सिक्किम में ओडीएफ गुणवत्ता बनाए रखने हेतु प्रयास

सेनिटेशन
सेनिटेशन

पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम 27 मई, 2016 को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित होने वाला पहला राज्य था। ओडीएफ दर्जा बनाए रखने के लिये राज्य समय-समय पर अधिसूचनाएँ जारी करता रहा है, जिनके जरिए प्रत्येक घर में परिवार के इस्तेमाल के लिये एक स्वच्छ शौचालय होना अनिवार्य कर दिया गया है और प्लास्टिक पर सख्ती बरती गई है तथा कचरे में कमी को बढ़ावा दिया गया है।

गंगटोक में सिक्किम सरकार के ग्रामीण प्रबन्धन एवं विकास विभाग द्वारा 1 जून, 2016 को जारी परिपत्र में कहा गया, “स्वच्छता राज्य का विषय है और खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) बरकरार रखना हमारा कर्तव्य है। यह स्थानीय निकायों का भी दायित्व है, इसलिये (पीआरआई) पंचायती राज संस्थाओं के सभी सदस्यों, जिले, ब्लॉक और जीपीयू स्तर के अधिकारियों, पदाधिकारियों से ओडीएफ दर्जा बरकरार रखने के लिये सामूहिक प्रयास करने का अनुरोध किया जाता है। यदि कोई खामी हो तो उसे पीआरआई के साथ मौजूद संसाधनों के उपयोग से फौरन सही किया जाए।”

परिपत्र के साथ एक अधिसूचना भी थी, जिसमें सिक्किम पंचायत (संशोधन) अधिनियम, 2005 में किए गए विभिन्न संशोधनों की जानकारी थी। अधिनियम की धारा 16 में स्वच्छ भारत अभियान ग्रामीण के अनुरूप संशोधन किया गया है और जोड़ा गया है कि “यदि उसके पास अपने परिवार के इस्तेमाल के लिये साफ और स्वच्छ शौचालय नहीं है।” इससे प्रत्येक घर में एक शौचालय होना अनिवार्य हो गया है।

राज्य सरकार भी कचरे के प्रबन्धन के लिये और वातावरण साफ बनाए रखने के लिये विभिन्न उपाय करती आ रही है। बाजारों और ग्रामीण क्षेत्रों में पड़े कचरे में डिस्पोजेबल स्टाइरोफोम और अन्य डिस्पोजेबल (इस्तेमाल के बाद फेंकने योग्य) वस्तुएँ भारी मात्रा में पाए जाने के कारण उसने एक अधिसूचना जारी की जिसमें बताया गया कि ऐसे उत्पाद पर्यावरण के लिये हानिकारक हैं और कचरा भराव क्षेत्र में ये बहुत अधिक स्थान घेरते हैं। इसमें यह भी कहा गया कि बहुत गर्म सामग्री को स्टाइरोफोम के डिब्बों में खाना स्वास्थ्यकर नहीं है।

सिक्किम के राज्यपाल के नाम से 19 मई, 2016 को जारी आदेश में कहा गया, “इसीलिये पूरे राज्य में स्टाइरोफोम से निर्मित कप, प्लेट, चम्मच, डिब्बों जैसी डिस्पोजेबल सामग्री की बिक्री और प्रयोग पर तुरन्त प्रभाव से प्रतिबन्ध लगाते हुए सरकार को प्रसन्नता हो रही हैं।”

सिक्किम सरकार द्वारा 19 मई, 2016 को जारी एक अन्य अधिसूचना विभागीय बैठकों और समारोहों के दौरान बोतलबन्द पेयजल के अत्यधिक इस्तेमाल से सम्बन्धित थी। इस पेयजल के कारण भारी मात्रा में कूड़ा जमा होता है और जमीनी गड्ढों में कचरा भरने का बोझ भी बढ़ जाता है।

अधिसूचना में कहा गया, “पेयजल की इस्तेमाल की गई प्लास्टिक बोतलों के रूप में कचरे के सृजन में कटौती के लिये यह अधिसूचित किया जाता है कि सरकारी बैठकों और समारोहों के दौरान पेयजल की पैकेज्ड बोतलों का इस्तेमाल नहीं हो सकता है।

विकल्प के रूप में सभी विभागों को सरकारी समारोहों में फिल्टर किए हुए पानी अथवा पुनः प्रयोग योग्य बड़े वाटर डिस्पेंसर से पानी का उपयोग करने या पुनः इस्तेमाल लायक पानी की बोतलें रखने का सुझाव दिया गया और इसके लिये प्रोत्साहित भी किया गया।

फरवरी, 2015 में एक अधिसूचना भी जारी की गई थी जिसका उद्देश्य सभी घरों में शौचालय की सुविधा सुनिश्चित करना था चाहे वह सरकारी सहायता से बनाया गया हो या अपने धन से। इसमें कहा गया, सरकार से किसी भी प्रकार का अनुदान, लाभ प्राप्त करने के लिये प्रत्येक परिवार में स्वच्छ शौचालय चालू हालात में होना अनिवार्य है।” इस प्रावधान के अनुसार यदि कोई व्यक्ति सरकार का अनुदान अथवा लाभ चाहता है तो उसे सम्बन्धित ग्राम विकास अधिकारी से मिला प्रमाण पत्र पेश करना होगा, जो बताएगा कि इसके घर में चालू हालत में और स्वच्छ शौचालय है।


TAGS

sikkim, first odf state of india, plastic ban, department of rural management and development, sikkim panchayat amendment act, disposable styrofoam


Path Alias

/articles/saikakaima-maen-odaiepha-gaunavatataa-banaae-rakhanae-haetau-parayaasa

Post By: editorial
×