पानी की टंकी के माध्यम से की जाए। जल ही जीवन है परंतु उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के तमाम ब्लाकों का पानी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहा है। फ्लोराइड की अधिकता बढ़ने के कारण इटावा के कई गांव के बासिंदों में बढ़ रहा है अपंगता का खतरा। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जिला इटावा में दर्जनों ऐसे गांव है जहां के सरकारी हैंडपंपों के पानी में लगातार फ्लोराइड की मात्रा बढ़ती चली जा रही है नतीजतन पानी का इस्तेमाल करने वालों के सामने कई किस्म के खतरे खड़े हो रहे हैं। पानी में पनप रहे इन्हीं ख़तरों की आशंकाओं के मद्देनज़र उत्तर प्रदेश सरकार की ओर स्वजलधारा योजना की शुरूआत करने की कवायद कर दी गई है लेकिन इस योजना पर भी प्रभावित लोगों की ओर से सवाल खड़े किये जा रहे हैं प्रभावित लोगों का कहना है कि राजनीति से प्रेरित होकर इस योजना को लागू कराया जा रहा है। मौसम में लगातार हो रहे असंतुलन ने भूजल को बुरी तरह प्रदूषित किया है। पीने के लिए सरकार द्वारा लगवाए गए हैंडपंपों के पानी में जिस प्रकार से रासायनिक अवयवों का संतुलन बिगड़ा है, उससे यह पानी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य जल निगम की इटावा शाखा द्वारा पेयजल के लिए गए नमूनों में जिस प्रकार से पेयजल के अवयवों में फ्लोराइड आयरन एवं नाइट्रेट की मात्रा बढ़ जाने से यह पानी लोगों की अपंगता का कारण बनता जा रहा है।
सामूहिक प्रयास से बंधी निर्माण
Posted on 05 Apr, 2013 11:47 AM समाज की मुख्य धारा से कटे आदिवासी भुईया जाति के 55 परिवारों ने स्वयं के प्रयास से बसनीया नाला पर बंधी निर्माण किया और अपनी सिंचाई की समस्या हल की।

संदर्भ


ऊँचे पहाड़ व उबड़-खाबड़ ज़मीन पर खेती करने वालों के लिए सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की होती है। यहां पर रहने वालों के लिए जितना मुश्किल पानी संग्रह करना होता है, उससे अधिक मुश्किल पानी का उपयोग करना होता है। कुछ ऐसी ही स्थिति सोनभद्र जिले के दुद्धी विकासखंड अंतर्गत कलिंजर ग्राम सभा की है। बसनीया नाला के दोनों तरफ उबड़-खाबड़ जमीनों पर स्थित ग्राम सभा कलिंजर में 55 आदिवासी परिवार भुईया जाति के रहते हैं। ये भूमिहीन आदिवासी परिवार पूर्वजों से ही धारा-20 के अंतर्गत पट्टा की भूमि पर रहते हैं, खेती करते हैं। विडम्बना ही है कि बरसों बीत जाने के बाद भी जमीनों का हक इनको नहीं मिल पाया है। कुछ तो इनकी अज्ञानता और कुछ सरकारी उपेक्षा ने इन्हें भूमिहीनों की कतार में खड़ा किया है।
जल स्तर को ऊंचा करने का स्वयं का प्रयास
Posted on 05 Apr, 2013 10:41 AM बगल में नदी होते हुए भी गर्मियों में सूखा की स्थिति झेलने वाले जनपद सोनभद्र के गांव बीडर के लोगों ने स्वयं के प्रयास से कुएँ, तालाबों की खुदाई की और जल स्तर बढ़ाने का स्व प्रयास किया।

संदर्भ


पहाड़ों से घिरी गहरी बावनझरिया नदी के समीप अवस्थित ग्राम सभा बीडर जनपद सोनभद्र के विकास खंड दुद्दी का एक गांव है। इस गांव की विडम्बना यह है कि 200-300 मीटर की ढलान के बाद 15 मीटर गहरी नदी (जिसमें वर्ष भर पानी रहता है। बगल में होने के बावजूद गांव सूखा की परिस्थितियों को झेलता है।

जनपद सोनभद्र की आजीविका का मुख्य साधन खेती, खेती आधारित मजदूरी है। यहां पर वर्षा आधारित खेती होने के कारण वर्षा न होने की स्थिति में लोगों के खेत सूखे रहते हैं। नतीजतन लोगों की आजीविका एवं उसके साथ-साथ उनका जीवन-यापन बहुत मुश्किल हो जाता है।
भूमि समतलीकरण
Posted on 04 Apr, 2013 03:43 PM ऊंची नीची भूमि के कारण खेतों से बहुत सा पानी बेकार बह जाता है, जिसने सूखे विंध्य को और सूखा बनाया। तब लोगों ने भूमि समतलीकरण की तकनीक अपनाकर सूखे से मुकाबला प्रारम्भ किया।

संदर्भ


भूमि समतलीकरण से आशय है ऊंची-नीची ज़मीन को बराबर करके उसकी मेंड़ को बांधना ताकि ज़मीन की उर्वरा शक्ति एवं जल धारण क्षमता बढ़े। भूमि एवं जल प्रबंधन की यह एक पुरानी व कारगर परंपरा है, जो खेती के आधुनिक दौर में बहुत प्रचलन में नहीं है। परंतु आज जब पानी की एक-एक बूंद महत्वपूर्ण है, इस परंपरा को पुनः प्रचलन में लाना अति आवश्यक हो गया है और इसी दिशा में प्रयास करते हुए इसे प्रतिस्थापित किया जा रहा है।
28 को लखनऊ में बनेगी 20 नदियों की प्रदूषण मुक्ति कार्ययोजना
Posted on 01 Apr, 2013 09:16 AM

तिथि : 28 अप्रैल 2013
स्थान : जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केन्द्र (लखनऊ)


नदियों को लेकर चिंतित कई शख़्शियतें समग्र चिंतन के लिए आगामी 28 अप्रैल को लखनऊ में एकजुट होंगी। इनमें सर्वश्री न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय, गंगा एक्शन परिवार के स्वामी चिदानंद ‘मुनीजी’, राज्यसभा सदस्य अनिल माधव दवे, प्रसिद्ध स्तंभकार भरत झुनझुनवाला, भारत सरकार के पूर्वजल संसाधन सचिव माधव चितले, गंगा प्रदूषण मुक्ति को लेकर सक्रिय वर्तमान भाजपा उपाध्यक्ष उमा भारती, यमुना रक्षक दल के अध्यक्ष महंत जयकृष्ण दास और लखनऊ के महापौर डॉ. दिनेश शर्मा प्रमुख हैं। नदी पर समग्र चिंतन का यह राष्ट्रीय अवसर जुटाने की पहल ‘लोक भारती’ नामक संगठन ने की है।

river
प्रेरक पांवधोई
Posted on 25 Mar, 2013 04:25 PM

आलोक कुमार की इसी प्रतिबद्धता ने पांवधोई कचरा मुक्ति को प्रशासन और पब्लिक के साझे की एक और मिसाल बना दी। निस्संद

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