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तेलंगाना
एक मछुआरे ने बनाई जलकुम्भी निकालने की मशीन
Posted on 16 Jul, 2016 10:04 AMजलकुम्भी एक ऐसा जलीय जंगल है जिसका फैलाव बहुत तेजी से होता है। अनुमानतः 10 दिन में जलकुम्भी की संख्या दोगुनी हो जाती है। चूँकि यह बहुत तेजी से बढ़ती और फैलती है इसलिये इन्हें हटाना आसान नहीं है।
नलगोंडा ने सीख लिया है फ्लोराइड के साथ जीना
Posted on 03 Jul, 2016 01:30 PM
फ्लोराइड से बुरी तरह प्रभावित नलगोंडा में सरकार सुरक्षित पेयजल मुहैया कराने में सफल रही है, लेकिन स्थानीय भूजल में फ्लोराइड का स्तर इतना अधिक है कि उससे पूरी निजात सम्भव नहीं। खेती के लिये भी यह चिन्ता का विषय बना हुआ है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आँकड़ों के मुताबिक नव-निर्मित राज्य तेलंगाना की करीब 1200 बस्तियाँ फ्लोरोसिस की समस्या से ग्रस्त हैं। इसमें भी सबसे बुरी स्थिति नलगोंडा जिले की है।
जिले के 17 मण्डल फ्लोराइड की अधिकता के कारण फ्लोरोसिस से बुरी तरह जूझ रहे हैं। फ्लोरोसिस वह स्थिति है जो शरीर में फ्लोराइड की अधिकता से उत्पन्न होती है। यह फ्लोराइड पेयजल तथा अन्य माध्यमों से हमारे शरीर में जाता है। इसकी वजह से लोगों के शरीर में अस्थि विकृतियाँ तथा अन्य समस्याएँ उत्पन्न होने लगती हैं।
कैसे हो फ्लोराइड से मुक्ति
Posted on 14 Jun, 2016 12:24 PM
पानी की समस्या तेलंगाना में काफी विकराल हो चली है। राज्य के कुल 10 जिलों के लगभग 1,174 गाँवों के पानी में फ्लोराइड की अधिकता के कारण हालात गम्भीर हो चले हैं। आदिलाबाद करीमनगर, खम्मम और नलगोंडा जिले पिछले कई दशक से पेयजल की कमी और फ्लोरोसिस की समस्या से पीड़ित हैं। इन चारों जिलों में से भी सबसे ज्यादा प्रभावित नलगोंडा जिला है।
किसानों में हाहाकार सो रहे हैं केसीआर
Posted on 07 Sep, 2015 10:27 AMकिसान आत्महत्या कर रहे हैं। सरकार हाथ-पर-हाथ धरे बैठी है। वह आत्महत्या को दूसरे नज़रिए से देख रही है। उसका मानना है कि इसकी वजह किसानों की आपसी प्रतिस्पर्धा है। मगर सवाल ये है कि क्या सच वही है जो सरकार बता रही है। उसी को उजागर करती यह रिपोर्ट…पंजाब, तेलंगाना और विदर्भ के किसान अब भी बेहाल
Posted on 06 Oct, 2018 03:27 PMमोदी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के दिवास्वप्न दिखा रही है, पर विदर्भ, पंजाब और तेलंगाना जैसे राज्यों में किसानों की बदहाली बदस्तूर है। पंजाब में 2000 एवं 2015 के बीच साढ़े 16 हजार से अधिक किसान बेतहाशा कर्जों के कारण खुदकुशी पर मजबूर हो गए। 2015 में तेलंगाना में जहाँ 1358 किसानों ने आत्महत्या की थी, वहीं 2016 में यह आँकड़ा कम होकर 632 पर आ गया। इस सकारात्मक बदलाव के पीछे बड़ी भूमिक