शिमला जिला (हिमाचल प्रदेश)

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यह जो इक शहर है बेपानी शिमला...
Posted on 24 Apr, 2018 06:45 PM

शिमला की ठंड, भारत में एक मुहावरे की तरह है। गर्मी में ठंड की बात हो, तो शिमला याद आता है। उत्तर के मैदानी इलाके में ठंड बढ़ जाये तो कहा जाता है कि शिमला की हवा चल गई। और-तो-और यदि ठंड में बर्फ का नजारा देखने की बात हो, तो भी शिमला का ही नाम लिया जाता है।

एक करोड़ लीटर पानी का सूखा टैंक
कभी जमीन थी बंजर, आज हरियाली का मंजर
Posted on 26 Feb, 2018 02:18 PM

शिमला से सटे ग्रामीण क्षेत्र सधोड़ा के 88 वर्षीय किसान मस्तराम ने पौधरोपण के जुनून को कम नहीं होने दिया है

सर्दी में सूखे जैसे हालात से किसान चिन्तित
Posted on 18 Jan, 2018 11:05 AM
हिमाचल प्रदेश में सूखे जैसी स्थिति से किसानों-बागवानों के साथ आम लोगों की दिक्कतें भी बढ़ गई हैं। मौसम के तेवर आने वाले दिनों में भी ऐसे ही रहे तो लोगों को सूखे की मार झेलनी पड़ेगी। इसका असर खेती व बागवानी पर पड़ने के साथ-साथ लोगों की सेहत पर भी पड़ेगा। अगर जल्द बारिश व बर्फबारी नहीं होती है तो गर्मियों में पेयजल किल्लत के साथ बिजली संकट का सामना भी करना पड़ सकता है। प्रदेश की आबादी का बड़ा
सेब छोड़ अनार और सब्जियाँ उगा रहे हैं जलवायु परिवर्तन से त्रस्त किसान
Posted on 01 Dec, 2017 09:20 AM

हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन की अवधि तो बढ़ रही है, पर समग्र रूप से बरसात कम हो रही है। हिमाचल और जम्मू क

Climate Change
कार्यक्रम - भारत की जल संस्कृति
Posted on 04 Mar, 2017 11:30 AM
तारीख - 18 और 19 मई 2017
स्थान - गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, सजौली, शिमला- 171006


भारत की जल संस्कृतिभारत की जल संस्कृतिजल हमारे जीवन का सबसे अनिवार्य तत्व है। पृथ्वी के सन्तुलन को बनाए रखने में भी इसका सर्वाधिक योगदान है। जीवन का उद्भव और विकास जल में ही हुआ है। हमारी सभ्यताएँ और संस्कृतियाँ नदियों के किनारे ही जन्मी और विकसित हुई हैं। भारत में सभी जल संसाधनों को पवित्र माना जाता है। जल की गुणवत्ता के कारण ही धार्मिक ग्रन्थों जैसे- वेद, पुराण और उपनिषद में इसके संरक्षण के लिये ‘जल नीति’ वर्णन मिलता है। योजनाबद्ध तरीके से जल के उपयोग और प्रबन्धन का तरीका बताया जाता है जिससे इसे संरक्षित किया जा सके और सही उपयोग हो। नदियाँ हमारी संस्कृति, सभ्यता, संगीत, कला, साहित्य, और वास्तुकला की केन्द्रीय भूमिका में शामिल रही हैं।

पंजीकरण शुल्क (प्रति व्यक्ति)
1. भारतीय नागरिक- 2500 रुपए
2. विद्यार्थी- 1000 रुपए
3. विदेशी नागिरक- 150 अमेरिकी डॉलर
4. स्थानीय शिमलावासी- 1500 रुपए
हिमाचल प्रदेश के पारम्परिक पेयजल स्रोत
Posted on 13 Sep, 2016 12:31 PM
हिमाचल प्रदेश में पेयजल स्रोतों को बड़ी मेहनत से बनाने की परम्परा रही है। पहाड़ों से नदियाँ भले ही निकलती हों, किन्तु उनका पानी तो दूर घाटी में बहता है। पहाड़ पर बसी बस्तियाँ-गाँव तो आस-पास उपलब्ध पहाड़ से निकलने वाले जलस्रोतों पर ही निर्भर रहे हैं।
हिमाचल के सेब पर ग्लोबल वार्मिंग का खतरा
Posted on 16 Feb, 2016 03:23 PM
जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले बदलाव से सेब बागवानी प्रभाव
तीर्थन बहती रहे हमेशा
Posted on 02 Jul, 2015 10:53 AM हिमाचल की बहुत सी नदियों में से एक तीर्थन कई मायनों में अनूठी है। ट्राउट मछलियों के लिए प्रसिद्ध इस नदी और तीर्थन घाटी में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को 2014 में यूनेस्को से विश्व धरोहर का दर्जा मिल चुका है। लेखक और उनके साथियों के प्रयासों का नतीजा है कि यह नदी हमारे बीच आज जीवित है।
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