सिक्किम

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तीस्ता के लिए सत्याग्रह
Posted on 08 Feb, 2009 07:27 AM नीरज वाघोलिकर
पहाड़ की आत्मकथा : हाँ, मैं हूं हिमालय का पहाड़ बहुत उदास, नित दरकता, सूखता।
Posted on 02 May, 2019 03:55 PM

बड़ी-बड़ी मशीनें मेरी रूह पर निरंतर और घंटों चल रही हैं। मुझे खोदा जा रहा है ताकि उनका सफर आसान हो। मुझसे मिट्टी और पत्थर खरोंचे जा रहे हैं। जब मानव का दिल चाहता है वो एक विस्फोट करता है और मुझसे मरे शरीर का एक हिस्सा ले लेता है। जो काम का नहीं, उसे फिर मेरे शरीर पर ही डाल देता है और वृक्ष रूपी मेरे शरीर के बाल भी इस मलबे में दफन हो जाते हैं। वो जब मुझे विकास के नाम पर बलि चढ़ाते हैं, मेरे प्रवाह

सिक्किम को मिला पहला भूस्खलन निगरानी तंत्र
Posted on 24 Sep, 2018 06:04 PM


गंगटोक। सिक्किम में भूस्खलन की रियल टाइम निगरानी के लिये पहली बार चेतावनी तंत्र स्थापित किया गया है। भूस्खलन के लिये संवेदनशील माने जाने वाले उत्तर-पूर्वी हिमालय क्षेत्र में स्थापित यह प्रणाली समय रहते भूस्खलन के खतरे की जानकारी दे सकती है, जिससे जान-माल के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

चांदमरी गांव में स्थापित भूस्खलन चेतावनी प्रणाली
सिक्किम में ओडीएफ गुणवत्ता बनाए रखने हेतु प्रयास
Posted on 13 Sep, 2018 12:17 PM

पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम 27 मई, 2016 को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित होने वाला पहला राज्य था। ओडीएफ दर्जा बनाए रखने के लिये राज्य समय-समय पर अधिसूचनाएँ जारी करता रहा है, जिनके जरिए प्रत्येक घर में परिवार के इस्तेमाल के लिये एक स्वच्छ शौचालय होना अनिवार्य कर दिया गया है और प्लास्टिक पर सख्ती बरती गई है तथा कचरे में कमी को बढ़ावा दिया गया है।
सेनिटेशन
पर्यावरण संरक्षण को समर्पित राज्य सिक्किम
Posted on 17 Apr, 2015 07:16 PM 1975 में भारतीय संघ में शामिल होने वाला प्रदेश सिक्किम हिमालय की गोद में बसा वह हरा-भरा भूभाग है जो अपनी प्राकृतिक सम्पदा को समृद्ध बनाने के साथ-साथ आर्थिक विकास की दिशा में भी लम्बे डग भरने के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण विकास के मार्ग में आने वाली बाधाओं व सीमाओं के बावजूद सिक्किम न केवल अपने पड़ोसी पूर्वोत्तर राज्यों बल्कि देश के कई अन्य राज्यों की तुलना में भी तेज
भारत में परिवारों की सुरक्षित पेयजल तक पहुंच
Posted on 13 Oct, 2008 01:21 PM

भारत के पास विश्व की समस्त भूमि का केवल 2.4 प्रतिशत भाग ही है जबकि विश्व की जनसंख्या का 16.7 प्रतिशत जनसंख्या भारत वर्ष में निवास करती है। जनसंख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों पर और भार बढ़ रहा है। जनसंख्या दबाव के कारण कृषि के लिए व्यक्ति को भूमि कम उपलब्ध होगी जिससे खाद्यान्न, पेयजल की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, लोग वांचित होते जा रहे हैं आईये देखें - भारत में परिवारों की सुरक्षित पेयजल तक पहुंच

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